नई दिल्ली:
देश में कथित असहिष्णुता को लेकर साहित्य अकादमी का पुरस्कार लौटाने वालों के पुरस्कार और उनके चेक अकादमी के पास जस के तस ही पड़े हैं क्योंकि उनके पास पुरस्कार वापस लेने का कोई प्रावधान ही नहीं है. साहित्य अकादमी के सचिव के श्रीनिवास राव ने कहा कि 2015 में जो कुछ हुआ वह अकादमी के 60 साल के इतिहास में पहली बार हुआ था.
उन्होंने कहा कि कई साहित्यकारों ने अपना पुरस्कार वापस किया लेकिन सबके चेक या पुरस्कार हमारे पास नहीं आए. कई लोगों ने सिर्फ मीडिया में ऐलान कर दिया. उन्होंने कहा कि जिन्होंने अपने चेक और पुरस्कार हमें वापस किए हैं उन्हें भी हमने स्वीकार नहीं किया क्योंकि हमारे पास ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि पुरस्कार वापस लिया जाए. उनके चेक हमारे पास पड़े हैं और हमने उन्हें बैंक में नहीं डाला है.
जब उनसे पूछा गया कि किसी साहित्यकार ने अपना पुरस्कार लौटाने के बाद उसे वापस भी लिया है तो राव ने कहा कि राजस्थानी साहित्यकार नंद भारद्वाज ने अकादमी को पत्र लिखकर अपनी भावनाएं बयान की और पुरस्कार वापस ले लिया. गौरतलब है कि पिछले साल एक संवाददाता सम्मेलन में राव ने कहा था कि 39 साहित्यकारों ने हमें पुरस्कार वापस करने के बारे में लिखित में दिया है, जिनमें से 35 ने पुरस्कार के साथ दी जाने वाली राशि का चेक भी भेजा है.
उन्होंने कहा कि कई साहित्यकारों ने अपना पुरस्कार वापस किया लेकिन सबके चेक या पुरस्कार हमारे पास नहीं आए. कई लोगों ने सिर्फ मीडिया में ऐलान कर दिया. उन्होंने कहा कि जिन्होंने अपने चेक और पुरस्कार हमें वापस किए हैं उन्हें भी हमने स्वीकार नहीं किया क्योंकि हमारे पास ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि पुरस्कार वापस लिया जाए. उनके चेक हमारे पास पड़े हैं और हमने उन्हें बैंक में नहीं डाला है.
जब उनसे पूछा गया कि किसी साहित्यकार ने अपना पुरस्कार लौटाने के बाद उसे वापस भी लिया है तो राव ने कहा कि राजस्थानी साहित्यकार नंद भारद्वाज ने अकादमी को पत्र लिखकर अपनी भावनाएं बयान की और पुरस्कार वापस ले लिया. गौरतलब है कि पिछले साल एक संवाददाता सम्मेलन में राव ने कहा था कि 39 साहित्यकारों ने हमें पुरस्कार वापस करने के बारे में लिखित में दिया है, जिनमें से 35 ने पुरस्कार के साथ दी जाने वाली राशि का चेक भी भेजा है.
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