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सम्मेलन में कविता पाठ के संग कविताओं पर चर्चा भी होगी
मूल कविताओं के साथ-साथ हिंदी और अंग्रेजी में अनुवाद भी शामिल होंगे
देशभर के 15 भारतीय भाषाओं के 45 कवियों का समागम होगा
अशोक वाजपेयी ने कहा, "हम दिल्ली की जनता का ध्यान इस ओर खींचना चाहते हैं कि कविता का जादू न सिर्फ हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू में बरकरार है, बल्कि कश्मीरी, असमिया और मणिपुरी जैसी भाषाओं में भी इसके उतने ही कद्रदान हैं."
उन्होंने कहा, "उद्घाटन समारोह के लिए हम जाने-माने कवियों और ऐसे उभरते कवियों को भी आमंत्रित कर रहे हैं, जिनकी दिग्गज कवियों ने सराहना की है."
शुक्रवार की शाम आयोजित होने वाले पहले सत्र में भाग लेने वाले कवियों में सलमा (तमिल), हर प्रसाद दास (ओड़िया), नीलिम कुमार (असमिया), रतन थियम (मणिपुरी) और मजरूह रशीद (कश्मीरी) शामिल हैं.
इस मौके पर 45 कवियों की रचनाओं संकलन 'वाक्' का लोकार्पण भी होगा.
कविता पाठ से पहले, प्रख्यात हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक भुवनेश कोमकली अपने दादा पंडित कुमार गंधर्व और पिता पंडित मुकुल शिवपुत्र की अनोखी शैली से प्रेरित कबीर, तुलसीदास, सूरदास और मीरा के पदों का गायन करेंगे.
न्यूज एजेंसी आईएएनएस से इनपुट
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