
अगर आपको झारखंड राज्य के आंदोलन में जयपाल सिंह के योगदान के बारे में जानना है तो पद्मश्री से सम्मानित पत्रकार बलबीर दत्त की पुस्तक ‘जयपाल सिंह, एक रोमांचक अनकही कहानी’ आपकी काफी मदद कर सकती है. पुस्तक के बारे में जानकारी देते हुए लेखक बलबीर दत्त ने कहा कि उन्होंने जयपाल सिंह के जीवन और झारखंड राज्य के आंदोलन में उनके योगदान से जुड़े तथ्यों को इसमें यथावत् पेश किया है.
दत्त ने इतिहास की पुस्तकों के अनेक लेखकों पर सवाल उठाया और उदाहरण देते हुए कहा कि देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जीवन के बारे में लिखी एक पुस्तक में आपातकाल की चर्चा तक नहीं की गयी है. यह पुस्तक ऐसे में इतिहास का हिस्सा कैसे बन सकती है. इसी प्रकार उन्होंने पूर्व लोकसभाध्यक्ष एवं केन्द्रीय गृहमंत्री शिवराज पाटिल की आत्मकथा पर सवाल उठाते हुए कहा कि उसमें भी नक्सलवाद एवं आतंकवाद पर बहुत कुछ लिखा गया है लेकिन 2008 में मुंबई में हुए आतंकवादी हमले का उसमें कहीं कोई जिक्र तक नहीं है.
दत्त ने कहा कि किसी बड़े नेता की आत्मकथा अथवा जीवनी इतिहास की पुस्तक मानी जाती है लेकिन उनमें इस तरह का तथ्यात्मक छेड़छाड़ या कमी उनके महत्व को या तो कम कर देता है अथवा उनके तथ्यों पर संदेह पैदा करता है.
झारखंड विधानसभाध्यक्ष डॉक्टर दिनेश उरांव ने किताब के लोकार्पण पर कहा कि इतिहास कभी भी मरम्मत करके नहीं पेश किया जा सकता है अलबत्ता उसमें तथ्यों और घटनाओं को जैसे का तैसे पेश किया जाता है. उरांव ने रांची में किताब लोकार्पण करने के बाद यह बात कही.
उन्होंने कहा कि देश के वरिष्ठतम संपादकों में शामिल बलबीर दत्त ने झारखंड के नेता एवं हाकी खिलाड़ी जयपाल सिंह के जीवन से जुड़े तथ्यों को उनके मूल स्वरूप में पाठकों के समक्ष पेश किया है. वास्तव में इतिहास लेखन का यही मूल धर्म है. उन्होंने कहा, ‘‘अनेक लेखक इतिहास लेखन में भी तथ्यों को अपनी विचारधारा के अनुसार परोसते हैं जो सर्वथा अनुचित है.’’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
दत्त ने इतिहास की पुस्तकों के अनेक लेखकों पर सवाल उठाया और उदाहरण देते हुए कहा कि देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जीवन के बारे में लिखी एक पुस्तक में आपातकाल की चर्चा तक नहीं की गयी है. यह पुस्तक ऐसे में इतिहास का हिस्सा कैसे बन सकती है. इसी प्रकार उन्होंने पूर्व लोकसभाध्यक्ष एवं केन्द्रीय गृहमंत्री शिवराज पाटिल की आत्मकथा पर सवाल उठाते हुए कहा कि उसमें भी नक्सलवाद एवं आतंकवाद पर बहुत कुछ लिखा गया है लेकिन 2008 में मुंबई में हुए आतंकवादी हमले का उसमें कहीं कोई जिक्र तक नहीं है.
दत्त ने कहा कि किसी बड़े नेता की आत्मकथा अथवा जीवनी इतिहास की पुस्तक मानी जाती है लेकिन उनमें इस तरह का तथ्यात्मक छेड़छाड़ या कमी उनके महत्व को या तो कम कर देता है अथवा उनके तथ्यों पर संदेह पैदा करता है.
झारखंड विधानसभाध्यक्ष डॉक्टर दिनेश उरांव ने किताब के लोकार्पण पर कहा कि इतिहास कभी भी मरम्मत करके नहीं पेश किया जा सकता है अलबत्ता उसमें तथ्यों और घटनाओं को जैसे का तैसे पेश किया जाता है. उरांव ने रांची में किताब लोकार्पण करने के बाद यह बात कही.
उन्होंने कहा कि देश के वरिष्ठतम संपादकों में शामिल बलबीर दत्त ने झारखंड के नेता एवं हाकी खिलाड़ी जयपाल सिंह के जीवन से जुड़े तथ्यों को उनके मूल स्वरूप में पाठकों के समक्ष पेश किया है. वास्तव में इतिहास लेखन का यही मूल धर्म है. उन्होंने कहा, ‘‘अनेक लेखक इतिहास लेखन में भी तथ्यों को अपनी विचारधारा के अनुसार परोसते हैं जो सर्वथा अनुचित है.’’
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