Importance of Burning Camphor : आरती में कपूर जलाने का महत्व गहरा और धार्मिक है. कपूर को शुद्धि और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है और इसे जलाने से वातावरण की निगेटिव एनर्जी खत्म होती है. कपूर का धुआं विशेष रूप से दिव्य और शुद्ध माना जाता है, जो पूजा स्थल को एक पवित्र और सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है. इसके अलावा कपूर जलाने से वातावरण में फैलने वाली खुशबू मन को शांत करती है और एकाग्रता को बढ़ाती है. धार्मिक दृष्टिकोण से कपूर का जलना आग के तत्व का प्रतिनिधित्व करता है जो शुद्धता, शक्ति और आंतरिक प्रकाश का प्रतीक है.
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आरती में कपूर क्यों जलाते हैं- Importance of Burning Camphor
परंपरा : हिन्दू धर्म में कपूर जलाने की परंपरा सदियों पुरानी है. कपूर को शुद्धता, पवित्रता और दिव्यता का प्रतीक माना जाता है. इसका उपयोग विशेष रूप से पूजा, आरती, हवन और धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है. हिन्दू धर्म में कपूर का जलना एक प्रतीकात्मक क्रिया है, जो भक्तों के मन को शांति और एकाग्रता प्रदान करती है.
रोशनी का प्रतीक: कपूर को आग का प्रतीक माना जाता है जो शुद्धि, शक्ति और ऊर्जा का भी प्रतीक है. आरती के दौरान कपूर जलाना दर्शाता है कि हम अंधकार से प्रकाश की ओर और नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर बढ़ रहे हैं. यह जलते हुए कपूर की लौ हमारे अंदर की बुराई को खत्म करने और दिव्यता की ओर बढ़ाने का प्रतीक है.
प्रतिनिधित्व : जब आरती के दौरान कपूर को जलाया जाता है तो इसकी ज्योति आस-पास और मन की अशुद्धियों को जलाने का प्रतिनिधित्व करती है. कपूर का धुआं नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट कर वातावरण को पवित्र बनाता है. जिससे एक शुद्ध और दिव्य माहौल बनता है. इसका जलना आत्मा की शुद्धि का प्रतीक माना जाता है. जो मन और शरीर के विकारों को खत्म करता है.
अंश : जब कपूर को जलाया जाता है तो यह पूरी तरह से जलकर खत्म हो जाता है और कोई अंश या अवशेष पीछे नहीं छोड़ता. यह इस बात का प्रतीक है कि कपूर ने अपनी पूरी ऊर्जा और शुद्धता को समर्पित कर दिया है बिना किसी अवशेष के. हिन्दू धर्म में इसे एक गहरे आध्यात्मिक अर्थ के रूप में देखा जाता है. कपूर का जलना दर्शाता है कि जैसे कपूर अपनी पूरी शुद्धता और दिव्यता के साथ जलकर समाप्त हो जाता है. वैसे ही एक भक्त को भी अपनी इच्छाओं, अहंकार और सांसारिक बंधनों को त्यागकर अपने आप को प्रभु को प्रति समर्पित होना चाहिए. यह भक्तों के मन को भी शांति और संतुलन प्रदान करता है.
पितृ दोष से मुक्ति : धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूजा-पाठ के दौरान कपूर जलाने से घर का वातावरण शुद्ध होता है साथ ही पितृ दोष से मुक्ति भी मिलती है. पितृ दोष को समाप्त करने के लिए कपूर जलाना एक प्राचीन और प्रभावी उपाय है. यह मान्यता है कि जब कपूर को पूजा के दौरान जलाया जाता है, तो यह पितरों की आत्माओं को शांति प्रदान करता है और उनके कष्टों को कम करता है. कपूर के धुएं से वातावरण में शुद्धि और दिव्यता का संचार होता है. जो पितृ दोष और अन्य मानसिक या शारीरिक विकारों को दूर करने में मदद करता है. इसे नियमित रूप से जलाने से न केवल घर में सुख-शांति बनी रहती है, बल्कि यह आध्यात्मिक उन्नति और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण साधन माना जाता है.
वास्तु दोष : वास्तु शास्त्र के अनुसार, कपूर के जलने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. जिससे घर के सभी हिस्सों में शांति और सौम्यता बनी रहती है. घर में हर दिन कपूर जलाने से न सिर्फ वातावरण शुद्ध होता है बल्कि ये घर के वास्तु दोष को भी समाप्त करने में सहायक माना जाता है. कपूर का धुआं नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ाता है. जब कपूर जलाया जाता है तो इसका हल्का और शुद्ध धुआं वातावरण को शुद्ध करता है. जिससे घर में सुख-शांति, समृद्धि और समरसता बनी रहती है. यह विशेष रूप से उस समय असरदार होता है जब घर में वास्तु दोष जैसे कि गलत दिशा में प्रवेश द्वार, अनुकूल स्थान पर रसोई या बाथरूम आदि हो.
स्वास्थ्य लाभ: कपूर का धुआं एक प्राकृतिक एंटीसेप्टिक होता है, जो हवा को शुद्ध करता है और बैक्टीरिया को नष्ट करता है. यह मानसिक तनाव को कम करने और शांति प्रदान करने में भी मदद करता है. जिससे पूजा के समय ध्यान और भक्ति में वृद्धि होती है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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