कंडोम या नसबंदी ही नहीं, ये भी हैं Male Birth Control के तरीके
नई दिल्ली:
आज विश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day) है, जिसका मकसद जनसंख्या से जुड़े मुद्दों की ओर लोगों का ध्यान खींचना है. जहां तक इन मुद्दों पर काम करने की बात है तो इसका जिम्मा भी महिलाओं के कंधों पर ही है. प्रकृति ने महिलाओं को बच्चा जनने की ताकत दी, लेकिन हमारे समाज ने जनसंख्या को रोकने का काम भी उसी को दे दिया. प्रेग्नेंसी रोकने के लिए हर बार महिलाओं को ही परेशान होना पड़ता है. कभी पिल्स तो कभी तमाम नुस्खे. हालांकि पुरुष भी बर्थ कंट्रोल में बराबर की भूमिका निभा सकते हैं क्योंकि उनके लिए भी मेडिकल साइंस में कई ऑप्शन मौजूद हैं. इसके बावजूद पुरुष इन तरीकों को अपनाना ज़रा भी पसंद नहीं करते. और तो और पुरुष कंडोम का इस्तेमाल करने से भी झिझकते हैं जो कि बर्थ कंट्रोल का सबसे आसान और कारगर तरीका है. वैसे पुरुषों के लिए कंडोम के अलावा भी बर्थ कंट्रोल के कई तरीके हैं, जिनसे अनचाही प्रेग्नेंसी से बचा जा सकता है और सेक्सुअल लाइफ पर भी कोई असर नहीं पड़ता.
प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स: जानिए क्या है सच्चाई और क्या है झूठ?
आज World Population Day 2018 के मौके पर जानिए उन 5 तरीकों के बारे में, जिनसे पुरुष अपने पार्टनर को अनचाही प्रेग्नेंसी से बचा सकते हैं.
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कंडोम (Condom)
प्रेग्नेंसी को रोकने का सबसे आसान और पॉपुलर तरीका है कंडोम (Condom). बाज़ार में महिला और पुरुष दोनों के लिए कंडोम मौजूद है, लेकिन सबसे ज्यादा प्रचलित मेल कंडोम ही है.
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पुरुष नसबंदी या वासेक्टोमी (Vasectomy)
यह एक परमानेंट बर्थ कंट्रोल है, जिसमें सर्जरी के जरिए स्पर्म को रोका जाता है और पार्टनर के प्रेग्नेंट होने का खतरा टल जाता है. इस सर्जरी के बाद भी सेक्सुअल लाइफ पहले जैसी ही रहती है. यह तरीका भारत में बेहद आम है, इसे बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने कई परामर्श केंद्र भी खोले हुए हैं, जहां वासेक्टोमी (Vasectomy) से जुड़े हर सवाल का जवाब दिया जाता है. हालांकि नसबंदी को लेकर पुरुषों में कई भ्रम हैं. उन्हें लगता है कि नसबंदी कराने से उनकी 'मर्दानगी' पर असर पड़ेगा. लेकिन इस बात में कोइ सच्चाई नहीं है. नसबंदी के बाद भी पुरुष सेक्सुअल लाइफ का पूरा मजा ले सकते हैं.
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वैसेल जेल (Vasalgel)
यह एक तरह का नॉन-हार्मोनल कॉन्ट्रासेप्टिक है, जिसमें वीर्यपात (ejaculation) के दौरान स्पर्म नहीं निकलते. इस जेल (Gel) को इंजेक्शन के जरिए वास डेफरेंस में डाला जाता है,जिसके बाद यह जेल स्पर्म को बाहर आने से रोक देता है. यह जैल परमानेंट नहीं होता बल्कि कुछ सालों बाद इसे फिर से वास डेफरेंस में इजेक्ट किया जाता है. इसकी शुरुआत 2018 में ही हुई है.
RISUG
इसका अर्थ है रिवर्सेबल इन्हीबिशन ऑफ स्पर्म अंडर गाइडेंस (reversible inhibition of sperm under guidance). इसे IIT खड़गपुर से डॉ. सुजॉय के गुहा की टीम ने बनाया है.RISUG को भी वास डेफरेंस में इंजेक्शन के जरिए जेल डालकर स्पर्म को रोका जाता है. ठीक वैसेल जेल प्रक्रिया की तरह, लेकिन RISUG में जैल स्पर्म को रोकता नहीं बल्कि नष्ट कर देता है.
विड्रॉल (Withdrawal)
यह एक प्रकार का मेल बर्थ कंट्रोल का तरीका है, जिसे Coitus Interruptus और Pull-out method भी कहा जाता है. इसमें इंटरकोर्स (Sex) के दौरान ऑर्गेज्म से पहले ही पुरुष पीनिस (Penis) को वेजिना (Vagina) से बाहर निकाल लेता है. इससे वीर्यारोपण ( Insemination) नहीं हो पाता और प्रेग्नेंट होने के चांसेस कम हो जाते हैं. हालांकि इसका सक्सेस रेट काफी कम है बावजूद इसके ये सबसे ज्यादा प्रचलित तरीका है.
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कंडोम (Condom)
प्रेग्नेंसी को रोकने का सबसे आसान और पॉपुलर तरीका है कंडोम (Condom). बाज़ार में महिला और पुरुष दोनों के लिए कंडोम मौजूद है, लेकिन सबसे ज्यादा प्रचलित मेल कंडोम ही है.
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यह एक प्रकार का मेल बर्थ कंट्रोल का तरीका है, जिसे Coitus Interruptus और Pull-out method भी कहा जाता है. इसमें इंटरकोर्स (Sex) के दौरान ऑर्गेज्म से पहले ही पुरुष पीनिस (Penis) को वेजिना (Vagina) से बाहर निकाल लेता है. इससे वीर्यारोपण ( Insemination) नहीं हो पाता और प्रेग्नेंट होने के चांसेस कम हो जाते हैं. हालांकि इसका सक्सेस रेट काफी कम है बावजूद इसके ये सबसे ज्यादा प्रचलित तरीका है.
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