Murshidabad Violence: मुर्शिदाबाद हिंसा को लेकर बीजेपी ने ममता सरकार को घेरा
हिंसा और आगजनी..सुनसान सड़कें...बंद दुकानें...और डर के साए में घरों के अंदर कैद जिंदगी जीने को मजबूर लोग...ये सिर्फ तस्वीर नहीं, बल्कि हकीकत है - पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले की. वक्फ कानून की आड़ में सुलगती आग ने पूरे इलाके को अपनी चपेट में ले लिया है. कई घर उजड़ चुके हैं, कई सपने मलबे में दब गए हैं. मुर्शिदाबाद हिंसा प्रभावित इलाकों में तबाही की ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं, जिन्हें देखकर आपकी रूह कांप जाए. हिंसक प्रदर्शन तो अब थम चुके हैं, लेकिन उनकी राख से उठती गर्मी अब भी लोगों के दिलों में डर पैदा कर रही है.
लोगों को अपने घरों में ही लगने लगा डर
मुर्शिदाबाद में हिंसा के जो लोग शिकार हुए, जिन्हें अपने घरों में ही डर लगने लगा है. कई परिवारों ने तो अपने घरों तक को छोड़ दिया है. हर गुजरती रात लोगों को यही सोचने पर मजबूर करती है "क्या हम सच में सुरक्षित हैं? लोगों की बेबसी और पीड़ा कैसी है..कैसे वो एक लाचार जिंदगी जी रहे हैं. इसको समझने के लिए देखिए NDTV की सहकर्मी मनोज्ञा मालदा के रिफ्यूजी कैंप पहुंची जहां लोगों ने अपनी बेबसी सुनाई.

25 वर्षीय पंचमी मंडल अपने जीवन के सबसे खूबसूरत पल में सबसे ज्यादा दर्द झेल रही हैं. जब सब अपना घर छोड़कर दौड़ रही थी तब पंचमी की मां उसे धीरे धीरे एक सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने की कोशिश कर रही थी. 9 महीने बच्चे को पेट मे रखने के बाद उसे ये नहीं पता कि वो किस अवस्था मे उसे जन्म देगी.

हिंसा की वजह से दहशत में लोग
दहशत का हाल देखिए कि लोग शरणार्थी शिविर में बेबस जिंदगी जी रहे हैं लेकिन फिर भी अपने घर जाने को तैयार नहीं. लोगों को डर है कि वो कहीं हिंसा की भेंट न चढ़ जाए. लोगों का कहना है कि जब तक पैरामिलिट्री फोर्स नहीं रहेगी, हम वापस नहीं जाएंगे. लोगों का कहना है कि हम यहां केंद्रीय बलों का एक स्थायी शिविर चाहते हैं ताकि ऐसी स्थिति दोबारा न हो. इस कैंप में ऐसी सैकड़ों महिलाओं रह रही है. ये कैंप मुर्शिदाबाद से करीब 50 किलोमीटर दूर मालदा में है, जहां ये लोग अपना घर अपना गांव..सब छोड़कर रहने को मजबूर हैं.

जली झोपड़ियां, लूटा सामान, पीड़ितों का दर्द
मुर्शिदाबाद जिले के जंगीपुर के बेडबुना गांव के लोग आज भी उस मंजर को भूल नहीं पा रहे हैं जब वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान आई 120 घरों में भीड़ ने कथित रूप से आग लगा दी और नकदी, गहने व मवेशी लूट लिए और उनके सामने अनिश्चित भविष्य छोड़ दिया. पीड़ितों का कहना है कि हमलावर बाहर से आए और हथियारों व पेट्रोल के साथ झोपड़ियों पर हमला किया था जिसके कई लोग जान बचाकर भागे. जिला प्रशासन ने घरों के पुनर्निर्माण का आश्वासन दिया है.

एक पीड़ित राहुल मंडल ने बताया, “हमने पीछे से भागकर जान बचाई. उन्होंने मवेशी ले लिए और घर जला दिए.” गांव की निवासी शांति ने बताया कि कई लोग भागीरथी नदी पार कर मालदा और झारखंड में अपने रिश्तेदारों के पास शरण लिए हुए हैं.
धुलियान में भी कई दुकानें और घर क्षतिग्रस्त हुए हैं. एक जिला अधिकारी ने बताया कि राज्य के वित्त पोषण से अगले सप्ताह तक पीड़ितों के घरों के पुनर्निर्माण के लिए युद्ध स्तर पर काम शुरू हो जाएगा. फार्मेसी संचालक राजेश ने कहा कि उन्होंने तीन दिन बाद दुकान खोली है. उन्होंने बताया, “हम 50 वर्षों से यहां हैं, कभी ऐसा नहीं हुआ. उम्मीद है यह दुःस्वप्न दोबारा नहीं दोहराया जाएगा.”
स्थानीय निवासी मोहम्मद अकबर ने कहा, “हमलावर हिंदू-मुस्लिम दोनों की संपत्तियों को नुकसान पहुंचा रहे थे, वे बाहरी लोग थे, प्रशासन से सुरक्षा चाहिए.” धुलियान के एक और निवासी पंकज सरकार ने बताया कि इंटरनेट बंद होने के कारण डिजिटल भुगतान संभव नहीं है और एटीएम में नकदी खत्म है. उन्होंने कहा, “गुजारा मुश्किल हो गया है. उम्मीद है हालात जल्द सुधरेंगे.”

एक अन्य ग्रामीण तपन नस्कर ने आरोप लगाया कि पुलिस, बुलाने के दो घंटे बाद आई. गांव के एक अन्य निवासी संती ने कहा, 'मैं यहां से दूर एक रिश्तेदार के यहां रह रहा हूं. यहां के मेरे कुछ पड़ोसी भागीरथी नदी पार करके मालदा जिले में चले गए हैं, जहां वे एक स्कूल की इमारत में शरण लिए हुए हैं.'
इस तरह से भड़की हिंसा
मुर्शिदाबाद में पहली हिंसा मंगलवार 8 अप्रैल को हुई, कुछ प्रदर्शनकारी मुर्शिदाबाद से लगे राष्ट्रीय राजमार्ग-12 को जाम करने के लिए प्रदर्शन कर रहे थे. पुलिस ने जब उन्हें रोकने की कोशिश की तो इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प भी हुई. फिर दूसरी हिंसा हुई शुक्रवार 11 मार्च को. जुमे की नमाज के बाद बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी जुटे और वक्फ कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. पुलिस टीम पर उपद्रवियों ने पत्थरबाजी की. पुलिस वैन को आग के हवाले कर दिया गया और सार्वजनिक बसों में भी तोड़फोड़ और आगजनी की गई.

इस हिंसा की जो तस्वीरें सामने आईं हैं वो डराने वाली है. घटनास्थल से सामने आए वीडियो में हिंसा का यह मंजर देखा जा सकता है. वीडियो में कुछ लोगों को पुलिस की मोटरसाइकिलों को आग लगाते, पुलिस बस को पलटते देखा गया. हिंसा की इन घटनाओं के बाद हुई पुलिस कार्रवाई में 110 लोगों की गिरफ्तारी हुई है. पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक राजीव कुमार ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर हिंसा और इसे लेकर उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी.
(भाषा इनपुट्स के साथ)
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