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आर्टिफिशियल रेन की तरह क्या दिल्ली में बर्फ भी गिराई जा सकती है? जान लीजिए जवाब

Delhi Artificial Rain: दिल्ली में 29 अक्टूबर को कृत्रिम बारिश करवाने की तैयारी हो रही है, ऐसे में सवाल है कि क्या दिल्ली में कृत्रिम तरीके से बर्फबारी भी करवाई जा सकती है?

आर्टिफिशियल रेन की तरह क्या दिल्ली में बर्फ भी गिराई जा सकती है? जान लीजिए जवाब
क्या दिल्ली में भी हो सकती है बर्फबारी?

Delhi Artificial Rain: राजधानी दिल्ली में फैली जहरीली हवा में सांस लेना भी मुश्किल हो चुका है, तमाम रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि दिल्ली के पॉल्यूशन में सांस लेने का मतलब रोजाना 10 से ज्यादा सिगरेट पीने जैसा है. दिवाली के बाद से ही दिल्ली-एनसीआर का एक्यूआई लेवल 400 के पार जा रहा है. ऐसे में अब इस समस्या से निपटने के लिए दिल्ली में कृत्रिम बारिश करवाई जा रही है, इसे लेकर ट्रायल भी पूरा हो चुका है. अब कुछ लोगों के मन में ये भी सवाल है कि जब कृत्रिम बारिश करवाई जा सकती है तो क्या दिल्ली में बर्फबारी भी हो सकती है? आइए जानते हैं कि ऐसा कब मुमकिन हो सकता है और इसके लिए क्या करना पड़ता है. 

क्या होती है आर्टिफिशियल रेन

सबसे पहले आप ये जान लीजिए कि कृत्रिम बारिश या फिर आर्टिफिशियल रेन क्या होती है. कृत्रिम बारिश बादलों को बड़ा करके या उन्हें एक साथ मिलाकर जबरदस्ती बारिश कराने का तरीका है. इसमें बादलों पर हवाई जहाज से सिल्वर आयोडाइड (AgI) का छिड़काव किया जाता है, ऐसा करने से कंडेंसेशन (संघनन) का प्रोसेस तेज हो जाता है और बादल पानी के तौर पर बरसने लगते हैं. इसी को क्लाउड सीडिंग भी कहा जाता है. 

क्या वाकई हो सकती है कृत्रिम बर्फबारी?

कृत्रिम बारिश की तरह कृत्रिम बर्फबारी यानी स्नोफॉल भी करवाया जा सकता है. ऐसा दुनिया के कई देश कर भी चुके हैं. अमेरिका में कई स्की रिजॉर्ट इस प्रोसेस का इस्तेमाल करते हैं, जहां क्लाउड सीडिंग करवाकर बर्फ गिराई जाती है. चीन ने भी फरवरी 2009 में सूखे की स्थिति से निपटने के लिए बीजिंग में बर्फबारी करवाई थी. इसमें आयोडाइज्ड स्टिक्स का इस्तेमाल किया गया. 

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कैसे गिरने लगती है बर्फ?

आसामान में बादल जितने ऊपर होते हैं, वो उतने ही ठंडे होते हैं. जितने ज्यादा हाई एल्टीट्यूड पर बादल है, पानी के जमने की संभावना उतनी ज्यादा होती है. इन बादलों में जब सिल्वर आयोडाइड का इस्तेमाल किया जाता है तो पानी की बूंदें जमने लगती हैं और बड़ी होकर नीचे गिरने लगती हैं. अगर नीचे का तापमान भी ठंडा है तो ये बर्फ के तौर पर जमीन पर गिरती हैं. कुल मिलाकर बादल दो तरह के होते हैं, एक पानी की छोटी बूंदों से बने होते हैं और दूसरे आइस क्रिस्टल से बने बादल होते हैं. जमीन के पास दिखने वाले बादलों में पानी की सूक्ष्म बूंदें होती हैं, इन्हीं बादलों से बारिश होती है. 

दिल्ली में हो सकती है बर्फबारी?

दिल्ली में बर्फबारी चाहकर भी नहीं करवाई जा सकती है, क्योंकि दिल्ली का तापमान उतना कम नहीं है कि आइस ड्रॉपलेट नीचे आकर क्रिस्टल फॉर्म में ही रहें और बर्फ की तरह दिखे. यानी अगर आइस क्रिस्टल वाले बादलों में सीडिंग की जाती है तो वो आइस क्रिस्टलआधे रास्ते में ही पानी की बूंदों में बदल जाएंगे, इससे सिर्फ ठंडे पानी की बारिश महसूस होगी. यानी दिल्ली में बर्फबारी का सपना देखना फिलहाल तो मुमकिन नहीं है. 

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