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झारखंड में 'नए मोर्चे' से सत्ता साधेगी जेडीयू! सरयू राय और नीतीश कुमार के बीच क्या बनी रणनीति?

जदयू एक बार फिर से झारखंड में पुरानी जमीन हासिल करना चाहती है. पार्टी की नजर झारखंड में कुर्मी-कोयरी वोटरों पर है. बिहार में इस वोट बैंक पर जदयू की पकड़ मानी जाती है.

झारखंड में 'नए मोर्चे' से सत्ता साधेगी जेडीयू! सरयू राय और नीतीश कुमार के बीच क्या बनी रणनीति?
रांची:

झारखंड में अगले तीन-चार महीनों में संभावित विधानसभा चुनाव के ठीक पहले एक नए सियासी मोर्चे के गठन की कवायद शुरू हुई है. खास बात यह है कि इस मोर्चे की अगुवाई बिहार के सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जदयू कर सकती है.
नीतीश कुमार झारखंड में अपनी पार्टी की खोई हुई जमीन फिर से हासिल करना चाहते हैं और इसके लिए वह कुछ छोटी पार्टियों और सियासी समूहों को अपने साथ ला सकते हैं. वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में झारखंड के तत्कालीन सीएम रघुवर दास को जमशेदपुर पूर्व सीट पर हराने वाले दिग्गज नेता सरयू राय 'भारतीय जन मोर्चा' नामक पार्टी चलाते हैं. रविवार को पटना में नीतीश कुमार और सरयू राय ने झारखंड में सियासी संभावनाओं पर मंथन किया.

बैठक के बाद सरयू राय ने कहा कि नीतीश कुमार की पार्टी जदयू झारखंड में एनडीए फोल्डर से अलग है. उन्होंने भारतीय जन मोर्चा के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने पर सहमति जताई है. सरयू राय ने कहा, ''कोशिश हो रही है कि झारखंड में एनडीए और इंडिया गठबंधन से अलग तीसरा मोर्चा गठित हो. इसका उद्देश्य झारखंड में दोनों गठबंधनों से निराश जनता के बीच एक नया राजनीतिक विकल्प पेश करना है. इसके तहत कई अन्य नेताओं और राजनीतिक संगठनों को साथ लाने पर चर्चा चल रही है.''

दरअसल, नीतीश कुमार की पार्टी का बीते एक-डेढ़ दशक में झारखंड में जनाधार लगातार घटता चला गया. वर्ष 2000 में जब झारखंड अलग राज्य बना था, तब नीतीश कुमार समता पार्टी के सुप्रीमो थे. यहां उनकी पार्टी के पांच विधायक थे. साल 2003 में नीतीश कुमार ने समता पार्टी की जगह जनता दल यूनाइटेड बनाई. इसके बाद 2005 में झारखंड में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा और जदयू का गठबंधन हुआ. भाजपा ने राज्य की 63 और जदयू ने 18 सीटों पर चुनाव लड़ा. जदयू ने छह सीटें जीतीं.

2009 का विधानसभा चुनाव भी भाजपा और जदयू ने साथ मिलकर लड़ा, लेकिन 2014 के चुनाव में दोनों पार्टियों की दोस्ती टूट गई. इसके बाद से झारखंड में जदयू की जमीन खिसकती चली गई. अब जदयू एक बार फिर से पुरानी जमीन हासिल करना चाहती है. पार्टी की नजर झारखंड में कुर्मी-कोयरी वोटरों पर है. बिहार में इस वोट बैंक पर जदयू की पकड़ मानी जाती है. उसकी कोशिश है झारखंड में उन क्षेत्रों में फोकस रखा जाए, जहां इन दोनों जातियों की खासी आबादी है.

दो दिन पहले रांची में जदयू की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक हुई, जिसमें विधानसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा हुई. बताया जाता है कि पार्टी 10 से 12 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. जदयू के प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद खीरू महतो ने कहा कि हमने चुनाव लड़ने के लिए राज्य में सीटें चिन्हित कर ली है. इसकी रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व को भेजी जा रही है.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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