पीवी सिंधु ने भारतीय बैडमिंटन जगत को नई ऊंचाई पर पहुंचाया है (फाइल फोटो)
खेलोगे-कूदोगे बनोगे खराब, पढ़ोगे-लिखोगे बनोगे नवाब...देश में पुराने जमाने से चले आ रहे इस जुमले में लंबे समय तक खेलों के विकास को बाधित करके रखा. सवा अरब की आबादी वाले देश की खेल के मैदान पर उपलब्धियां एक हद तक सीमित ही रही हैं. भारत में तुलना में काफी कम आबादी वाले देश जहां खेल की दुनिया ने सफलता के नए आयाम रच रहे हैं, वहीं हमारे यहां लंबे समय तक स्थिति इसके उलट रही. जनसंख्या के लिहाज से दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश ओलिंपिक जैसे बड़े आयोजन में लंबे समय तक पदकों के लिए तरसता नजर आता रहा. खेलों के लिए पर्याप्त अधोसंरचना का अभाव, गरीबी और कुषोषण, पेशेवर अंदाज में तैयारी का अभाव और हुक्मरानों के खेलों को लेकर अनदेखी इसका बड़ा कारण रहा. बहरहाल, पिछले 10-15 वर्षों में इस स्थिति में सकारात्मक बदलाव हुआ है. हौले-हौले ही सही लेकिन भारतीय खिलाड़ियों ने अब खेल के मैदान में अपनी मजबूती का अहसास कराया है. आजादी के बाद से खेलों/खिलाड़ियों ने देश को गौरव के ऐसे क्षण उपलब्ध कराए हैं जिस पर हर कोई गर्व कर सकता है. क्रिकेट के इतर भारत की खेल के मैदान में इन खास 15 उपलब्धियों पर नजर...
अभिनव के उस ओलिंपिक गोल्ड ने तोड़ दिया था मिथक
अभिनव बिंद्रा ने 2008 के बीजिंग ओलिंपिक में शूटिंग का स्वर्ण पदक जीतकर इस मिथक को तोड़ा था कि भारतीय खिलाड़ी मानसिक रूप से कमजोर होते हैं और ओलिंपिक खेलों की व्यक्तिगत मुकाबलों में स्वर्ण नहीं जीत सकते. अभिनव ने 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर भारतीय खेल के इतिहास में अपना नाम सुनहरे अक्षरों से लिखाया था. यह ओलंपिक में व्यक्तिगत स्तर पर भारत का पहला स्वर्ण रहा. अभिनव के इस प्रदर्शन से प्रेरणा लेकर भारत के कई शूटरों ने विश्वस्तर की पहचान बनाई है. अभिनव से पहले राज्यवर्धन सिंह राठौर ने 2004 के एथेंस ओलिंपिक में रजत पदक जीतकर देश को गौरवान्वित किया था. वर्ष 2012 के लंदन ओलिंपिक में विजय कुमार ने भी 25 मीटर रैपिड पिस्टल में रजत पदक जीता.
पीवी सिंधु वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल में हारीं, मारिन तीसरी बार बनीं चैंपियन
बैडमिंटन में सिंधु, साइना बने रोल मॉडल
बैडमिंटन में एक समय माना जाता था कि चीनी खिलाड़ी अजेय हैं और उन्हें मात देना लगभग असंभव है. साइना नेहवाल और फिर पीवी सिंधु ने अपने प्रदर्शन से साबित किया कि चीनी खिलाड़ियों को भी हराया जा सकता है इसके लिए जरूरत है खेल कौशल के साथ उच्च स्तर की फिटनेस की. कोच के रूप में पुलेला गोपीचंद ने कमाल करते हुए भारत के लिए बैडमिंटन खिलाड़ियों की ऐसी फौज तैयार की जो किसी भी मुकाबले में आसानी से हार नहीं मानती. साइना और सिंधु के सफलता के क्रम को पुरुष बैडमिंटन में किदांबी श्रीकांत, एचएस प्रणय और साई प्रणीत ने आगे बढ़ाया है. महिला बैडमिंटन में भारत की खिलाड़ी ओलिंपिक में दो पदक हासिल कर चुकी हैं. वर्ष 2016 में रियो ओलिंपिक में पीवी सिंधु को फाइनल में कैरोलिन मॉरिन से हारकर रजत पदक से संतोष करना पड़ा था जबकि 2012 के लंदन ओलिंपिक में साइना नेहवाल ने कांस्य पदक हासिल किया था. सिंधु हाल ही में वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचीं, लेकिन कैरोलिना मॉरिन से हारकर उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा.
ओलिंपिक में भारत ने इन उपलब्धियों के जरिये दिखाई ताकत
ओलिंपिक में हॉकी टीम की कामयाबी का वह लंबा दौर
हॉकी भले ही आधिकारिक रूप से देश का राष्ट्रीय खेल नहीं है, लेकिन इसने राष्ट्र को गर्व करने के पर्याप्त मौके उपलब्ध कराए हैं. हॉकी में भारतीय टीम ने कई सालों ने दुनिया पर बादशाहत कायम रखी. भारतीय हॉकी टीम ने 1928 से लेकर 1956 तक ओलिंपिक खेलों में अपना दबदबा बनाए रखा. टीम ने इस दौरान छह स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया. एक समय था जब ओलिंपिक खेलों में भारत की मौजूदगी ही हॉकी के खेल में उसके प्रदर्शन के इर्दगिर्द केंद्रित हुआ करती थी. भारत ने हॉकी में कुल 11 ओलिंपिक पदक जीते, इनमें आठ स्वर्ण, एक रजत पदक और दो कांस्य पदक शामिल हैं. हॉकी का वर्ल्डकप भी भारतीय टीम एक बार जीत चुकी है. हालांकि 1980 के मॉस्को ओलिंपिक में मिले स्वर्ण पदक के बाद टीम का हॉकी का ग्राफ गिरा है. मॉस्को में मिले स्वर्ण के बाद से हॉकी टीम ओलिंपिक में कोई पदक नहीं जीत पाई है. वैसे टीम के हाल के बेहतर प्रदर्शन ने उम्मीद जगाई है कि हॉकी में भारत का सुनहरा दौर फिर लौटेगा.
शूट-आउट में भारत को 3-1 से हरा ऑस्ट्रेलिया बना चैंपियंस ट्रॉफी विजेता
युवा पहलवानों के लिए प्रेरणा बने सुशील कुमार के वे दो पदक
अखाड़े की मिट्टी वाली कुश्ती में एक समय भारत का दबदबा था. कुश्ती में गामा पहलवान का नाम सम्मान के साथ लिया जाता था, लेकिन कुश्ती के मैट्स पर होने के बाद यह क्रम टूट गया. कुश्ती में हाल का प्रदर्शन उम्मीद जगा रहा है. इस मामले में युवा पहलवानों के रोल मॉडल बने हैं सुशील कुमार, जिन्होंने 2008 में बीजिंग ओलिंपिक में कांस्य और 2014 के लंदन ओलिंपिक में रजत पदक जीता. वे ओलिंपिक के व्यक्तिगत मुकाबलों में दो पदक जीतने वाले एकमात्र भारतीय हैं. केडी जाधव और योगेश्वर दत्त भी ओलिंपिक में कांस्य पदक जीत चुके हैं.
CWG 2018: इस बेहतरीन स्कोर और हैट्रिक के साथ सुशील कुमार ने जीता स्वर्ण पदक
बॉक्सिंग में विजेंदर और मैरीकॉम की सफलता
2008 में ही बीजिंग ओलिंपिक में विजेंदर सिंह ने भारत के लिए बॉक्सिंग में पहला ओलिंपिक पदक जीता. इसके अगले ओलिंपिक में महिला बॉक्सर मैरीकॉम ने भी कांस्य पदक हासिल करते हुए बॉक्सिंग में देश की बढ़ती ताकत का अहसास कराया. बॉक्सिंग अब भारत के लिए संभावनाओं से भरपूर खेल बन चुका है. हरियाणा और पूर्वोत्तर राज्यों के बॉक्सरों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदकों का अंबार लगाया है. ओलिंपिक में देश को पदक दिलाने के विजेंदर पेशेवर बॉक्सर बन चुके हैं और अब तक अपने हर मुकाबले में जीते हैं.
टेनिस में लिएंडर ने जीता ओलिंपिक में कांस्य पदक
1980 के मॉस्को ओलिंपिक के बाद भारत को पदक के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा. व्यक्तिगत स्पर्धा में लिएंडर पेस ने वर्ष 1996 के अटलांटा ओलिंपिक में कांस्य पदक जीतकर इस सूखे को खत्म किया. लिएंडर पेस टेनिस के सिंगल्स वर्ग में यह पदक जीता. मजे की बात यह है कि अटलांटा ओलिंपिक में पेस को वाइल्ड कार्ड से एंट्री मिली थी. लिएंडर पेस और महेश भूपति की जोड़ी देश के लिए डबल्स वर्ग में कई ग्रैंडस्लैम खिताब जीत चुके हैं. मिक्स्ड डबल्स वर्ग में भी इन्होंने कई खिताब जीते हैं. सानिया मिर्जा की सफलता ने महिला खिलाड़ियों को भी इस खेल में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया है.
फुटबॉल में भारतीय जूनियर टीम की बढ़ती 'धमक'
दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेल फुटबॉल में भारत को फिसड्डी माना जाता है. वर्ष 1956 में मेलबर्न में हुए ओलिंपिक खेलों में भारत सेमीफाइनल तक पहुंचा था लेकिन इसके बाद से उसके प्रदर्शन में ढलान आता गया. सीनियर वर्ग में भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन अभी भी विश्व स्तरीय नहीं कहा जा सकता है लेकिन जूनियर खिलाड़ियों की नई पौध ने भविष्य के लिहाज से उम्मीदें जगाई हैं. वर्ष 2017 में भारत को अंडर-17 फुटबॉल वर्ल्डकप की मेजबानी मिली. टूर्नामेंट में हालांकि भारत लीग स्तर से आगे नहीं बढ़ पाया लेकिन युवा टीम ने संघर्ष का माद्दा दिखाया. इसी माह भारत की अंडर-20 और अंडर-16 टीम ने बड़ी जीत हासिल करते हुए देश का गौरव बढ़ाया है. जहां अंडर 20 टीम ने वर्ल्ड चैंपियन अर्जेंटीना को 2-1 से मात दी, वहीं अंडर-16 टीम ने इराक को हराकर दिखाया कि वह भी किसी से कम नहीं है. ये दोनों जीतें भारतीय फुटबॉल के लिहाज से मील का पत्थर मानी जा सकती हैं.
बिलियर्ड्स-स्नूकर में पंकज आडवाणी की चकाचौंध
33 वर्ष के पंकज आडवाणी बिलियर्ड्स और स्नूकर के खेल में सफलताओं का अंबार लगा रहे हैं. भले की बिलियर्ड्स और स्नूकर जैसे खेल को मीडिया का ज्यादा कवरेज नहीं मिलता लेकिन पंकज की इस कामयाबी को अनदेखा नहीं किया जा सकता. पंकज ने वर्ष 2017 में विश्व बिलियर्ड्स चैंपियनशिप में इंग्लैंड केमाइक रसेल को हराकर अपने करियर का 17वां वर्ल्ड टाइटल जीता.पंकज ने पहला पेशेवर बिलियर्ड्स विश्व खिताब 2009 में जीता था. इससे पहले वह एमेच्योर विश्व बिलियर्ड्स और स्नूकर चैंपियनशिप जीत चुके थे. पंकज ने एशियाई खेलों में भी देश के लिए स्वर्ण पदक जीत चुके हैं.
भारत ने पाकिस्तान को हराकर स्नूकर टीम विश्व कप जीता, पंकज ने किया यह कारनामा
विश्वनाथन आनंद के पांच विश्व खिताब
विश्वनाथन आनंद शतरंज की दुनिया में भारत की नहीं, दुनियाभर में बड़ा नाम बन चुके हैं. वे पांच बार विश्व शतरंज चैंपियन रहे हैं. देश का सबसे बड़ा खेल अवार्ड राजीव गांधी खेल रत्न उन्हें हासिल हो चुका है. शतरंज की दुनिया में गैरी कास्परोव, अनातोली कारपोव और व्लादिमीर क्रैमनिक के साथ विश्वनाथन आनंद का नाम भी सम्मान के साथ लिया जाता है. अर्जुन अवॉर्ड, पद्मश्री, पद्मभूषण, पद्मविभूषण का सम्मान भी शतरंज के उन्हें मिल चुका है. विश्वनाथन आनंद की इस सफलता से युवा खिलाड़ियों को प्रेरणा मिली है. कोनेरू हंपी, कृष्णन शशिकिरण जैसे खिलाड़ी उनकी विरासत को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं.
विश्वनाथन आनंद ने ताल मेमोरियल रैपिड शतरंज खिताब जीता..
वेटलिफ्टिंग में मल्लेश्वरी की बाद मीराबाई चानू
वेटलिफ्टिंग में भारतीय महिलाओं ने अपने कौशल का लोहा दुनियाभर में मनवाया है. वर्ष 2000 में सिडनी में हुए ओलिपिंक में कर्णम मल्लेश्वरी ने देश के लिए कांस्य पदक जीता था. कुंजुरानी देवी भी इस खेल में भारत का बड़ा नाम रही हैं. मणिपुर की इस खिलाड़ी ने पिछले साल नवंबर में विश्व चैंपियनशिप में 48 किलो भारवर्ग में 194 (85किग्रा+109किग्रा) का भार उठाकर स्वर्ण पदक जीता था. इस वर्ष गोल्डकोस्ट में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में भी मीराबाई ने स्वर्ण पदक जीता. 24 साल की इस वेटलिफ्टर का भारत के लिए भविष्य की उम्मीद माना जा रहा है.
वीडियो: पहलवान सुशील कुमार बोले, अब निगाह एशियाई खेलों पर अचूक होते है मुन भाकर के निशाने
हरियाणा की मनु भाकर की उम्र केवल 16 साल है, लेकिन वे अपने सधे हुए निशानों से हर किसी को हैरान कर देती हैं. मनु ने ISSF शूटिंग विश्वकप 2018 में 2 स्वर्ण पदक जीतकर साबित किया कि उनकी प्रतिभा बेहद खास है.इसी वर्ष राष्ट्रमंडल खेलों में भी उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में स्वर्ण पदक हासिल किया. मनु की ही तरह स्कूली छात्र अनीष भानवाला ने भी राष्ट्रमंडल खेलों में पुरुषों की 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल इवेंट में स्वर्ण पदक जीता. ये दोनों शूटर भारत के लिए आने वाले वर्षों में पदकों की बड़ी उम्मीद बनकर सामने आए हैं.
अभिनव के उस ओलिंपिक गोल्ड ने तोड़ दिया था मिथक
अभिनव बिंद्रा ने 2008 के बीजिंग ओलिंपिक में शूटिंग का स्वर्ण पदक जीतकर इस मिथक को तोड़ा था कि भारतीय खिलाड़ी मानसिक रूप से कमजोर होते हैं और ओलिंपिक खेलों की व्यक्तिगत मुकाबलों में स्वर्ण नहीं जीत सकते. अभिनव ने 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर भारतीय खेल के इतिहास में अपना नाम सुनहरे अक्षरों से लिखाया था. यह ओलंपिक में व्यक्तिगत स्तर पर भारत का पहला स्वर्ण रहा. अभिनव के इस प्रदर्शन से प्रेरणा लेकर भारत के कई शूटरों ने विश्वस्तर की पहचान बनाई है. अभिनव से पहले राज्यवर्धन सिंह राठौर ने 2004 के एथेंस ओलिंपिक में रजत पदक जीतकर देश को गौरवान्वित किया था. वर्ष 2012 के लंदन ओलिंपिक में विजय कुमार ने भी 25 मीटर रैपिड पिस्टल में रजत पदक जीता.
पीवी सिंधु वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल में हारीं, मारिन तीसरी बार बनीं चैंपियन
बैडमिंटन में सिंधु, साइना बने रोल मॉडल
बैडमिंटन में एक समय माना जाता था कि चीनी खिलाड़ी अजेय हैं और उन्हें मात देना लगभग असंभव है. साइना नेहवाल और फिर पीवी सिंधु ने अपने प्रदर्शन से साबित किया कि चीनी खिलाड़ियों को भी हराया जा सकता है इसके लिए जरूरत है खेल कौशल के साथ उच्च स्तर की फिटनेस की. कोच के रूप में पुलेला गोपीचंद ने कमाल करते हुए भारत के लिए बैडमिंटन खिलाड़ियों की ऐसी फौज तैयार की जो किसी भी मुकाबले में आसानी से हार नहीं मानती. साइना और सिंधु के सफलता के क्रम को पुरुष बैडमिंटन में किदांबी श्रीकांत, एचएस प्रणय और साई प्रणीत ने आगे बढ़ाया है. महिला बैडमिंटन में भारत की खिलाड़ी ओलिंपिक में दो पदक हासिल कर चुकी हैं. वर्ष 2016 में रियो ओलिंपिक में पीवी सिंधु को फाइनल में कैरोलिन मॉरिन से हारकर रजत पदक से संतोष करना पड़ा था जबकि 2012 के लंदन ओलिंपिक में साइना नेहवाल ने कांस्य पदक हासिल किया था. सिंधु हाल ही में वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचीं, लेकिन कैरोलिना मॉरिन से हारकर उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा.
ओलिंपिक में भारत ने इन उपलब्धियों के जरिये दिखाई ताकत
ओलिंपिक में हॉकी टीम की कामयाबी का वह लंबा दौर
हॉकी भले ही आधिकारिक रूप से देश का राष्ट्रीय खेल नहीं है, लेकिन इसने राष्ट्र को गर्व करने के पर्याप्त मौके उपलब्ध कराए हैं. हॉकी में भारतीय टीम ने कई सालों ने दुनिया पर बादशाहत कायम रखी. भारतीय हॉकी टीम ने 1928 से लेकर 1956 तक ओलिंपिक खेलों में अपना दबदबा बनाए रखा. टीम ने इस दौरान छह स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया. एक समय था जब ओलिंपिक खेलों में भारत की मौजूदगी ही हॉकी के खेल में उसके प्रदर्शन के इर्दगिर्द केंद्रित हुआ करती थी. भारत ने हॉकी में कुल 11 ओलिंपिक पदक जीते, इनमें आठ स्वर्ण, एक रजत पदक और दो कांस्य पदक शामिल हैं. हॉकी का वर्ल्डकप भी भारतीय टीम एक बार जीत चुकी है. हालांकि 1980 के मॉस्को ओलिंपिक में मिले स्वर्ण पदक के बाद टीम का हॉकी का ग्राफ गिरा है. मॉस्को में मिले स्वर्ण के बाद से हॉकी टीम ओलिंपिक में कोई पदक नहीं जीत पाई है. वैसे टीम के हाल के बेहतर प्रदर्शन ने उम्मीद जगाई है कि हॉकी में भारत का सुनहरा दौर फिर लौटेगा.
शूट-आउट में भारत को 3-1 से हरा ऑस्ट्रेलिया बना चैंपियंस ट्रॉफी विजेता
युवा पहलवानों के लिए प्रेरणा बने सुशील कुमार के वे दो पदक
अखाड़े की मिट्टी वाली कुश्ती में एक समय भारत का दबदबा था. कुश्ती में गामा पहलवान का नाम सम्मान के साथ लिया जाता था, लेकिन कुश्ती के मैट्स पर होने के बाद यह क्रम टूट गया. कुश्ती में हाल का प्रदर्शन उम्मीद जगा रहा है. इस मामले में युवा पहलवानों के रोल मॉडल बने हैं सुशील कुमार, जिन्होंने 2008 में बीजिंग ओलिंपिक में कांस्य और 2014 के लंदन ओलिंपिक में रजत पदक जीता. वे ओलिंपिक के व्यक्तिगत मुकाबलों में दो पदक जीतने वाले एकमात्र भारतीय हैं. केडी जाधव और योगेश्वर दत्त भी ओलिंपिक में कांस्य पदक जीत चुके हैं.
CWG 2018: इस बेहतरीन स्कोर और हैट्रिक के साथ सुशील कुमार ने जीता स्वर्ण पदक
बॉक्सिंग में विजेंदर और मैरीकॉम की सफलता
2008 में ही बीजिंग ओलिंपिक में विजेंदर सिंह ने भारत के लिए बॉक्सिंग में पहला ओलिंपिक पदक जीता. इसके अगले ओलिंपिक में महिला बॉक्सर मैरीकॉम ने भी कांस्य पदक हासिल करते हुए बॉक्सिंग में देश की बढ़ती ताकत का अहसास कराया. बॉक्सिंग अब भारत के लिए संभावनाओं से भरपूर खेल बन चुका है. हरियाणा और पूर्वोत्तर राज्यों के बॉक्सरों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदकों का अंबार लगाया है. ओलिंपिक में देश को पदक दिलाने के विजेंदर पेशेवर बॉक्सर बन चुके हैं और अब तक अपने हर मुकाबले में जीते हैं.
टेनिस में लिएंडर ने जीता ओलिंपिक में कांस्य पदक
1980 के मॉस्को ओलिंपिक के बाद भारत को पदक के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा. व्यक्तिगत स्पर्धा में लिएंडर पेस ने वर्ष 1996 के अटलांटा ओलिंपिक में कांस्य पदक जीतकर इस सूखे को खत्म किया. लिएंडर पेस टेनिस के सिंगल्स वर्ग में यह पदक जीता. मजे की बात यह है कि अटलांटा ओलिंपिक में पेस को वाइल्ड कार्ड से एंट्री मिली थी. लिएंडर पेस और महेश भूपति की जोड़ी देश के लिए डबल्स वर्ग में कई ग्रैंडस्लैम खिताब जीत चुके हैं. मिक्स्ड डबल्स वर्ग में भी इन्होंने कई खिताब जीते हैं. सानिया मिर्जा की सफलता ने महिला खिलाड़ियों को भी इस खेल में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया है.
फुटबॉल में भारतीय जूनियर टीम की बढ़ती 'धमक'
दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेल फुटबॉल में भारत को फिसड्डी माना जाता है. वर्ष 1956 में मेलबर्न में हुए ओलिंपिक खेलों में भारत सेमीफाइनल तक पहुंचा था लेकिन इसके बाद से उसके प्रदर्शन में ढलान आता गया. सीनियर वर्ग में भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन अभी भी विश्व स्तरीय नहीं कहा जा सकता है लेकिन जूनियर खिलाड़ियों की नई पौध ने भविष्य के लिहाज से उम्मीदें जगाई हैं. वर्ष 2017 में भारत को अंडर-17 फुटबॉल वर्ल्डकप की मेजबानी मिली. टूर्नामेंट में हालांकि भारत लीग स्तर से आगे नहीं बढ़ पाया लेकिन युवा टीम ने संघर्ष का माद्दा दिखाया. इसी माह भारत की अंडर-20 और अंडर-16 टीम ने बड़ी जीत हासिल करते हुए देश का गौरव बढ़ाया है. जहां अंडर 20 टीम ने वर्ल्ड चैंपियन अर्जेंटीना को 2-1 से मात दी, वहीं अंडर-16 टीम ने इराक को हराकर दिखाया कि वह भी किसी से कम नहीं है. ये दोनों जीतें भारतीय फुटबॉल के लिहाज से मील का पत्थर मानी जा सकती हैं.
बिलियर्ड्स-स्नूकर में पंकज आडवाणी की चकाचौंध
33 वर्ष के पंकज आडवाणी बिलियर्ड्स और स्नूकर के खेल में सफलताओं का अंबार लगा रहे हैं. भले की बिलियर्ड्स और स्नूकर जैसे खेल को मीडिया का ज्यादा कवरेज नहीं मिलता लेकिन पंकज की इस कामयाबी को अनदेखा नहीं किया जा सकता. पंकज ने वर्ष 2017 में विश्व बिलियर्ड्स चैंपियनशिप में इंग्लैंड केमाइक रसेल को हराकर अपने करियर का 17वां वर्ल्ड टाइटल जीता.पंकज ने पहला पेशेवर बिलियर्ड्स विश्व खिताब 2009 में जीता था. इससे पहले वह एमेच्योर विश्व बिलियर्ड्स और स्नूकर चैंपियनशिप जीत चुके थे. पंकज ने एशियाई खेलों में भी देश के लिए स्वर्ण पदक जीत चुके हैं.
भारत ने पाकिस्तान को हराकर स्नूकर टीम विश्व कप जीता, पंकज ने किया यह कारनामा
विश्वनाथन आनंद के पांच विश्व खिताब
विश्वनाथन आनंद शतरंज की दुनिया में भारत की नहीं, दुनियाभर में बड़ा नाम बन चुके हैं. वे पांच बार विश्व शतरंज चैंपियन रहे हैं. देश का सबसे बड़ा खेल अवार्ड राजीव गांधी खेल रत्न उन्हें हासिल हो चुका है. शतरंज की दुनिया में गैरी कास्परोव, अनातोली कारपोव और व्लादिमीर क्रैमनिक के साथ विश्वनाथन आनंद का नाम भी सम्मान के साथ लिया जाता है. अर्जुन अवॉर्ड, पद्मश्री, पद्मभूषण, पद्मविभूषण का सम्मान भी शतरंज के उन्हें मिल चुका है. विश्वनाथन आनंद की इस सफलता से युवा खिलाड़ियों को प्रेरणा मिली है. कोनेरू हंपी, कृष्णन शशिकिरण जैसे खिलाड़ी उनकी विरासत को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं.
विश्वनाथन आनंद ने ताल मेमोरियल रैपिड शतरंज खिताब जीता..
वेटलिफ्टिंग में मल्लेश्वरी की बाद मीराबाई चानू
वेटलिफ्टिंग में भारतीय महिलाओं ने अपने कौशल का लोहा दुनियाभर में मनवाया है. वर्ष 2000 में सिडनी में हुए ओलिपिंक में कर्णम मल्लेश्वरी ने देश के लिए कांस्य पदक जीता था. कुंजुरानी देवी भी इस खेल में भारत का बड़ा नाम रही हैं. मणिपुर की इस खिलाड़ी ने पिछले साल नवंबर में विश्व चैंपियनशिप में 48 किलो भारवर्ग में 194 (85किग्रा+109किग्रा) का भार उठाकर स्वर्ण पदक जीता था. इस वर्ष गोल्डकोस्ट में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में भी मीराबाई ने स्वर्ण पदक जीता. 24 साल की इस वेटलिफ्टर का भारत के लिए भविष्य की उम्मीद माना जा रहा है.
वीडियो: पहलवान सुशील कुमार बोले, अब निगाह एशियाई खेलों पर अचूक होते है मुन भाकर के निशाने
हरियाणा की मनु भाकर की उम्र केवल 16 साल है, लेकिन वे अपने सधे हुए निशानों से हर किसी को हैरान कर देती हैं. मनु ने ISSF शूटिंग विश्वकप 2018 में 2 स्वर्ण पदक जीतकर साबित किया कि उनकी प्रतिभा बेहद खास है.इसी वर्ष राष्ट्रमंडल खेलों में भी उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में स्वर्ण पदक हासिल किया. मनु की ही तरह स्कूली छात्र अनीष भानवाला ने भी राष्ट्रमंडल खेलों में पुरुषों की 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल इवेंट में स्वर्ण पदक जीता. ये दोनों शूटर भारत के लिए आने वाले वर्षों में पदकों की बड़ी उम्मीद बनकर सामने आए हैं.
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