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जाकिर हुसैन का आखिरी पोस्टः अपना वह आखिरी वंडर मोमेंट शेयर कर चला गया तबले का वंडर बॉय

उस्ताद जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था. उस्ताद अल्ला रक्खा जैसे महान तबला संगीतकार के बेटे जाकिर हुसैन की उंगलियों ने बचपन से ही तबले पर अपना जादू दिखाना शुरू कर दिया था.

जाकिर हुसैन का आखिरी पोस्टः अपना वह आखिरी वंडर मोमेंट शेयर कर चला गया तबले का वंडर बॉय
मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन

तबले की थाप की बदौलत जो हमेशा के लिए लोगों के दिलों में उतर गए, ऐसे शानदार कलाकार थे जाकिर हुसैन. मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन (Ustad Zakir Hussain) अब हमारे बीच इस दुनिया में नहीं हैं. लेकिन उनके तबले की मधुर थाप लोगों के कानों में हमेशा गूंजती रहेगी. जाकिर हुसैन का सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में निधन हो गया, वह 73 वर्ष के थे. हमारी दुनिया को अलविदा कहने के बाद जाकिर हुसैन का आखिरी सोशल मीडिया पोस्ट काफी वायरल हो रहा है.

जाकिर हुसैन की आखिरी पोस्ट में क्या खास

अक्टूबर में, जाकिर हुसैन ने जो पोस्ट किया है, उसमें वे पतझड़ का मौसम अमेरिका में बिता रहे हैं. उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें उन्होंने अपने फ़ॉलोअर्स को अमेरिका में बदलते मौसम के बारे में बताया. महान तबला वादक मौसम के इन्हीं बदलते रंगों से हैरान थे और अपने प्रशंसकों के साथ इस खूबसूरत नज़ारे को साझा किया. उन्होंने पोस्ट के कैप्शन में लिखा, "बस एक अद्भुत पल साझा कर रहा हूं." उनकी यही पोस्ट अब सोशल मीडिया पर छाईं हुई है.

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अमेरिका के अस्पताल में चल रहा था इलाज

जाकिर हुसैन के परिवार के अनुसार, हुसैन की मृत्यु इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस के कारण हुई. वह पिछले दो सप्ताह से अस्पताल में भर्ती थे और इस दौरान उनकी हालत बिगड़ने पर उन्हें आईसीयू में ले जाया गया था, लेकिन उन्‍हें बचाया नहीं जा सका. हुसैन ने कथक नृत्यांगना और शिक्षिका एंटोनिया मिनेकोला से शादी की. उनकी दो बेटियां अनीसा कुरैशी और इसाबेला कुरैशी हैं. जाकिर हुसैन को अपने करियर में 4 ग्रैमी अवॉर्ड मिले, जिनमें से तीन इस साल की शुरुआत में 66वें ग्रैमी पुरस्कार में शामिल हैं.

ग्रैमी अवॉर्ड समेत मिल चुके हैं ये खास सम्मान

उस्ताद जाकिर हुसैन अपने हुनर से तबले को दुनिया में अलग पहचान दिलाई. और अपने फन से लोगों के दिलों में जगह बनाई.  जाकिर हुसैन ने पांच ग्रैमी अवॉर्ड जीते. महान तबला वादक अल्लाह रक्खा के सबसे बड़े बेटे जाकिर हुसैन ने अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए सफलता की नई इबारत लिखी. उन्होंने अपने संगीत के करियर में पांच ग्रैमी पुरस्कार हासिल किए, जिनमें से तीन इस साल की शुरुआत में 66वें ग्रैमी पुरस्कार में मिले थे. भारत के सबसे प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीतकारों में से एक जाकिर हुसैन को 1988 में पद्मश्री, 2002 में पद्मभूषण और 2023 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया था.

महज 12 साल की उम्र में छोड़ दी हुनर की छाप

जाकिर हुसैन महज 12 साल की उम्र में बड़े ग़ुलाम अली, आमिर खां, ओंकारनाथ ठाकुर के साथ तबला बजा रहे थे. इतने महान कलाकारों साथ इतनी कम उम्र में तबला बजाना उनके हुनर की कहानी अपने आप बयां कर देती है. 16-17 साल की उम्र में उन्होंने रविशंकर, अली अकबर खां के साथ तबला बजाया. इसके बाद अगली पीढ़ी हरि प्रसाद, शिव कुमार, अमज़द भाई के साथ और फिर शाहिद परवेज़, राहुल शर्मा, अमान-अयान के साथ भी तबला बजाया. बॉलीवुड के अलावा जाकिर हुसैन ने हॉलीवुड के साथ फ़िल्मों में भी काम किया.

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