केंद्र सरकार ने कहा है कि कोरोना वायरस (Coronavirus) महमारी के चलते राजस्व में कमी हुई है लेकिन फिर वह राज्यों को जीएसटी (GST) की बकाया रकम का भुगतान करेगी. राज्यों को लिखे एक पत्र में केंद्र ने वादा किया है कि कोरोना के चलते जीएसटी सेस की वसूली में भारी गिरावट के बावजूद वह राज्यों की बकाया रकम अदा करेगी. कोरोना वायरस के चलते हो रहे आर्थिक नुकसान को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने 'एक्ट ऑफ गॉड' करार दिया था. 27 अगस्त को बैठक के बाद जीएसटी काउंसिल ने राज्यों के सामने दो विकल्प रखे थे और उनसे एक हफ्ते के भीतर इनपर फैसला करने को कहा था.
गैर-राजग शसित राज्यों की जीएसटी क्षतिपूर्ति तुरंत किये जाने की मांग के बीच केंद्र ने गुरुवार को जीएसटी राजस्व में आई कमी की भरपाई के लिये राज्यों को दो विकल्प दिये. इसके तहत राज्य भविष्य में होने वाले कर प्राप्ति के एवज में बाजार से कर्ज ले सकते हैं. हालांकि, पंजाब और दिल्ली ने इस पर अपनी असहमति जता दी थी. केंद्र ने चालू चालू वित्त वर्ष में जीएसटी राजस्व प्राप्ति में 2.35 लाख करोड़ रुपये की कमी का रहने का अनुमान लगाया है.
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी परिषद की पांच घंटे चली बैठक के बाद कहा था कि कोविड-19 महामारी के कारण राजस्व में कमी बढ़ी है और इसकी भरपाई के लिये कर की दरें बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है. उन्होंने महान्यायवादी की कानूनी राय का हवाला देते हुए केंद्र सरकार के अपने कोष से या अपने खाते में कर्ज लेकर राजस्व की भरपाई की संभावना को खारिज कर दिया.
केंद्र ने जीएसटी लागू करने की वजह से और कोविड-19 संकट के कारण आर्थिक नरमी से होने वाले राजस्व नुकसान के बीच अंतर को भी स्पष्ट किया. सरकार ने कहा कि उसकी कानूनी बाध्यता केवल जीएसटी के कारण राजस्व में हुए नुकसान की भरपाई करने की है.
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वित्त मंत्री ने कहा कि घाटे की भरपाई राज्य विशेष खिड़की का उपयोग करते हुये कर्ज लेकर कर सकते हैं. इस कर्ज को पांच साल बाद जीएसटी उपकर संग्रह से लौटाया जा सकता है.
उन्होंने कहा था कि राज्य जीएसटी को लागू करने के कारण राजस्व में आयी 97,000 करोड़ रुपये की कमी को या पूरी 2.35 लाख करोड़ रुपये की राशि बाजार से कर्ज ले सकते हैं. अगर राज्य इन विकल्पों में से किसी एक पर सहमत होते हैं, तो इसका मतलब होगा कि उपकर जीएसटी क्रियान्वयन के पांच साल बाद भी जारी रहेगा. (इनपुट भाषा से...)
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