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This Article is From Feb 09, 2018

क्या अदालत के बाहर अयोध्या मसला सुलझ सकता है? दिखने लगे हैं आसार

इसमें मुकदमे के मुख्य पक्षकार सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारुकी और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना सलमान नदवी शामिल हुए. 

क्या अदालत के बाहर अयोध्या मसला सुलझ सकता है? दिखने लगे हैं आसार
प्रतीकात्मक फोटो
लखनऊ: क्या अदालत के बाहर अयोध्या मसला सुलझ सकता है? यह सवाल फिर उठने लगा है. श्रीश्री रविशंकर के साथ अयोध्या राम मंदिर-मस्जिद विवाद का हल तलाशने के लिए बेंगलुरु में हुए बैठक में कुछ बड़े मुस्लिम पक्षकार शामिल हुए, जिनकी मुकदमे में बड़ी हैसियत है. इसमें मुकदमे के मुख्य पक्षकार सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जफर फारूकी और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना सलमान नदवी शामिल हुए. 

जफर फारूकी उस वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष हैं, जिसने 1951 से इस बाबरी मस्जिद पर दावे की लड़ाई लड़ रहा. लेकिन फारूकी भी अदालत के बाहर समझौते के लिए तैयार हैं. श्रीश्री से बातचीत में उन्होंने कहा कि अगर सभी पक्ष समझौता चाहें तो मैं पहले से उनके साथ हूं. सलमान नदवी उस पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रभावशाली सदस्य हैं जिसने प्रस्ताव पारित किया है कि मस्जिद के पक्षकार किसी तरह के समझौते में शामिल नहीं होंगे.

बता दें कि अभी मस्जिद के लिए पैरवी करने वालों में ज्यादातर शिया उलेमा रहे हैं. इस पर कुछ लोग यह भी कहते रहे हैं आम तौर पर शिया मंदिर बनाने के पक्ष में हैं लेकिन सुन्नी तैयार नहीं है. लेकिन कुछ वक्त पहले श्रीश्री रविशंकर ने ऐसी कोशिश शुरू की थी, मगर हिंदु और मुस्लिम दोनों पक्षों से अच्छा रिसपॉन्स नहीं मिला था. सुन्नी बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने श्रीश्री से मिलने से इनकार कर दिया था. उनके अयोध्या पहुंचने पर मंदिर के पुराने पक्षकार निर्मोही अखाड़े ने उनका स्वागत किया था, वीएचपी के लोगों ने विरोध किया था. 

पढ़ें : अयोध्या केस : सुप्रीम कोर्ट में 'भूमि विवाद' की तरह चलेगा मामला, 14 मार्च को होगी अगली सुनवाई

लेकिन कल हुई मीटिंग में सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना सलमान नदवी ने कहा कि कुछ शर्तों के साथ मस्जिद कहीं और बनाई जा सकती है. श्रीश्री के सामने उन्होंने फिलहाल तीन मांगें रखी हैं. एक बाबरी मस्जिद गिराना अपराध था उसके आरोपियों पर जल्द मुकदमा चला कर सजा दी जाए. दूसरा जितने में मस्जिद थी उसकी दोगुना जमीन किसी मुस्लिम इलाके में दी जाए. तीसरा मुसलमानों के लिए यूनिव्रिसिटी खोली जाएं क्योंकि वे पढ़ाई में पिछड़ें हैं. उन्होंने कहा कि हम्बली सेक्टर में मस्जिद को शिफ्ट करने की बात कही गई है. 

सुन्नी के अध्यक्ष ने कहा कि देश के कानून के मुताबिक वक्फ की जमीन को उन्हें किसी को बेचने या ट्रांसफर करने का अधिकार नहीं है, इसके लिए सरकार को कानूनी रास्ते तलाशने होंगे. 

पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष कल्बे सादिक ने पिछले साल अगस्त में मुंबई में एक कार्यक्रम में कहा था कि अगर मुसलमान अयोध्या में जमीनी विवाद का मुकदमा जीत भी जाएं तो भी उन्हें वह जगह मंदिर बनाने के लिए हिंदू भाइयों को दे देनी चाहिए. क्योंकि ज्यादातर हिंदू भाइयों की आस्था है कि भगवान राम उसी जगह पैदा हुए थे. इस तरह आप एक प्लॉट हारेंगे लेकिन करोड़ों दिल जीत लेंगे. 

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इनके बयान के बाद काफी विवाद हुआ था लेकिन कट्टर और पुरानी सोच के लोग उनके विरोध में आ गए थे. शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष रिजवी विवादित जमीन को मंदिर के लिए देने की पैरवी करते रहे हैं.

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