देश के 13वें उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू क्यों रहेंगे सफल, ये हैं 5 प्रमुख कारण...

वेंकैया नायडू बीजेपी के सत्ता में होते हुए भी और सत्ता से बाहर होने पर भी हर दौर में पार्टी के केंद्र में रहे

देश के 13वें उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू क्यों रहेंगे सफल, ये हैं 5 प्रमुख कारण...

वेंकैया नायडू शुक्रवार को देश के 13वें उप राष्ट्रपति बने.

खास बातें

  • वाकचातुर्य और रिश्तों में सामंजस्य बनाए रखने की अद्भुत प्रतिभा
  • छात्र राजनीति से लेकर देश की मुख्यधारा की राजनीति तक का तजुर्बा
  • केंद्र के अनेक मंत्रालयों को संभालने का अनुभव
नई दिल्ली:

वेंकैया नायडू ने देश के 13वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण कर ली. अगले पांच साल तक वे देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद पर आसीन रहेंगे. माना जा रहा है कि नायडू उप राष्ट्रपति के रूप में सफल साबित होंगे. उनका लंबा अनुभव उन्हें मददगार साबित हो सकता है. वेंकैया नायडू क्यों हो सकते हैं सफल उप राष्ट्रपति, इसके बारे में पांच प्रमुख कारण इस प्रकार हैं-    

शीर्ष नेतृत्व के हमेशा से चहेते
बीजेपी के नेता रहे वेंकैया नायडू पार्टी के सत्ता में होते हुए भी और सत्ता से बाहर होने पर भी हर दौर में पार्टी के केंद्र में रहे हैं. अटलबिहारी वाजपेयी सरकार का दौर हो या फिर मौजूदा मोदी सरकार का दौर, वेंकैया अपनी योग्यता से हमेशा ही शिखर पर रहे हैं. वेंकैया नायडू में वाकचातुर्य और रिश्तों में सामंजस्य बिठाने की अद्भुत प्रतिभा है. इसी प्रतिभा के कारण वे वाजपेयी और आडवाणी से लेकर नरेंद्र मोदी तक के करीबी बने रहे हैं. एनडीए ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए अगर उत्तर से रामनाथ कोविंद का नाम चुना तो दक्षिण से सिर्फ एक ही नाम आया वेंकैया नायडू का. उनके नाम पर किसी को आपत्ति नहीं थी. यहां तक कि विपक्षी दलों में से भी कई ने उनका समर्थन किया. सबको साथ लेकर चलने का उनका गुण उन्हें आगे भी सफल बनाएगा.

राज्यसभा का लंबा कार्यकाल
उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू को राज्यसभा का लंबा अनुभव है. वे साल 1998 से लगातार उच्च सदन के सदस्य हैं. उप राष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होते हैं और सदन की कार्यवाही में उनकी अहम भूमिका होती है. राज्यसभा के संचालन की जिम्मेदारी इस अहम संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति की होती है. वेंकैया नायडू के लंबे अनुभव को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने उन्हें इस पद के लिए योग्य पाया. निश्चित ही उनका राज्यसभा का दीर्घ अनुभव उन्हें सफल कार्यकाल देने में मददगार साबित होगा.

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अहम जिम्मेदारियां निभाने का अनुभव
बीजेपी के सत्ता में रहते हुए वेंकैया नायडू ने कई बड़ी जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन किया है. वे बीजेपी के अध्यक्ष रहे हैं और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे हैं. वेंकैया नायडू वाजपेयी सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री रहे तो वर्तमान की मोदी सरकार में भी उन्होंने शहरी विकास मंत्री के तौर पर काम किया. इसके अलावा कई अन्य मंत्रालयों का प्रभार भी उनके पास रहा. अलग-अलग मंत्रालयों की जिम्मेदारियां निभाने का अनुभव उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू के लिए आगे मददगार होगा   

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संगठनात्मक नेतृत्व का लंबा अनुभव
वेंकैया नायडू को संगठनात्मक नेतृत्व का भी लंबा अनुभव है. छात्र राजनीति से अपना राजनीतिक करियर शुरू करने वाले नायडू सन 1974 में आंध्र विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए थे. उन्होंने  नेल्लोर के आंदोलन में हिस्सा लिया और विजयवाड़ा के आंदोलन का नेतृत्व किया. वे सत्तर के दशक में जेपी के आंदोलन से जुड़ गए थे. आपातकाल के दौर के बाद उनका जुड़ाव जनता जनता पार्टी से हो गया. सन 1977 से 1980 तक वे जनता पार्टी की युवा शाखा के अध्यक्ष रहे. बाद में वे भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता बने. नायडू 1993 से 2000 तक बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव भी रहे. वर्ष 2002 में उनको बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया. नेतृत्व का यह सुदीर्घ अनुभव नायडू को सफल उप राष्ट्रपति बना सकता है.

VIDEO : उप राष्ट्रपति का चुनाव



दक्षिण भारत का समर्थन
दक्षिण भारत में वेंकैया नायडू एक कद्दावर नेता के रूप में पहचाने जाते हैं. बीजेपी दक्षिण भारत में अपना जनाधार बढ़ाने की कोशिश कर रही है. वेंकैया नायडू के उपराष्ट्रपति चुने जाने से जहां दक्षिण भारत से केंद्र सरकार को समर्थन मिला है वहीं बीजेपी के लिए भी लिए भी राह आसान होने की स्थित बनने की संभावना बनी है. आंध्र प्रदेश में तो वेंकैया को विपक्षी दलों का समर्थन भी मिला. वेंकैया को दक्षिण भारतीय दलों का सहयोग सफल बना सकता है.


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