
देश में अब स्वदेशी तकनीक पर विकसित भारत फोरकास्ट सिस्टम (Bharat Forecast System) आ गया है. इस सिस्टम से मौसम की भविष्यवाणी पहले की तुलना में और भी सटीक तरीके से की जा सकेगी, जिससे आंधी, तफान, बारिश, गर्मी समेत हर मौसम के बारे में सटीक और क्षेत्रवार भविष्यवाणी करने में मदद मिलेगी. आंधी-तूफान जैसी आपदा के बारे में पहले से पता लगाकर होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकेगा. भारत फोरकास्ट सिस्टम कैसे काम करेगा और कैसे यह मौसम की सटीक जानकारी देगा, हर एक बात डिटेल में जानें.
भारत फोरकास्ट सिस्टम कैसे करेगा काम?
भारत फोरकास्ट सिस्टम का रिजोल्यूशन पहले की तुलना में काफी बेहतर है. इसकी मदद से मौसम का समय से पहले और सटीक आकलन करना आसान हो जाएगा. तूफान और बारिश जैसी आपदा के बारे में समय से पहले जानकारी मिलने से नुकसान को बहुत हद तक कम किया जा सकेगा. इस तकनीक पर पिछले 3 सालों यानी कि साल 2022 से काम चल रहा था. तीन साल के परीक्षण के बाद इसे लॉन्च किया गया है.
भारत फोरकास्ट सिस्टम से किसे मिलेगा फायदा?
IMD के महानिदेशक डॉक्टर मृत्युंजय महापात्रा के मुताबिक, भारत ऐसा पहला देश है, जो नई तकनीक के जरिए 6 किमी. के दायरे में मौसम का सटीक अनुमान लगा सकेगा. इसका फायदा भारतीय सेना, नेवी और NDRF को भी बखूबी मिलेगा. वहीं किसानों के लिए भी ये बहुत ही कारगर साबित होगा. इससे समय रहते पकी हुई फसल को नुकसान से बचाया जा सकेगा.
भारत फोरकास्ट सिस्टम किसने बनाया?
इस मौसम पूर्वानुमान मॉडल को IITM द्वारा स्वदेशी तकनीक पर विकसित किया गया है. पार्थसारथी मुखोपाध्याय समेत अन्य रिसर्चर्स ने मिलकर विकसित किया है, जिसमें मिला वैज्ञानिकों की टीम भी शामिल है. IITM परिसर में पिछले साल लगाए गए 11.77 पेटाफ्लॉप की क्षमता और 33 पेटाबाइट्स के स्टोरेज वाले नए सुपरकंप्यूटर की मदद से ही यह संभव हो सका है. पार्थसारथी के मुताबिक, पिछले सुपरकंप्यूटर 'प्रत्यूष' को पूर्वानुमान मॉडल चलाने में 10 घंटे तक लगते थे , जबकि आर्क 4 घंटे में ही डेटा-क्रंचिंग कर लेता है.
BFS मॉडल कैसे देगा मौसम की सटीक जानकारी?
भारत फोरकास्ट सिस्टम से 6 किमी. तक के ग्रिड में होने वाली मौसम घटनाओं के बारे में सटीक जानकारी मिल सकेगी. क्यों कि इसका रिज़ॉल्यूशन पहले की तुलना में 6 किमी तक बेहतर है. ये पहले से इस्तेमाल हो रहे ग्लोबल फोरकास्ट सिस्टम (GFS) से दोगुना क्षमता वाला है. पिछले मॉडल 12 किमी.के रेजोल्यूशन पर मौसम का अनुमान लगाता था. लेकिन अब ये घटकर 6 किमी. हो गया है.
कितने घंटे तक के मौसम की सटीक जानकारी?
भारत फोरकास्ट को चलाने के लिए देश भर के 40 डॉपलर मौसम रडार के नेटवर्क से डेटा का इस्तेमाल किया जाएगा. इससे मौसम विभाग को मौसम का स्थानीय पूर्वानुमान जारी करने में मदद मिलेगी. धीरे-धीरे डॉपलर रडार बढ़कर 100 हो जाएंगे. इससे मौसम कार्यालय देश भर का अगले दो घंटों का मौसम पूर्वानुमान जारी कर सकेगा. फिलहाल यूरोपीय, ब्रिटिश और अमेरिकी मौसम कार्यालयों की तरफ से संचालित वैश्विक पूर्वानुमान मॉडल का रिज़ॉल्यूशन 9 किमी से 14 किमी के बीच है.
पूरी दुनिया को मिलेगा मौसम का डेटा
खास बात यह है कि भारत फोरकास्ट से मिलने वाला डेटा भारत पूरी दुनिया के साथ शेयर करेगा. जिससे वहां के रिसर्चर्स भी इसका इस्तेमाल कर सकेंगे. इससे भारत मौसम विज्ञान की दुनिया में एक बड़ा प्लेयर बनकर उभरेगा. इस सिस्टम की मदद से अचानक बदलते मौसम की जानकारी पहले से मिल सकेगी.
भारत की अर्थव्यवस्था पर असर कैसे?
नए आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार की तरफ से कहा गया है कि देश की स्थिर खाद्य मुद्रास्फीति दर पिछले दो सालों से परेशानी बनी हुई है. इसकी बड़ी वजह लगातार होने वाली मौसमी घटनाएं हैं. रिपोर्ट में विज्ञान और पर्यावरण केंद्र (CSE) के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया गया कि 2024 में मौसमी परिस्थितियों की वजह से जितनी फसल खराब हुई, वह पिछले दो सालों की तुलना में ज्यादा थी. रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 और 2024 के बीच, 18 प्रतिशत दिनों में हीटवेव दर्ज की गई थी. जबकि साल 2020 और 2021 में यह 5 प्रतिशत थी.
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