नरेंद्र मोदी की तीसरी सरकार ने शपथ ले ली है. मोदी मंत्रिमंडल में कुल 72 लोगों को शामिल किया गया है. इसमें 30 कैबिनेट मंत्री, पांच राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 36 राज्य मंत्री शामिल हैं. मोदी पहली बार एक ऐसी सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसमें अकेले बीजेपी के पास बहुमत का आंकड़ा नहीं है.ऐसे में मंत्रिमंडल गठन में बीजेपी सहयोगी पार्टियों का विशेष ख्याल रखा है. एनडीए के घटकों को खुश करने के अलावा बीजेपी क्षेत्रीय संतुलन साधने के साथ-साथ समाज के हर वर्ग को जगह देने की कोशिश की है. राष्ट्रपति भवन में होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में नरेंद्र मोदी ने रविवार शाम सवा सात बजे प्रधानमंत्री पद की शपथ ली.
किन नेताओं के पास आया है फोन
जिन लोगों ने शपथ ग्रहण के लिए टेलीफोन आने की पुष्टि की है, उनमें टीडीपी के राम मोहन नायडू, जेडीयू के ललन सिंह और रामनाथ ठाकुर,जेडीएस के एचडी कुमारस्वामी, एलजेपी के चिराग पासवान,हम के जीतनराम मांझी,आरएलडी के जयंत चौधरी,अपना दल की अनुप्रिया पटेल के नाम शामिल हैं. इन लोगों को मंत्री भी बनाया गया है.
किन वरिष्ठ नेताओं को मिली जगह?
दरअसल बीजेपी ने इन नामों के जरिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में संतुलन बनाने की कोशिश की है. वहीं राजनाथ सिंह, अमित शाह, पीयूष गोयल, ज्योतिरादित्य सिंधिया, नितिन गडकरी, अश्वनि वैष्णव, डॉक्टर एस जयशंकर, निर्मला सीतारमण जैसे पुराने लोगों को नए मंत्निमंडल में जगह मिली है.यह भी तय है कि कैबिनेट समिति में शामिल चारों मंत्रालय गृह, रक्षा, वित्त और विदेश बीजेपी अपने ही पास रखेगी. ये मंत्रालय इन लोगों में से ही संभालेंगे.
कैसे खुश होंगे बीजेपी के सहयोगी दल?
नरेंद्र मोदी पहली बार गठबंधन की ऐसी सरकार का नेतृत्व करने जा रहे हैं, जिसमें उनकी पार्टी का बहुमत नहीं है. इस बार एनडीए में बीजेपी के 240 सदस्यों के अलावा टीडीपी के 16 और जेडीयू के 12 सदस्य शामिल हैं. ऐसे में बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने अपने सहयोगी दलों को खुश रखने की भी चुनौती है. इससे इन दोनों दलों को अच्छी संख्या में मंत्रालय मिलने की संभावना है. मोदी की पिछली सरकार में जेडीयू शामिल नहीं हुआ था. वो जीतने मंत्रालय मांग रहा था, बीजेपी ने उतने देने से इनकार कर दिए थे. उस सरकार में बीजेपी के पास स्पष्ट बहुमत था, इसलिए ऐसा संभव हो पाया.लेकिन इस बार शायद ऐसा न होने पाए.वहीं बिहार से सबसे अधिक मंत्री भी बनाए जा सकते हैं, क्योंकि वहां दो तरह की चुनौती है, एक तो जेडीयू और लोजपा (आर) के खुश रखना और दूसरा राज्य में अपना आधार बढाने के लिए अपने नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह देना, क्योंकि बिहार में बड़ी पार्टी होने के बाद भी बीजेपी जेडीयू की जूनियर पार्टी है.बीजेपी वहां अपने दम पर सरकार बनाने की कोशिश कर रही है. यही हाल आंध्र प्रदेश का है, जहां बीजेपी कभी सफल नहीं हो पाई.दक्षिण के इस राज्य में सफल होने के लिए बीजेपी दूसरे दलों पर निर्भर है. ऐसे में आंध्र प्रदेश में से भी अधिक सदस्य मंत्रिमंडल में दिख सकते हैं.
बीजेपी की दक्षिण भारत पर नजर
दक्षिण भारत के कर्नाटक और तेलंगाना को छोड़कर किसी दूसरे राज्य में बीजेपी की उल्लेखनीय मौजदूगी नहीं है. बीजेपी ने इस साल के चुनाव में केरल में एक सीट जीती है.वामपंथ और कांग्रेस के गढ़ में बीजेपी की यह पहली जीत है. वहीं तमिलनाडु में बीजेपी ने अपना वोट शेयर बढ़ाया है. इसे देखते हुए बीजेपी ने नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में दक्षिण के राज्यों को अधिक प्रतिनिधिनत्व देने की कोशिश की है. बीजेपी बहुत समय से दक्षिण भारत में पैर पसारने की कोशिश कर रही है. लेकिन उसे अधिक सफलता नहीं मिली है, जैसा कि उसे उत्तर भारत के राज्यों में मिलती रहती है.
इसके अलावा बीजेपी ने मंत्रिमंडल में क्षेत्रिय संतुलन और अपने छोटे-छोटे सहयोगियों को भी साधने की कोशिश की.इसी के तहत हर सहयोगी दल के सदस्यों को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है. यह स्पष्ट बहुमत न होने का ही दबाव है कि बीजेपी ने इस बार चिराग पासवान और जीतनराम मांझी को भी मंत्री बनाया है. इससे पहले 2019 के चुनाव में चिराग पासवान की लोजपा ने छह सीटों पर जीत दर्ज की थी, लेकिन उनके पिता जी के निधन के बाद उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली थी. बाद में पार्टी में टूट होने के बाद उनके चाचा पशुपति पारस को केंद्रीय मंत्री बनाया गया था. इसी तरह से पहली बार सांसद बने माझी भी कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं. वह अपनी पार्टी के अकेले सदस्य हैं. केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री बनने वाले वो मुशहर जाति के पहले व्यक्ति हैं.
पूर्वोत्तर की कितनी मिलेगी जगह?
इसी तरह से बीजेपी पूर्वोत्तर के आठ राज्यों के अलावा पश्चिम बंगाल के नेताओं की भी मोदी मंत्रिमंडल में मौजूदगी दिख सकती है. बीजेपी पूर्वोत्तर के अपने वरिष्ठ नेताओं सर्वानंद सोनोवाल को मंत्री बनाया है. सोनो असम के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. वहीं अरुणाचल प्रदेश से आने वाले किरेन रिजिजू को भी मंत्री बनाया गया है. वो पिछली सरकार में भी मंत्री थे. पूर्वोत्तर भारत में बीजेपी पिछले काफी समय से अच्छा प्रदर्शन कर रही है.वहीं बीजेपी बंगाल में अपनी मौजूदगी बढ़ाने की लगातार कोशिशें कर रही है, इस वजह से वहां के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजमूदार और शांतनु ठाकुर को मंत्री बनाया गया है. ठाकुर बंगाल के प्रभावशाली मतुआ समुदाय के नेता है. वो नरेंद्र मोदी की पिछली सरकार में भी मंत्री थे.
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