नरेंद्र मोदी सरकार ने पहलगाम की आतंकी घटना के बाद पाकिस्तान और आतंकवाद का रिश्ता बताने और भारत का पक्ष रखने के लिए अलग-अलग देशों में चार सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजे थे. इन्हीं में से एक में हैदराबाद से एमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल थे. यह दल सऊदी अरब, कुवैत, अल्जिरिया और बहरीन की यात्रा पूरी कर भारत लौट आया है.भारत लौटने के बाद असदद्दीन ओवैसी ने एनडीटीवी से बात की.
उन्होंने बताया कि मैंने जिन देशों की यात्राएं कि उनमें से सऊदी अरब, कुवैत और बहरीन में राजतंत्र है तो अल्जीरिया में लोकतंत्र है. ऐसे में इन चार देशों में दो तरह की व्यवस्थाएं थीं. हमने इन देशों को यह बताने की कोशिश की कि कैसे पाकिस्तान सालों साल से भारत में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान यह झूठ बोलता है कि वह एक मुस्लिम देश है. हमने इन देशों को बताया कि भारत 24 करोड़ मुसलमान रहते हैं.ओवैसी ने कहा कि हमने इन देशों को यह भी बताया था कि आतंकवाद एक ऐसी आग है, जो सबको अपनी चपेट में ले सकता है.
हैदराबाद में लगे पोस्टरों पर क्या बोले ओवैसी
उन्होंने कहा कि उनके दल के नेता विजयंत पांडा ने बहुत अच्छे से बातों को इन देशों के सामने रखा. उन्होंने कहा कि पांडा ने प्रतिनिधिमंडल के बाकी के सदस्यों को भी बोलने का मौका दिया. उन्होंने कहा कि एक सांसद के तौर पर सरकार ने हमें देश का पक्ष रखने का मौका दिया था, इस जिम्मेदारी को हमने ईमानदारी से निभाने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि हमने कोई बड़ा काम नहीं किया.

बहरीन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देता भारत से गए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य.
भारत वापसी के बाद हैदराबाद में अपने सम्मान में लगे पोस्टरों के सवाल पर ओवैसी ने कहा कि उनके लिए यह शर्मनाक बात है.उन्होंने कहा कि इस तरह के पोस्टर नहीं लगने चाहिए थे. लेकिन उनकी पार्टी के किसी समर्थक ने ऐसे पोस्टर लगा दिए हैं. उन्होंने कहा कि जिस काम पर वो गए थे वह किसी एक व्यक्ति नहीं बल्कि 130 करोड़ लोगों का मसला है, यह किसी पार्टी का मसला नहीं था. उन्होंने कहा कि हमारे काम के बाद कोई ईमेज बनाना इस पूरे मिशन की तौहीन होगी. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस तरह के पोस्टर लगाए गए. उन्होंने कहा कि भारत में लोकतंत्र है और लोगों को मेरी आलोचना करने का हक है. उन्होंने कहा कि यह हमारे ऊपर देश का एहसान है कि हमें विदेश में जाकर अपने देश की बात रखने और पाकिस्तान के झूठ को बेनकाब करने का मौका मिला.
संसद का विशेष सत्र या सर्वदलीय बैठक की मांग
पहलगाम आतंकी हमले और भारत की ओर से चलाए गए 'ऑपरेशन सिंदूर'पर संसद का विशेष सत्र या सर्वदलीय बैठक बुलाने के सवाल पर ओवैसी ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री सर्वदलीय बैठक बुलाते हैं तो यह बहुत अच्छी बात होगी. उन्होंने कहा कि संसद के मानसून सत्र की तारीखें आ गई हैं, इसलिए मुझे उम्मीद है कि आने वाले सत्र में इस विषय पर चर्चा होगी. उन्होंने कहा कि वो चाहते हैं कि इस विषय पर संसद में खुलकर बहस हो.उन्होंने कहा कि अगर सरकार चाहे तो इस पर इन कैमरा चर्चा कराई जा सकती है, जिसका सीधा प्रसारण न हो. उन्होंने कहा कि वो सरकार से पूछेंगे कि पहलगाम आतंकी हमले का दोषी कौन है, जिन चार आतंकवादियों ने हमला किया, वो अबतक गिरफ्तार नहीं हुए हैं. देश में इस हमले के लिए कौन जिम्मेदार है.

अल्जीरिया के विदेश मंत्रालय के अधिकारियों से मिलता भारतीय प्रतिनिधिमंडल.
पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में डालने की मांग क्यों की
ओवैसी ने जिन देशों की यात्रा कि वो आर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कंट्रीज (ओआईसी) का हिस्सा है. पाकिस्तान भी इस संगठन का सदस्य है. इस प्रतिनिधिमंडल ने इन देशों में ही पाकिस्तान का बेनकाब किया.प्रतिनिधिमंडल ने इन देशों का पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में डालने के लिए समझाने की कोशिश की. ओवैसी ने बताया बहरीन में तीन लाख भारतीय, कुवैत में करीब 10 लाख और सऊदी अरब में करीब 47 लाख और अल्जीरिया में करीब पांच हजार भारतीय रहते हैं. ये देश एफएटीएफ के सदस्य है. उन्होंने कहा कि अल्जीरिया सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य बनने वाला है, इसलिए यह दौरा काफी महत्वपूर्ण था. हमने इन देशों को बताया कि पहलगाम हमले की जिम्मेदारी लेने वाले ईमेल को पाकिस्तान के एक सैन्य ठिकाने के बगल से भेजा गया था.
हमने इन देशों को बताया कि पाकिस्तान ने आईएमएफ से दो अरब डॉलर का लोन लिया है, विश्व बैंक से 40 अरब डॉलर का और सऊदी अरब से 2022-23 में दो अरब डॉलर का लिया था और अब 12-13 अरब डॉलर का लोन मिलने जा रहा, हमने उनसे पूछा कि ये पैसा जा कहां रहा है. हमने पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में डालने की मांग इसलिए की कि लोन में मिलने वाला पैसा सेना के जरिए आतंकवादी गुटों के पास न जाने पाए. उन्होंने कहा कि हमने बहुत से तथ्य और आंकड़े इन देशों के सामने रखे हैं. हम जिन देशों में गए थे वो प्रवासी भारतीयों की बहुत इज्जत करते हैं. उनकी तारीफ करते हैं. भारतीय कंपनियों का इन देशों में निवेश भी है. उन्होंने कहा कि अब फॉलोअप की जिम्मेदारी सरकार की है.
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