
- यमुना नदी का जलस्तर ओल्ड रेलवे ब्रिज के पास खतरे के निशान से नीचे आकर 205.22 मीटर दर्ज किया गया.
- निचले इलाकों में भारी जलभराव के कारण लोग अस्थायी शिविरों में शिफ्ट किए गए थे और अब घर लौटने लगे हैं.
- निगमबोध श्मशान घाट में पानी भरने से अंतिम संस्कार बंद थे, पर जलस्तर घटने के बाद पुनः शुरू हो गए हैं.
दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर घटने के साथ हालात धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगे हैं. ओल्ड रेलवे ब्रिज (लोहे का पुल) के पास सोमवार सुबह 10 बजे जलस्तर 205.22 मीटर दर्ज किया गया, जो खतरे के निशान से नीचे है. यमुना का जलस्तर 2 सितंबर को पहली बार डेंजर लेवल पार कर 205.64 मीटर तक पहुंचा था. 4 सितंबर की सुबह 7 बजे यह बढ़कर 207.48 मीटर तक पहुंच गया था. इसके चलते निचले इलाकों में भारी जलभराव हुआ और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करना पड़ा।
निगमबोध घाट पर अंतिम संस्कार शुरू
निगमबोध श्मशान घाट में भी पानी घुस जाने से कई दिनों तक अंतिम संस्कार पर रोक लगानी पड़ी थी. अब पानी घटने के बाद यहाँ फिर से चिताओं का अंतिम संस्कार शुरू हो गया है और व्यवस्था सामान्य हो रही है.
लोग लौटने लगे घर
यमुना के निचले और किनारे के इलाकों में रहने वाले लोग अस्थायी शिविरों में शिफ्ट किए गए थे. अब इनमें से कुछ परिवार घरों की ओर लौटने लगे हैं. यमुना बाजार का इलाका सबसे अधिक प्रभावित रहा, जहां पानी 10–12 फीट तक भर गया था. NDRF ने बोट्स से लोगों को रेस्क्यू कर मोरी गेट शिविरों में शिफ्ट किया था. अब गाद और कीचड़ साफ होने तक ज़्यादातर लोग वहीं रह रहे हैं. हालांकि प्रशासन ने खाने-पीने और शौचालय की व्यवस्था की है लेकिन उस्मानपुर के पास पुश्ता में रह रहे लोगों ने रात में बिजली न होने और महिलाओं के लिए शौचालय की कमी जैसी शिकायतें की हैं.

बाजार और दुकानों में नुकसान
मोनैस्ट्री मार्केट और मजनू का टीला इलाक़े में भी पानी भरने से दुकानों को काफी नुकसान हुआ. पानी अब धीरे-धीरे कम हो रहा है, लेकिन सामान खराब हो चुका है. प्रभावित परिवारों को मजनू का टीला में ठहराने की व्यवस्था की गई.

उम्मीद की किरण
यमुना का जलस्तर घटने के साथ हालात सुधर रहे हैं. रेलवे ब्रिज पर ट्रेनें दोबारा चल पड़ी हैं, जबकि लोहे के पुल पर वाहनों की आवाजाही अब भी रोकी हुई है. लोगों की जिंदगी पटरी पर लौट रही है और उम्मीद है कि दिल्ली जल्द ही अपनी पुरानी रफ़्तार पकड़ लेगी.
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