‘रैन्समवेयर वानाक्राई’ के साइबर दुनिया में हमले से हडकंप मचा हुआ है
नई दिल्ली:
साइबर वायरस ‘रैन्समवेयर वानाक्राई’ के हमले से इस समय पूरी दुनिया में हडकंप मचा हुआ है. हर कोई अपनी साइबर सुरक्षा को मजबूत करने में लगा हुआ है, यहां तक कि विश्व की प्रमुख सॉफ्टवेयर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने कहा कि 150 देशों में हुए 'रैन्समवेयर' साइबर हमले को चेतावनी के तौर पर देखा जाना चाहिए. लेकिन भारत में इस हमले के बारे में कोई रिपोर्ट नहीं आई है.
भारत की साइबर सुरक्षा इकाई ‘सीईआरटी-इन’ने कहा कि उसे भारत के महत्वपूर्ण कंप्यूटर नेटवर्कों पर विश्व भर में तेजी से फैल रहे ‘रैन्समवेयर वानाक्राई’ के साइबर हमलों की कोई औपचारिक रिपोर्ट नहीं मिली है.
‘वानाक्राई’ कंप्यूटर को बुरी तरह से प्रभावित करता है और उस पर फाइलों तक पहुंचने के रास्ते को लॉक कर देता है. साइबर अपराधियों ने इसे खोलने (अनलॉक करने) के लिए 300 डॉलर ‘बिटक्वाइन’ (क्रिप्टो करेंसी) की मांग की है. हालांकि, अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि मांग की रकम अदा करने पर आपका नेटवर्क इस वायरस से मुक्त हो जाता है या नहीं.
भारत हाई अलर्ट पर है, बैंकिंग, दूरसंचार, बिजली और विमानन जैसे क्षेत्रों में कंप्यूटर नेटवर्कों की निगरानी की जा रही है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि इस हमले से कंप्यूटर बचे रहे. ‘वानाक्राई’ ने पिछले शुक्रवार को 150 से अधिक देशों को अपना शिकार बनाया है.
भारतीय कंप्यूटर आपात प्रतिक्रिया टीम (सीईआरटी-इन) के महानिदेशक संजय बहल ने बताया कि अब तक, हर चीज सामान्य दिख रही है. सीईआरटी-इन के पास कोई रिपोर्ट नहीं आई है. वह माइक्रोसॉफ्ट और अन्य के संपर्क में हैं. यहां तक कि उन्हें कोई रिपोर्ट नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि साइबर सुरक्षा के बारे में सूचना पर सरकार के पोर्टल ‘साइबर स्वच्छता केंद्र’को शनिवार से नियमित आधार पर अपडेट किया जा रहा.
‘वानाक्राई’ ने रूस और ब्रिटेन सहित 150 से अधिक देशों में कंप्यूटर नेटवर्कों को प्रभावित किया है तथा इसे इतिहास के सर्वाधिक व्यापक रूप से फैले साइबर हमलों में एक बताया जा रहा है.
वैश्विक सुरक्षा रिपोटरें में भारत को सर्वाधिक प्रभावित देशों में गिना जा रहा है, वहीं सार्वजनिक और निजी एंजेंसियां किसी संभावित हमले से अपने कंप्यूटर को बचाने को लेकर सुरक्षा कवच (फायरवाल) तैयार करने के लिए दिन रात काम कर रही हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को इससे खतरा है क्योंकि देश में काफी संख्या में कंप्यूटर ‘एक्सपी’ जैसे माइक्रोसॉफ्ट के पुराने ऑपरेटिंग सिस्टम से संचालित हो रहे हैं और उन्हें अब तक अपडेट नहीं किया गया है.
उन्होंने चेतवानी दी कि इसके अलावा देश में धड़ल्ले से होने वाली पाइरेसी, बगैर लाइसेंस के सॉफ्टवेयर का अत्यधिक इस्तेमाल हालात को बदतर कर सकता है. बैंक, हवाईअड्डा, दूरसंचार नेटवर्क और स्टॉक बाजारों सहित अहम बुनियादी एजेंसियों को सीईआरटी-इन सलाह दे रहा कि वे रैन्समवेयर हमले के खिलाफ एहतियात बरते.
भारत में आंध्र प्रदेश पुलिस के कुछ सिस्टम शनिवार को प्रभावित होने की रिपोर्ट मिली थी, हालांकि सीईआरटी- इन ने कहा कि ये कंप्यूटर अलग थलग थे और नेटवर्क पर नहीं थे.
उधर, विश्व की प्रमुख सॉफ्टवेयर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट का कहना है कि 150 देशों में शुक्रवार को हुए 'रैन्समवेयर' साइबर हमले को चेतावनी के तौर पर देखा जाना चाहिए. माइक्रोसॉफ्ट के अध्यक्ष और मुख्य कानूनी अधिकारी ब्रैड स्मिथ ने रविवार को बयान जारी कर कंप्यूटर प्रणालियों में सुरक्षा खामियों की जानकारियों को छिपाकर रखने वाली सरकारों की आलोचना की.
अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का कहना है कि व्यापक पैमाने पर हुआ साइबर हमला माइक्रोसॉफ्ट विंडोज में खामी की वजह से हुआ.
(इनपुट PTI/IANS से)
भारत की साइबर सुरक्षा इकाई ‘सीईआरटी-इन’ने कहा कि उसे भारत के महत्वपूर्ण कंप्यूटर नेटवर्कों पर विश्व भर में तेजी से फैल रहे ‘रैन्समवेयर वानाक्राई’ के साइबर हमलों की कोई औपचारिक रिपोर्ट नहीं मिली है.
‘वानाक्राई’ कंप्यूटर को बुरी तरह से प्रभावित करता है और उस पर फाइलों तक पहुंचने के रास्ते को लॉक कर देता है. साइबर अपराधियों ने इसे खोलने (अनलॉक करने) के लिए 300 डॉलर ‘बिटक्वाइन’ (क्रिप्टो करेंसी) की मांग की है. हालांकि, अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि मांग की रकम अदा करने पर आपका नेटवर्क इस वायरस से मुक्त हो जाता है या नहीं.
भारत हाई अलर्ट पर है, बैंकिंग, दूरसंचार, बिजली और विमानन जैसे क्षेत्रों में कंप्यूटर नेटवर्कों की निगरानी की जा रही है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि इस हमले से कंप्यूटर बचे रहे. ‘वानाक्राई’ ने पिछले शुक्रवार को 150 से अधिक देशों को अपना शिकार बनाया है.
भारतीय कंप्यूटर आपात प्रतिक्रिया टीम (सीईआरटी-इन) के महानिदेशक संजय बहल ने बताया कि अब तक, हर चीज सामान्य दिख रही है. सीईआरटी-इन के पास कोई रिपोर्ट नहीं आई है. वह माइक्रोसॉफ्ट और अन्य के संपर्क में हैं. यहां तक कि उन्हें कोई रिपोर्ट नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि साइबर सुरक्षा के बारे में सूचना पर सरकार के पोर्टल ‘साइबर स्वच्छता केंद्र’को शनिवार से नियमित आधार पर अपडेट किया जा रहा.
‘वानाक्राई’ ने रूस और ब्रिटेन सहित 150 से अधिक देशों में कंप्यूटर नेटवर्कों को प्रभावित किया है तथा इसे इतिहास के सर्वाधिक व्यापक रूप से फैले साइबर हमलों में एक बताया जा रहा है.
वैश्विक सुरक्षा रिपोटरें में भारत को सर्वाधिक प्रभावित देशों में गिना जा रहा है, वहीं सार्वजनिक और निजी एंजेंसियां किसी संभावित हमले से अपने कंप्यूटर को बचाने को लेकर सुरक्षा कवच (फायरवाल) तैयार करने के लिए दिन रात काम कर रही हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को इससे खतरा है क्योंकि देश में काफी संख्या में कंप्यूटर ‘एक्सपी’ जैसे माइक्रोसॉफ्ट के पुराने ऑपरेटिंग सिस्टम से संचालित हो रहे हैं और उन्हें अब तक अपडेट नहीं किया गया है.
उन्होंने चेतवानी दी कि इसके अलावा देश में धड़ल्ले से होने वाली पाइरेसी, बगैर लाइसेंस के सॉफ्टवेयर का अत्यधिक इस्तेमाल हालात को बदतर कर सकता है. बैंक, हवाईअड्डा, दूरसंचार नेटवर्क और स्टॉक बाजारों सहित अहम बुनियादी एजेंसियों को सीईआरटी-इन सलाह दे रहा कि वे रैन्समवेयर हमले के खिलाफ एहतियात बरते.
भारत में आंध्र प्रदेश पुलिस के कुछ सिस्टम शनिवार को प्रभावित होने की रिपोर्ट मिली थी, हालांकि सीईआरटी- इन ने कहा कि ये कंप्यूटर अलग थलग थे और नेटवर्क पर नहीं थे.
उधर, विश्व की प्रमुख सॉफ्टवेयर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट का कहना है कि 150 देशों में शुक्रवार को हुए 'रैन्समवेयर' साइबर हमले को चेतावनी के तौर पर देखा जाना चाहिए. माइक्रोसॉफ्ट के अध्यक्ष और मुख्य कानूनी अधिकारी ब्रैड स्मिथ ने रविवार को बयान जारी कर कंप्यूटर प्रणालियों में सुरक्षा खामियों की जानकारियों को छिपाकर रखने वाली सरकारों की आलोचना की.
अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का कहना है कि व्यापक पैमाने पर हुआ साइबर हमला माइक्रोसॉफ्ट विंडोज में खामी की वजह से हुआ.
(इनपुट PTI/IANS से)
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