राष्ट्रपति भवन में मंगलवार को 2015 से 2018 तक के गांधी शांति पुरस्कार (Gandhi shanti Puraskar) प्रदान किए गए. यह पुरस्कार एक समाजसेवी और चार संस्थाओं को प्रदान किए गए. पुरस्कार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रदान किए. विवेकानंद केंद्र (Vivekananda Center) कन्याकुमारी को 2015 का गांधी शांति पुरस्कार मिला. केंद्र पुरस्कार राशि एक करोड़ रुपये पुलवामा हमले में शहीद (Pulwama Martyrs) हुए भारतीय सैनिकों के परिवारों को दान देगा.
विवेकानंद केंद्र (Vivekananda Center) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पी परमेश्वरन ने पुरस्कार ग्रहण किया. उन्होंने पुरस्कार राशि एक करोड़ रुपये पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों के परिवारों को दान में देने की घोषण की.
सन 2015 से 2018 तक के गांधी शांति पुरस्कार (Gandhi shanti Puraskar) राष्ट्रपति भवन में एक कार्यक्रम में दिए गए. समाजसेवी योहेई सासाकावा को 2018 का, कन्याकुमारी के विवेकानंद केन्द्र (Vivekananda Center) को वर्ष 2015 का, अक्षय पात्र फाउंडेशन और सुलभ इंटरनेशनल को संयुक्त रूप से 2016 का और एकल अभियान ट्रस्ट को 2017 का गांधी शांति पुरस्कार प्रदान किया गया. यह संगठन स्वच्छता, सामुदायिक सेवा और महिला एवं बाल सशक्तिकरण के क्षेत्र में काम कर रहे हैं.
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इस मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तानी सीमा में आतंकी शिविरों पर वायुसेना के हमले का परोक्ष रूप से हवाला देते हुए कहा कि वह माफी चाहते हैं कि उन्हें देर हो गई क्योंकि वह ‘कुछ दूसरे काम' में व्यस्त थे. मोदी ने सुबह करीब 10 बजे अपने आधिकारिक आवास पर सुरक्षा मामले की कैबिनेट समिति (सीसीएस) की बैठक की अध्यक्षता की और फिर राष्ट्रपति भवन पहुंचे जहां 2015-2018 के लिए गांधी शांति पुरस्कार प्रदान किए गए.
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यह पुरस्कार समारोह राष्ट्रपति भवन में 11 बजे आरंभ होना था, लेकिन यह थोड़ी देर से शुरू हुआ. पीएम मोदी ने पुरस्कार समारोह में कहा, ‘‘सबसे पहले मैं देर से पहुंचने के लिए माफी मांगता हूं. कार्यक्रम देर से शुरू हुआ क्योंकि मैं यहां देर से पहुंचा. मैं कुछ दूसरे काम में व्यस्त था और मुझे देर हो गई.''
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गौरतलब है कि भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों ने मंगलवार को तड़के नियंत्रण रेखा के दूसरी ओर पाकिस्तानी हिस्से में कई आतंकी शिविरों पर बमबारी की. सरकार से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि यह कार्रवाई जम्मू कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को आतंकी गुट जैश ए मोहम्मद द्वारा किए गए आत्मघाती हमले के ठीक 12 दिन बाद की गई है. पुलवामा हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे.
(इनपुट भाषा से भी)
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