जयपुर : 1000 साल पुराना राजस्थान के चित्तौड़गढ़ का किला संकट में है। आस-पास हो रहे खनन के कारण किले की इमारतों में दरारें आने लगी हैं। खासकर विजय स्तम्भ में। विजय स्तम्भ चित्तौड़गढ़ किले की सबसे ऐतिहासिक ईमारत है। इसे 1442 में राणा कुम्भा ने बनाया था, युद्ध में हुई अपनी जीत की स्मृति में लेकिन विजय स्तम्भ में भी दरारें पड़ गई हैं। साथ ही कुम्भा महल में भी दरारें दिख रही हैं।
चित्तौड़गढ़ के निवासी जयप्रकाश दशोरा का कहना है कि सरकार को इस ऐतिहासिक इमारत को बचाने के लिए कठोर से कठोर क़दम उठाने चाहिए। लेकिन मुद्दे के राजस्थान विधानसभा में उठने के बाद राजस्थान सरकार अब सतर्क हो गई है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा है कि दुर्ग को बचने के लिए हर तरह का प्रयास किया जाएगा।
एनडीटीवी से बातचीत में मंत्री राजेंद्र राठौर ने बताया कि खनन पट्टों की समीक्षा की जाएगी और दुर्ग के पुनर्वास के लिए योजना बनेगी। उन्होंने कहा, 'मुख्यमंत्री जी ने सदन में आश्वस्त किया है कि चित्तौड़गढ़ के दुर्ग को संरक्षित ही नहीं रखा जाएगा बल्कि उसके पुरातात्विक महत्त्व को देखते हुए उसको और ठीक करने के लिए सरकार सक्रिय रूप से सहयोग करेगी।
पूर्ववर्ती सरकार द्वारा दुर्ग के आस-पास जो खनन पट्टे जारी हुए हैं उनकी भी समीक्षा होगी। लेकिन सवाल ये है कि 2013 में जब राजस्थान हाईकोर्ट ने दुर्ग के 10 किलोमीटर के दायरे में खनन पर रोक लगाने के आदेश दिए थे, तो यहां ब्लास्टिंग करके लाइमस्टोन खनन का काम सरकार की नाक के नीचे कैसे चलता रहा?
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