भारतीय सेना (Indian Army) के लिए विकसित किए जा रहे स्वदेशी जोरावर टैंक ( Zorawar tank) प्रोजेक्ट की आज गुजरात के हजीरा में डीआरडीओ प्रमुख डॉ समीर वी कामत ने समीक्षा की. डीआरडीओ ने यह टैंक पूर्वी लद्दाख सेक्टर में भारतीय सेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए विकसित किया है. इसे खास तौर पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LaC) के पार चीन की ओर से तैनात बल का मुकाबला करने के लिए तैयार किया गया है.
हल्के टैंक जोरावर को डीआरडीओ (DRDO) और लार्सन एंड टूब्रो (L&T) ने संयुक्त रूप से विकसित किया है. कम वजन और मैदान व पहाड़ों पर काम करने की क्षमताओं वाला यह टैंक भारी वजन वाले टी-72 और टी-90 टैंकों की तुलना में पहाड़ों की खड़ी चढ़ाई और नदियों और अन्य जल संरचनाओं को आसानी से पार कर सकता है. समाचार एजेंसी एएनआई ने शनिवार को इस टैंक के परीक्षण का फुटेज जारी किया है.
#WATCH | Exclusive footage of the light tank Zorawar developed jointly by DRDO and Larsen and Toubro. The tank project being developed for the Indian Army was reviewed by DRDO chief Dr Samir V Kamat in Hazira, Gujarat today. The tank has been developed by the DRDO to meet the… pic.twitter.com/bkJHdWkoWo
— ANI (@ANI) July 6, 2024
काफी कम समय में विकसित हुआ टैंक
डीआरडीओ के प्रमुख डॉ कामत के अनुसार सभी परीक्षणों के बाद वर्ष 2027 तक इस टैंक को भारतीय सेना में शामिल किए जाने की उम्मीद है. एलएंडटी के कार्यकारी उपाध्यक्ष अरुण रामचंदानी ने कहा कि संयुक्त विकास मॉडल ने बड़ी सफलता हासिल की है. काफी कम समय में इसे विकसित किया गया है.
प्रोजेक्ट जोरावर के तहत सेना की योजना करीब 17,500 करोड़ रुपये की लागत के 354 स्वदेशी हल्के टैंकों को शामिल करने की है. यह टैंक ऊंचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रों में युद्ध के लिए डिजाइन किए गए हैं. इन 25 टन से कम वजन वाले टैंकों की बेहतर मारक क्षमता है और इनमें सुरक्षा भी मजबूत है.
मौजूदा टैंकों को अपग्रेड किया जा रहा
भारतीय सेना अपने मौजूदा टैंकों को अपग्रेड करने और नए टैंक लाने की तैयारी भी कर रही है. इसके लिए एक मेगा प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है. कुछ दिन पहले लद्दाख में एक टी-72 टैंक दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. अब इन टैंकों को भी अपग्रेड किया जा रहा है. टी-72 में थर्मल साइट, फायर डिटेक्शन एंड सप्रेशन सहित अन्य सिस्टम लगाए जा रहे हैं. रक्षा मंत्रालय ने सेना के बेड़े में शामिल टी-72 टैंकों में 1000 हॉर्सपावर के इंजन लगाने की स्वीकृति दे दी है. इन टैंकों में अभी 780 हॉर्सपावर के इंजन लगे हैं. दूसरी तरफ टी-90एस टैंकों में आटोमैटिक टारगेट ट्रैकर, डिजिटल बैलिस्टिक कंप्यूटर और कमांडर थर्मल इमेजर लगाए जा रहे हैं.
फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल्स का उत्पादन होगा
सेना का इरादा इस साल 57,000 करोड़ रुपये की लागत वाले इस मेगा प्रोजेक्ट के लिए रिक्वेस्ट फार प्रपोजल (RFP) जारी करने का है. इसका लक्ष्य सन 2030 की शुरुआत तक पुराने टी-72 टैंकों का स्थान लेने के लिए 1770 फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल्स (FRCV) का उत्पादन करना है. एफआरसीवी में आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस (AI), ड्रोन इंटीग्रेशन और एक्टिव प्रोटेक्शन सिस्टम जैसी अत्याधुनिक तकनीकों से लैस होंगे. यह व्हीकल नेटवर्क-सेंट्रिक इनवायरांमेंट में जमीन और हवा के सभी तत्वों के साथ तालमेल और इंटीग्रेशन करने में सक्षम होगा.
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