- वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर चर्चा में पीएम मोदी ने इसे स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक बताया
- पीएम मोदी ने वंदे मातरम को अंग्रेजों के खिलाफ आज़ादी की लड़ाई का प्रेरक गीत बताया
- कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने वंदे मातरम को स्वतंत्रता आंदोलन की आत्मा बताया
लोकसभा में ‘वंदे मातरम' की 150वीं वर्षगांठ पर इतिहास, भावनाओं और विचारों से भरी बहस देखने को मिली. जहां पीएम मोदी ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि यह सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम और मातृभूमि की आज़ादी के लिए एक पवित्र संघर्ष का प्रतीक था. इसके बाद कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने इसे आज़ादी की लड़ाई की आत्मा बताते हुए ऐतिहासिक संदर्भ दिए और भाजपा पर इतिहास को फिर से लिखने का आरोप लगाया. वहीं, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि वंदे मातरम् केवल गाने के लिए नहीं, बल्कि निभाने के लिए होना चाहिए. उन्होंने जोर देकर कहा कि यह कोई दिखावा नहीं है और इसे राजनीति का विषय नहीं बनाया जाना चाहिए. वंदे मातरम पर चर्चा के दौरान संसद में क्या वार पलटवार हुए, जानिए
पीएम मोदी ने क्या कुछ कहा-
- संसद का मानसून सत्र चल रहा है, इस दौरान भारत के राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम्' के 150 साल पूरे होने पर चर्चा चल रही है. इस दौरान पीएम मोदी ने वंदे मातरम् की गौरव यात्रा को याद किया. उन्होंने बताया कि अंग्रेजों की साजिश के खिलाफ वंदे मातरम् गाया गया था.
- पीएम मोदी ने लोकसभा में बोलते हुए कहा, "वंदे मातरम् ने 1947 में देश को आजादी दिलाई. वंदे मातरम् के जयघोष में स्वतंत्रता संग्राम का भावनात्मक नेतृत्व था. जब इसपर चर्चा हो रही है, तो यहां पर कोई पक्ष-प्रतिपक्ष नहीं है. हम सभी यहां पर जो बैठे हैं, वास्तव में हमारे लिए रण स्वीकार करने का अवसर है. जिस वंदे मातरम् के कारण आजादी का आंदोलन चला, उसी का परिणाम है कि आज हम यहां पर बैठे हुए हैं. इसलिए हम सभी सांसदों और दलों के लिए यह रण स्वीकार करने का पावन पर्व है."
- उन्होंने कहा, "वंदे मातरम् की जिस भावना ने देश की आजादी की जंग लड़ी, पूरा देश एक स्वर में वंदे मातरम् बोलकर आगे बढ़ा. इससे प्रेरणा लेकर एक बार फिर आगे बढ़ने का अवसर है. देश को साथ लेकर चलें, आजादी के दीवानों ने जो सपने देखे थे, उनको पूरा करने के लिए वंदे मातरम् हम लोगों के लिए प्रेरणा और ऊर्जा बने. 2047 में हम विकसित बनें. इस संकल्प को दोहराने के लिए वंदे मातरम् हमारे लिए बहुत बड़ा अवसर है."
- पीएम मोदी ने राष्ट्रीय गीत के इतिहास के बारे में बताते हुए कहा, "वंदे मातरम् की इस यात्रा की शुरुआत बकीमचंद्र जी ने 1875 में की थी. गीत ऐसे समय में लिखा गया था, जब 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेज सल्तनत बौखलाई हुई थी और कई तरह के जुल्म कर रही थी. अंग्रेज भारत के लोगों को मजबूर कर रहे थे. अंग्रेज अपने राष्ट्रीय गीत को घर-घर पहुंचाने का षड़यंत्र कर रहे थे. ऐसे समय में बकीम दा ने चुनौती दी और ईंट का जवाब पत्थर से दिया। इस तरह वंदे मातरम् का जन्म हुआ."
- उन्होंने कहा, "इसके कुछ वर्ष बाद 1882 में जब उन्होंने 'आनंद मठ' लिखा, तो इस गीत का उसमें समावेश किया गया. वंदे मातरम् ने उस विचार को पुनर्जीवित किया था, जो हजारों वर्ष के भारत की रग-रग में रचा-बसा था. उसी भाव, संस्कारों, संस्कृति और परंपरा को उन्होंने बहुत ही उत्तर शब्दों में उत्तम भाव के साथ वंदे मातरम् के साथ हम सबको बहुत बड़ी सौगात दी थी. वंदे मातरम् सिर्फ राजनीतिक आजादी की लड़ाई का मंत्र नहीं था, यह इससे कहीं अधिक था."
वंदे मातरम को लेकर कांग्रेस पर सरकार पर पलटवार
- लोकसभा में 'वंदे मातरम्' की 150वीं वर्षगांठ पर चल रही विशेष चर्चा के दौरान सोमवार को कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि आज का दिन भारतीय इतिहास और स्वतंत्रता आंदोलन की याद दिलाने वाला है, क्योंकि वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं, बल्कि आजादी की लड़ाई की आत्मा था.
- गौरव गोगोई ने कहा, "मैं वंदे मातरम् की 150वीं जयंती पर हो रही इस अहम चर्चा में भाग ले रहा हूं। बंगाल की पवित्र भूमि में एक अद्भुत शक्ति है. यही भूमि हमें राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत, दोनों देती है. उस समय के कवियों और लेखकों ने ऐसे गीत रचे, जिनसे स्वतंत्रता सेनानियों को अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाने की ताकत मिली."
- उन्होंने याद दिलाया कि आजादी की लड़ाई के दिनों में कई नारे और गीत थे, जिन्होंने क्रांतिकारियों में उत्साह भरने का काम किया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने ही 'वंदे मातरम्' को राष्ट्रगीत का दर्जा दिया था. गोगोई ने ऐतिहासिक संदर्भ देते हुए कहा कि 1905 में बनारस में हुए कांग्रेस अधिवेशन में वंदे मातरम् का सार्वजनिक प्रदर्शन हुआ था. इसी गीत के माध्यम से भारतीयों में आत्मविश्वास और साहस बढ़ा.
- सांसद गोगोई ने प्रधानमंत्री मोदी के भाषण पर भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा, "मैंने पीएम मोदी का भाषण ध्यान से सुना। ऐसा लग रहा था, जैसे वे यह दिखाना चाहते हों कि उनके राजनीतिक पूर्वज ब्रिटिश शासन के खिलाफ सीधी लड़ाई में शामिल थे। उनके बयान से इतिहास को दोबारा लिखने की कोशिश झलक रही थी." उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री हर भाषण में पंडित नेहरू का नाम लेते हैं, जबकि आप चाहे जितनी कोशिश कर लें, पंडित नेहरू पर एक भी दाग लगाने में सफल नहीं होंगे.
- गोगोई ने कहा कि वंदे मातरम् ब्रिटिश शासन के खिलाफ खड़े होने का प्रतीक था और इसका मूल संदेश यही था कि भारतीय न डरेंगे और न झुकेंगे. उन्होंने भाजपा पर सवाल उठाते हुए कहा, "भारत छोड़ो आंदोलन में आपके राजनीतिक पूर्वज कहां थे? उस समय आप लोग किस आंदोलन में शामिल थे?" गोगोई ने यह भी कहा कि कांग्रेस हमेशा वंदे मातरम् के मूल विचार और भावना को सम्मान देती रही है और आगे भी उसी मार्ग पर चलेगी। वंदे मातरम् की ऐतिहासिक यात्रा और इसके स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को समझना बेहद जरूरी है, क्योंकि यह गीत भारतीयों की सामूहिक शक्ति और एकता का प्रतीक रहा है
अखिलेश यादव ने वंदे मातरम पर क्या बोला
- लोकसभा में ‘वंदे मातरम' की 150वीं वर्षगांठ पर चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी के प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने कहा कि यह सिर्फ गाने के लिए नहीं, बल्कि निभाने के लिए भी होना चाहिए.
- पूर्व उत्तर प्रदेश सीएम अखिलेश यादव ने जोर देकर कहा कि वंदे मातरम कोई दिखावा नहीं है और इसे राजनीति का विषय नहीं बनाया जाना चाहिए. इसके साथ ही अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी पर तंज कसते हुए कहा कि ऐसा लगता है वंदे मातरम् इन्हीं का बनवाया हुआ गाना है.
- अखिलेश यादव ने संसद में आज़ादी के दौर का ज़िक्र करते हुए कहा, “सरफरोश लोग वंदे मातरम दिल से बोलते थे, वहीं कुछ लोग अंग्रेजों के लिए जासूसी का काम करते थे.” सपा प्रमुख ने कहा कि हमें उन्हें याद करना चाहिए जो हमें ऐसा गीत देकर गए, जिसने न सिर्फ लोगों को जागरूक किया बल्कि लोगों में उत्साह भी भरा. जिस समय अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी जा रही थी तब हमें वंदे मातरम ताकत देता था. हमें एकजुट करने का माध्यम बना उसके 150 साल पूरे हो रहे हैं.
- सपा प्रमुख ने आगे कहा कि जिस समय कलकत्ता के कांग्रेस के अधिवेशन में रवींद्र टेगौर ने गाना गया, उसके बाद से ये आम लोगों के बीच पहुंच गया. जब कभी भी लोगों को अंग्रेजों के खिलाफ जोड़ना होता था, तब इसी से लोगों को जोड़ा जाता था. हमारा कोई भी आंदोलन रहा हो उसमें भी हम इसी नारे के साथ चले. इससे लोग इतने एकजुट हुए कि अंग्रेज घबराने लगे. इतना घबराए कि जहां भी नारा लगा वहां लोगों को जेल भेजा जाना लगा. जिस समय बंगाल में बच्चों ने इसे स्कूल में गाया तब भी उनके खिलाफ मुकदमा कर उन्हें जेल भेजा.
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