प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
उत्तराखंड के यमकेश्वर में शराब की दुकान खोलने के लिए एसडीएम एक वीडियो में लोगों को धमकाते दिख रहे हैं. यमकेश्वर और लैंन्सडाउन के एसडीएम कमलेश मेहता इस वीडियो में गांव के लोगों को "नेतागिरी" न करने को रह रहे हैं और "चुनौती" दे रहे हैं कि दुकान खोलने से रोकें. इसी वीडियो में एक महिला उनसे विनती करती दिखाई दे रही है.
एनडीटीवी इंडिया से बातचीत में मेहता ने वीडियो की पुष्टि की और कहा कि शराब की दुकान संवैधानिक तरीके से आवंटित की गई है और अगर शराब की दुकान नहीं खुली तो लोग जहरीली शराब पी सकते हैं.
उत्तराखंड के गांवों में शराब के खिलाफ लोगों और खास तौर से महिलाओं का विरोध कोई नई बात नहीं है. यहां शराब का प्रकोप और शराब बंदी के लिए संघर्ष दिखता रहा है. बताया जाता है कि पिछले एक साल से गांव वाले शराब की दुकान का विरोध कर रहे हैं. लेकिन एसडीएम ने एनडीटीवी इंडिया से कहा कि कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ की वजह से दुकान नहीं खुलने दे रहे.
VEDEO : जहरीली शराब से 10 की मौत
जब हमने एसडीएम मेहता से पूछा कि शराब कोई ज़रूरी सामग्री नहीं है और लोगों का विरोध होने के बाद भी उसे क्यों खोला जा रहा है तो एसडीएम ने कहा, "ये लोगों का नहीं बल्कि कुछ लोगों का ही विरोध है. शराब की दुकान कानूनी रूप से आवंटित हुई और जब एक जगह विरोध हुआ तो हमने दूसरी जगह इसके लिए चिन्हित की. लेकिन कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिए विरोध कर रहे हैं. सबको खानपान की आज़ादी है और शराब की दुकान एक सरकारी नीति के तहत खुल रही है और अगर दुकान नहीं खुलेगी तो लोग ज़हरीली शराब पी सकते हैं."
एनडीटीवी इंडिया से बातचीत में मेहता ने वीडियो की पुष्टि की और कहा कि शराब की दुकान संवैधानिक तरीके से आवंटित की गई है और अगर शराब की दुकान नहीं खुली तो लोग जहरीली शराब पी सकते हैं.
उत्तराखंड के गांवों में शराब के खिलाफ लोगों और खास तौर से महिलाओं का विरोध कोई नई बात नहीं है. यहां शराब का प्रकोप और शराब बंदी के लिए संघर्ष दिखता रहा है. बताया जाता है कि पिछले एक साल से गांव वाले शराब की दुकान का विरोध कर रहे हैं. लेकिन एसडीएम ने एनडीटीवी इंडिया से कहा कि कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ की वजह से दुकान नहीं खुलने दे रहे.
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जब हमने एसडीएम मेहता से पूछा कि शराब कोई ज़रूरी सामग्री नहीं है और लोगों का विरोध होने के बाद भी उसे क्यों खोला जा रहा है तो एसडीएम ने कहा, "ये लोगों का नहीं बल्कि कुछ लोगों का ही विरोध है. शराब की दुकान कानूनी रूप से आवंटित हुई और जब एक जगह विरोध हुआ तो हमने दूसरी जगह इसके लिए चिन्हित की. लेकिन कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिए विरोध कर रहे हैं. सबको खानपान की आज़ादी है और शराब की दुकान एक सरकारी नीति के तहत खुल रही है और अगर दुकान नहीं खुलेगी तो लोग ज़हरीली शराब पी सकते हैं."
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