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This Article is From Jul 08, 2022

उत्तर प्रदेश विधान परिषद : संख्याबल कम होने की वजह से सपा ने गंवाया नेता प्रतिपक्ष का पद

विधान परिषद (Legislative Assembly) में सपा नेता (SP Leader) लाल बिहारी यादव ने सभापति के फैसले को गलत बताया है. कहा कि विधान परिषद के सभापति द्वारा नेता प्रतिपक्ष की मान्यता समाप्त करना गैर कानूनी(illegal), नियमों के विपरीत और असंवैधानिक है.

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उत्तर प्रदेश विधान परिषद : संख्याबल कम होने की वजह से सपा ने गंवाया नेता प्रतिपक्ष का पद
यूपी विधान परिषद में संख्याबल कम होने के चलते सपा को नेता प्रतिपक्ष का पद गंवाना पड़ा है. (फाइल फोटो)
लखनऊ:

उत्तर प्रदेश विधानपरिषद(Uttar Pradesh Legislative Council) के 12 सदस्यों का कार्यकाल सात जुलाई को समाप्त होने के बाद समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के सदस्यों की संख्या राज्य विधायिका के उच्च सदन में घटकर 10 के नीचे आ गई है. इसकी वजह से पार्टी को सदन में नेता प्रतिपक्ष का पद गंवाना पड़ा. उत्तर प्रदेश विधानपरिषद के प्रमुख सचिव राजेश सिंह द्वारा बृहस्पतिवार को जारी एक बयान के मुताबिक, ‘27 मई को विधान परिषद में सपा 11 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी पार्टी थी और साथ ही गणपूर्ति (कोरम) हेतु भी सक्षम थी. इसकी वजह से पार्टी के सदस्य लाल बिहारी यादव को नेता प्रतिपक्ष के तौर पर मान्यता प्रदान की गई थी.'

सिंह ने बताया, ‘सात जुलाई को विधान परिषद में सपा के सदस्यों की संख्या घटकर नौ रह गई, जो 100 सदस्यीय विधान परिषद की प्रक्रिया तथा कार्य-संचालन नियमावली के अनुसार गणपूर्ति की संख्या-10 से कम है. इसलिए विधान परिषद के सभापति ने मुख्य विरोधी दल सपा के लाल बिहारी यादव को नेता प्रतिपक्ष के तौर पर मिली मान्यता तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी है. हालांकि, उनकी सदन में सपा के नेता के तौर पर मान्यता बरकरार रहेगी.'

विधान परिषद में सपा के नेता फैसले को बताया गलत  
विधान परिषद में सपा के नेता लाल बिहारी यादव ने शुक्रवार को सभापति के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ‘विधान परिषद के सभापति द्वारा नेता प्रतिपक्ष की मान्यता समाप्त करना गैर कानूनी, नियमों के विपरीत और असंवैधानिक है.' यहां जारी एक बयान में यादव ने नियमों का हवाला देते हुए सभापति के फैसले को गलत ठहराते हुए कहा कि ''नेता प्रतिपक्ष सदन में संपूर्ण विपक्ष का नेता होता है. समाजवादी पार्टी बड़ी पार्टी है; लेकिन नियमों का गलत हवाला देकर नेता प्रतिपक्ष की मान्यता समाप्त करना लोकतंत्र को कमजोर एवं कलंकित करने वाला कदम है.'

उन्होंने आरोप लगाया कि ‘यह सदन में विपक्ष की आवाज को दबाने और कमजोर करने की साजिश है. सभापति जी का यह फैसला लोकतंत्र की हत्या और नियम कानूनों की धज्जियां उड़ाने वाला प्रतीत होता है.'इस बारे में विधान परिषद के पूर्व नेता प्रतिपक्ष और सपा नेता संजय लाठर ने कहा, ‘सदन में सबसे बड़ी पार्टी के नेता को नेता प्रतिपक्ष बनाया जाता है, चूंकि समाजवादी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी हैं; इसलिए उसे नेता प्रतिपक्ष का पद दिया जाना चाहिए.'उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इस मामले पर अदालत का दरवाजा खटखटायेगी.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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