दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को रियल एस्टेट कारोबारियों सुशील और गोपाल अंसल द्वारा दायर उन अपीलों पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया जिनमें 1997 में उपहार सिनेमा अग्निकांड से संबंधित एक मामले में सबूतों के साथ छेड़छाड़ के लिए सात साल जेल की सजा को चुनौती दी गई है.
जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 18 जुलाई के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया. उपहार त्रासदी पीड़ित संघ (एवीयूटी) की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा ने अदालत को बताया कि इरादा केवल दस्तावेजों और अदालती रिकॉर्ड से छेड़छाड़ तक ही सीमित नहीं था, बल्कि मुख्य उपहार मामले में सुशील अंसल, गोपाल अंसल और एच. एस. पंवार को बरी कराने के लिए भी था.
अदालत ने अदालत के पूर्व कर्मचारी दिनेश चंद शर्मा और दो अन्य – पी. पी. बत्रा और अनूप सिंह द्वारा दायर अपीलों पर भी आदेश सुरक्षित रखा. इन लोगों को भी सात-सात साल की जेल की सजा सुनाई गई थी और प्रत्येक पर तीन-तीन लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था.
अदालत ने अंसल पर 2.25 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया था.
सबूतों के साथ छेड़छाड़ का मामला 20 जुलाई, 2002 को सामने आया था, जिसके बाद दिनेश चंद शर्मा के विरूद्ध विभागीय जांच शुरू की गई थी एवं उसे निलंबित कर दिया था. शर्मा को 25 जून, 2004 को बर्खास्त कर दिया गया था.
गौरतलब है कि उपहार सिनेमाघर में 13 जून, 1997 के दिन ‘बॉर्डर' फिल्म के प्रदर्शन के दौरान आग लगी थी और 59 लोगों की मौत हो गई थी.
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