लखनऊ:
उत्तर प्रदेश की राजनीतिक सरगर्मी एकदम से बढ़ा देने वाले मुजफ्फरनगर दंगों के कारण 16 सितंबर से शुरू होने वाले विधानमंडल के दोनों सदनों की कार्यवाही इसकी भेंट चढ़ सकती है। दंगों के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनकी पार्टी विपक्षी दलों की साजिश बता रही है जबकि कांग्रेस और बसपा इसे सपा और भाजपा का प्रायोजित खेल बता रहे हैं। उधर, भाजपा का कहना है कि सपा मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति कर रही है।
कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता प्रदीप माथुर ने कहा कि कांग्रेस इस मामले को मानसून सत्र के पहले ही दिन जोरदार ढंग से उठाएगी। जहां तक उनकी जानकारी है, देश के बंटवारे के समय 1947 में शायद सेना गांव में गई हो। दंगे को नियंत्रित करने के लिए उत्तर प्रदेश में पहली बार सेना लगाई गई है। उन्होंने कहा कि शासन प्रशासन दंगों को समय रहते नियंत्रित करने में पूरी तरह असफल रहा। पूर्ण बहुमत होने के बावजूद सरकार कमजोर है। अधिकारियों को नियंत्रित नहीं कर पा रही है। सुशासन नाम की चीज नहीं रह गई है। वोट के लिए सपा और भाजपा गंदी राजनीति कर रहे हैं। कांग्रेस दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर सदन में विरोध से नहीं हिचकेगी।
वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कहा कि दंगों को लेकर भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं पर फर्जी मुकदमे कायम किए जा रहे हैं। निर्दोषों को फंसाया जा रहा है।
पार्टी इसे जोरदार ढंग से उठाएगी। भाजपा विधानमंडल दल के नेता हुकुम सिंह समेत पार्टी के चार विधायक भी दंगा भड़काने के आरोप में नामजद किए गए हैं। फर्जी मुकदमों की वापसी के साथ ही मुकदमों की समीक्षा और फर्जी ढंग से जेल भेजे गए लोगों की रिहाई की मांग को लेकर भाजपा सदन में अपना पक्ष मजबूती से रखेगी।
बसपा महासचिव और विधानसभा में विपक्ष के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि सरकार पूरी तरह असफल है, इसलिए उत्तर प्रदेश में तत्काल राष्ट्रपति शासन लगना चाहिए। उनका कहना है कि सपा और भाजपा मिले हुए हैं। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मतों का ध्रुवीकरण कराने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि लाशों पर राजनीति करने वालों को बेनकाब किया जाएगा। दंगा पीड़ितों को राहत दिलाने के लिए और सरकार को कठघरे में खड़ा करने के लिए बसपा सदन में मामले को जोरदार ढंग से उठाएगी।
दूसरी ओर, सत्तारूढ़ सपा ने दंगों के लिए विपक्षी दलों को जिम्मेदार ठहराया है।
राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के प्रदेश अध्यक्ष मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि प्रभावित क्षेत्र में उनकी पार्टी काफी सक्रिय है। रालोद दंगों के मामले को सदन में जोरदार ढंग से उठाएगी।
सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का कहना है कि न्यायिक जांच में 'दूध का दूध और पानी का पानी' हो जाएगा। दंगों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। सदन में विपक्षी दलों के जवाब के लिए सरकार तैयार है। उन्होंने कहा कि लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों को तत्काल हटाया गया। बिना देर किए हुए सेना बुला ली गई। इतने त्वरित काम की वजह से ही दंगों पर समय रहते काबू पा लिया गया जिससे और जन-धन की हानि बच गई।
कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता प्रदीप माथुर ने कहा कि कांग्रेस इस मामले को मानसून सत्र के पहले ही दिन जोरदार ढंग से उठाएगी। जहां तक उनकी जानकारी है, देश के बंटवारे के समय 1947 में शायद सेना गांव में गई हो। दंगे को नियंत्रित करने के लिए उत्तर प्रदेश में पहली बार सेना लगाई गई है। उन्होंने कहा कि शासन प्रशासन दंगों को समय रहते नियंत्रित करने में पूरी तरह असफल रहा। पूर्ण बहुमत होने के बावजूद सरकार कमजोर है। अधिकारियों को नियंत्रित नहीं कर पा रही है। सुशासन नाम की चीज नहीं रह गई है। वोट के लिए सपा और भाजपा गंदी राजनीति कर रहे हैं। कांग्रेस दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर सदन में विरोध से नहीं हिचकेगी।
वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कहा कि दंगों को लेकर भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं पर फर्जी मुकदमे कायम किए जा रहे हैं। निर्दोषों को फंसाया जा रहा है।
पार्टी इसे जोरदार ढंग से उठाएगी। भाजपा विधानमंडल दल के नेता हुकुम सिंह समेत पार्टी के चार विधायक भी दंगा भड़काने के आरोप में नामजद किए गए हैं। फर्जी मुकदमों की वापसी के साथ ही मुकदमों की समीक्षा और फर्जी ढंग से जेल भेजे गए लोगों की रिहाई की मांग को लेकर भाजपा सदन में अपना पक्ष मजबूती से रखेगी।
बसपा महासचिव और विधानसभा में विपक्ष के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि सरकार पूरी तरह असफल है, इसलिए उत्तर प्रदेश में तत्काल राष्ट्रपति शासन लगना चाहिए। उनका कहना है कि सपा और भाजपा मिले हुए हैं। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मतों का ध्रुवीकरण कराने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि लाशों पर राजनीति करने वालों को बेनकाब किया जाएगा। दंगा पीड़ितों को राहत दिलाने के लिए और सरकार को कठघरे में खड़ा करने के लिए बसपा सदन में मामले को जोरदार ढंग से उठाएगी।
दूसरी ओर, सत्तारूढ़ सपा ने दंगों के लिए विपक्षी दलों को जिम्मेदार ठहराया है।
राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के प्रदेश अध्यक्ष मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि प्रभावित क्षेत्र में उनकी पार्टी काफी सक्रिय है। रालोद दंगों के मामले को सदन में जोरदार ढंग से उठाएगी।
सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का कहना है कि न्यायिक जांच में 'दूध का दूध और पानी का पानी' हो जाएगा। दंगों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। सदन में विपक्षी दलों के जवाब के लिए सरकार तैयार है। उन्होंने कहा कि लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों को तत्काल हटाया गया। बिना देर किए हुए सेना बुला ली गई। इतने त्वरित काम की वजह से ही दंगों पर समय रहते काबू पा लिया गया जिससे और जन-धन की हानि बच गई।
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