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This Article is From Jul 23, 2022

सम्मेलन के दौरान केंद्रीय मंत्री मुरलीधरन और विपक्षी नेताओं के बीच हुई तकरार

इस सम्मेलन में वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण, कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा, राष्ट्रीय जनता दल के नेता मनोज कुमार झा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता जॉन ब्रितास, भारतीय जनता पार्टी के नेता स्वप्न दासगुप्ता तथा नागरिक अधिकार सक्रियतावादी योगेंद्र यादव मौजूद थे.

सम्मेलन के दौरान केंद्रीय मंत्री मुरलीधरन और विपक्षी नेताओं के बीच हुई तकरार
समाजवादी नेता एम. पी. वीरेंद्र कुमार की जयंती पर एक सम्मेलन आयोजित किया गया था.
नई दिल्ली:

केंद्रीय मंत्री वी. मुरलीधरन ने शुक्रवार को एक सम्मेलन के दौरान विपक्षी दलों को आंतरिक लोकतंत्र पर और प्रतिभावान लोगों को प्रोत्साहन देने समेत कई सुझाव दिए तथा “अत्यावश्यक कार्य” होने की बात कह कर वहां से जल्द चले गए, जिसपर अन्य प्रतिभागियों ने विरोध प्रकट किया. मातृभूमि मीडिया समूह के अध्यक्ष एवं समाजवादी नेता एम. पी. वीरेंद्र कुमार की 86वीं जयंती के अवसर पर आयोजित एक सम्मेलन में विदेश एवं संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुरलीधरन ने अपने विचार रखे.

इस सम्मेलन में वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण, कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा, राष्ट्रीय जनता दल के नेता मनोज कुमार झा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता जॉन ब्रितास, भारतीय जनता पार्टी के नेता स्वप्न दासगुप्ता तथा नागरिक अधिकार सक्रियतावादी योगेंद्र यादव मौजूद थे. मुरलीधरन ने कहा, “वर्तमान परिप्रेक्ष्य में विपक्ष को लगता है कि भारत की कोई भी उपलब्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खाते में जाएगी और इसलिए वह इसकी सराहना नहीं करता. क्या यह लोकतंत्र के लिए अच्छा है.”

मंत्री ने ज्यादातर मलयालम में दिए आधे घंटे के अपने भाषण में कहा कि लोकतंत्र में सभी को आलोचना करने का अधिकार है लेकिन उनके गृह राज्य केरल में मुख्यमंत्री की आलोचना करने पर किसी को जेल में डाला जा सकता है. कांग्रेस पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए उन्होंने कहा कि जब केंद्र सरकार की एजेंसियां कानूनी प्रक्रिया के तहत किसी को पूछताछ के लिए समन भेजती हैं तो लोग देशभर में सड़कों पर उतर कर ‘लोकतंत्र खतरे में है' का नारा लगाते हैं.

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मुरलीधरन जब सम्मेलन से जाने लगे तो खेड़ा और स्वराज अभियान के प्रमुख यादव ने उन्हें रोकने का प्रयास किया और उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों का जवाब सुनकर उनसे जाने का आग्रह किया. खेड़ा ने कहा, “सरकार वह सुनना नहीं चाहती जो हमें कहना है. आप इसे लोकतंत्र कहते हैं?” वहीं, भूषण ने अपने मुख्य भाषण में कहा कि लोकतंत्र में धन बल की भूमिका कई गुना बढ़ गई है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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