12 शहरों में मेट्रो रेल नेटवर्क का निर्माण हो रहा है, जिनकी कुल लंबाई 537 किलोमीटर है
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को ऊंची उम्मीदों और राज्यों की आकांक्षाओं को देखते हुए 'मेट्रो रेल नीति 2017' को मंजूरी प्रदान कर दी है. केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इसकी घोषणा की. जेटली ने कहा कि वर्तमान में मेट्रो रेल का परिचालन सात शहरों में कुल 370 किलोमीटर की लाइन पर हो रहा है और इसका तेजी से विस्तार हो रहा है.
वित्त मंत्री ने कहा कि 12 शहरों में मेट्रो रेल नेटवर्क का निर्माण हो रहा है, जिनकी कुल लंबाई 537 किलोमीटर है, जबकि करीब 600 किलोमीटर की परियोजनाओं पर विचार हो रहा है.
यह भी पढ़ें: दिल्ली मेट्रो में मार्च 2018 तक दो लाख ज्यादा यात्री कर सकेंगे सफर
यह नीति अनेक मेट्रो संचालनों में बड़े पैमाने पर निजी निवेश का द्वार खोलने में सहायक होगी और इस नीति के अंतर्गत कंद्रीय सहायता प्राप्त करने के लिए पीपीपी मॉडल को अनिवार्य बनाया गया है. निजी निवेश तथा मेट्रो परियोजनाओं के वित्तीय पोषण के नए तरीकों को अनिवार्य बनाया गया है, ताकि पूंजी लागत वाली परियोजनाओं के लिए संसाधन की बड़ी मांग पूरी की जा सके.
यह भी पढ़ें: मुंबई: हाईकोर्ट ने दिए रात में मेट्रो निर्माण का काम नहीं करने के आदेश
इस नीति में कहा गया है कि केन्द्रीय वित्तीय सहायता की इच्छुक सभी मेट्रो रेल परियोजनाओं में सम्पूर्ण प्रावधान के लिए या कुछ अलग-अलग घटकों के लिए निजी भागीदारी आवश्यक है. ऐसा निजी संसाधनों, विशेषज्ञता और उद्यमिता को हासिल करने के लिए किया गया है.
नयी नीति राज्यों को इस बात का अधिकार देती है कि वे कायदे-कानून बना सकेंगे और किरायों में समय से संशोधन के लिए स्थायी किराया निर्धारण प्राधिकरण गठित कर सकेंगे. राज्य केंद्रीय सहायता प्राप्त करने के लिए तीन विकल्पों में से किसी भी विकल्प का उपयोग करके मेट्रो परियोजनाएं शुरू कर सकते है.
VIDEO: हुगली नदी के नीचे से गुज़रेगी मेट्रो ट्रेन
इस वक्त मेट्रो आठ राज्यों में कुल 370 किलोमीटर की मेट्रो परियोजनाएं चालू हैं. इन में दिल्ली (217 किलोमीटर), बेंगलुरु (42.30 किलोमीटर), कोलकाता (27.39 किलोमीटर), चेन्नई (27.36 किलोमीटर), कोच्चि (13.30 किलोमीटर), मुंबई (मेट्रो लाइन 1-11.40 किलोमीटर, मोनो रेल फेज 1-9.0), जयपुर (9.00 किलोमीटर) और गुड़गांव (रैपिड मैट़ो 1.60 किलोमीटर) शामिल हैं. इसके अलावा कुल 13 राज्यों में 537 किलोमीटर लम्बाई की मेट्रो परियोजनाओं का काम चल रहा है.
(इनपुट भाषा से भी)
वित्त मंत्री ने कहा कि 12 शहरों में मेट्रो रेल नेटवर्क का निर्माण हो रहा है, जिनकी कुल लंबाई 537 किलोमीटर है, जबकि करीब 600 किलोमीटर की परियोजनाओं पर विचार हो रहा है.
यह भी पढ़ें: दिल्ली मेट्रो में मार्च 2018 तक दो लाख ज्यादा यात्री कर सकेंगे सफर
यह नीति अनेक मेट्रो संचालनों में बड़े पैमाने पर निजी निवेश का द्वार खोलने में सहायक होगी और इस नीति के अंतर्गत कंद्रीय सहायता प्राप्त करने के लिए पीपीपी मॉडल को अनिवार्य बनाया गया है. निजी निवेश तथा मेट्रो परियोजनाओं के वित्तीय पोषण के नए तरीकों को अनिवार्य बनाया गया है, ताकि पूंजी लागत वाली परियोजनाओं के लिए संसाधन की बड़ी मांग पूरी की जा सके.
यह भी पढ़ें: मुंबई: हाईकोर्ट ने दिए रात में मेट्रो निर्माण का काम नहीं करने के आदेश
इस नीति में कहा गया है कि केन्द्रीय वित्तीय सहायता की इच्छुक सभी मेट्रो रेल परियोजनाओं में सम्पूर्ण प्रावधान के लिए या कुछ अलग-अलग घटकों के लिए निजी भागीदारी आवश्यक है. ऐसा निजी संसाधनों, विशेषज्ञता और उद्यमिता को हासिल करने के लिए किया गया है.
नयी नीति राज्यों को इस बात का अधिकार देती है कि वे कायदे-कानून बना सकेंगे और किरायों में समय से संशोधन के लिए स्थायी किराया निर्धारण प्राधिकरण गठित कर सकेंगे. राज्य केंद्रीय सहायता प्राप्त करने के लिए तीन विकल्पों में से किसी भी विकल्प का उपयोग करके मेट्रो परियोजनाएं शुरू कर सकते है.
VIDEO: हुगली नदी के नीचे से गुज़रेगी मेट्रो ट्रेन
इस वक्त मेट्रो आठ राज्यों में कुल 370 किलोमीटर की मेट्रो परियोजनाएं चालू हैं. इन में दिल्ली (217 किलोमीटर), बेंगलुरु (42.30 किलोमीटर), कोलकाता (27.39 किलोमीटर), चेन्नई (27.36 किलोमीटर), कोच्चि (13.30 किलोमीटर), मुंबई (मेट्रो लाइन 1-11.40 किलोमीटर, मोनो रेल फेज 1-9.0), जयपुर (9.00 किलोमीटर) और गुड़गांव (रैपिड मैट़ो 1.60 किलोमीटर) शामिल हैं. इसके अलावा कुल 13 राज्यों में 537 किलोमीटर लम्बाई की मेट्रो परियोजनाओं का काम चल रहा है.
(इनपुट भाषा से भी)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं