गुवाहाटी:
प्रतिबंधित युनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) और केंद्र सरकार के बीच मंगलवार को नई दिल्ली में शांति वार्ता का एक महत्वपूर्ण दौर शुरू हुआ। केंद्र सरकार के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व केंद्रीय गृह सचिव आरके सिंह ने किया, जबकि उल्फा के छह सदस्यीय दल ने इसके प्रमुख अरविंद राजखोवा के नेतृत्व में वार्ता में शिरकत की। वार्ता केंद्रीय गृह मंत्रालय के नार्थ ब्लॉक दफ्तर में हुई। बैठक में वार्ताकार पीसी हलदर भी शामिल थे। अधिकारियों के मुताबिक, वार्ता में उल्फा की मांगों पर चर्चा की जाएगी। उल्फा की मांगों में असम के तीव्र एवं संतुलित विकास के अतिरिक्त राज्य को अपने प्राकृतिक संसाधनों एवं राजस्व उगाही का अधिकार देने, योजना प्रक्रिया में उसकी हिस्सेदारी सुनिश्चित करने और सुरक्षित भौगोलिक स्थिति प्रदान करने के लिए संविधान में संशोधन करने की बातें शामिल हैं। वार्ता से पहले राजखोवा ने संवाददाताओं से कहा कि वह क्षेत्र के लोगों की काफी समय से लम्बित मांगों और उनकी इच्छाओं के बारे में बताएंगे। उल्लेखनीय है कि उल्फा के नेताओं को जमानत पर रिहा किए जाने के बाद साल की शुरुआत में उसके और केंद्र सरकार के बीच संघर्ष विराम को लेकर सहमति बनी थी। स्वतंत्र असम की मांग को लेकर उल्फा 1979 से सक्रिय है। पिछले तीन दशक में सरकार और उग्रवादियों के बीच संघर्ष में कम से कम 10,000 लोग मारे गए हैं। उल्फा के फरार कमांडर इन चीफ परेश बरुआ ने हालांकि बातचीत को खारिज किया है। ईमेल से भेजे गए बयान में बरुआ ने कहा है, "हम शांति वार्ता को समर्थन नहीं दे सकते, क्योंकि राजखोवा के नेतृत्व वाला उल्फा का नेतृत्व हमारे दुश्मन (सरकार) के दबाव में है।" राजखोवा का हालांकि कहना है कि बरुआ शांति वार्ता के खिलाफ नहीं हैं।
This Article is From Oct 25, 2011