राज्यसभा में आतंकवाद के खिलाफ UAPA संशोधन बिल पास हो गया है. इसको प्रवर समिति में भेजने का प्रस्ताव वोटिंग के दौरान गिर गया. इस बिल पर चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि उन्हें आप(बीजेपी) पर शक है. कांग्रेस ने कभी आतंकवाद से समझौता नहीं किया है इसलिए यह बिल लेकर आई थी. लेकिन आपने दो बार आतंकवाद से समझौता किया है पहले रुबिया सईद को छुड़वाने में फिर मसूद अजहर को छोड़ा गया. इससे पहले कांग्रेस के राज्यसभा सांसद पी. चिदंबरम ने कहा अगर कोई इस बिल में में संशोधन देखें तो इसे NIA को और शक्ति देने की बात कही जाती है लेकिन अब इस रूप में पास कर रहे हैं कि अब किसी को भी आतंकवाद घोषित किया जा सकेगा इसलिए हम इस बिल का विरोध कर रहे हैं. पी. चिदंबरम ने कहा, '2008 में जब मैं गृहमंत्री था तो मैंने कहा था कि आतंकवाद खिलाफ तीन पैरों पर खड़ा होगा. पहला एनआईए, दूसरा NATGRID और तीसरा एनटीसी. लेकिन अब हमारे पास सिर्फ एक पैर है. NATGRID और एनसीटीसी कहां हैं'. माकपा के इलामारम करीम ने कहा कि ‘‘सरकारी आतंकवाद'' थोपा जा रहा है और असहमति जताने वालों को आतंकवादी घोषित किया जा सकता है. ‘‘इससे बड़े पैमाने पर उत्पीड़न और अन्याय होगा.'' उन्होंने कहा कि इस संशोधन से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को किसी भी राज्य सरकार की अनुमति लिए बिना या उसे सूचित किए बिना उस राज्य में जाने तथा किसी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने का खुला लाइसेंस मिल जाएगा.
Home Minister Amit Shah in Rajya Sabha: Chidambaram ji asked why to name an individual as a terrorist when the organization they are affiliated to is already banned. It is because we ban one org, another one comes up by same individuals. Till when will we keep banning orgs? #UAPA pic.twitter.com/0inu9k8Zzx
— ANI (@ANI) August 2, 2019
आरजेडी के मनोज कुमार झा ने कहा कि किसी को भी आतंकवादी कह देना बहुत आसान होता है लेकिन देखना चाहिए कि इसके बाद उस व्यक्ति की जिंदगी और उसका परिवार किस तरह के हालात का सामना करता है. संशोधन विधेयक के प्रावधानों को कठोर बताते हुए झा ने कहा कि यह विधेयक उस विचारधारा का संकेत करता है कि ‘‘अगर मैं सरकार की आलोचना करता हूं तो मैं राष्ट्रविरोधी कहलाऊंगा.''
Digvijaya Singh in Rajya Sabha on #UAPABill : We doubt their(BJP) intent. Congress never compromised on terrorism that is why we had brought this law. It is you who compromised on terror, once during release of Rubaiya Saeed ji and second by letting off Masood Azhar. pic.twitter.com/12e2pgZCNw
— ANI (@ANI) August 2, 2019
उन्होंने बताया कि 1947 में प्रख्यात समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया को तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने हिरासत में ले लिया था और पंडित जवाहर लाल नेहरू के आग्रह के बावजूद उन्हें छोड़ने से यह कहते हुए मना कर दिया था कि ‘‘कानून अपना काम करेगा.'' झा ने कहा कि अगर आतंकवादी होने के आरोप में पकड़ा गया व्यक्ति 15-16 साल बाद बेकसूर साबित होता है और रिहा होता है तब सवाल यह उठता है कि ‘‘उसके 15-16 साल उसे कैसे लौटाए जाएं.
P Chidambaram in Rajya Sabha: In 2008 when I took over as Home Minister, I said anti-terrorism will stand on three legs- one is NIA, one is NATGRID and one is NCTC. We have only one leg today, what have you done about NATGRID and NCTC? Why are they in limbo? https://t.co/9R85xdB8Vb
— ANI (@ANI) August 2, 2019
इसके बाद चर्चा का जवाब देते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, 'चिदंबरम जी की आपत्ति है कि किसी व्यक्ति विशेष को आतंकवादी घोषित क्यों किया जाए जब उस उसके संगठन को बैन किया जा चुका हो. दरअसल हम जब किसी संगठन को बैन करते हैं तो वह किसी दूसरे नाम से संगठन बनाकर आ जाता है. हम कब तक संगठनों को बैन करते रहेंगे'. अमित शाह ने आगे कहा कि दिग्विजय सिंह जी गुस्से में लग रहे हैं. हाल ही में वह चुनाव हारे हैं. NIA के तीन केसों में किसी को भी सजा नहीं हुई है. क्योंकि यह सभी आरोप राजनीतिक प्रतिशोध के चलते लगाए गए थे और आतंकवाद को किसी धर्म विशेष से जोड़ने की कोशिश थी.
इनपुट : भाषा, एएनआई
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