कथित वीजा गिरोह मामले में गिरफ्तार नौसेना के दो अधिकारी अपराध के ‘सरगना' थे. पुलिस ने शुक्रवार को अदालत में उनकी हिरासत अवधि बढ़ाने का अनुरोध करते हुए यह दावा किया. मजिस्ट्रेट अदालत ने दलीलें सुनने के बाद लेफ्टिनेंट कमांडर विपिन डागर और उप लेफ्टिनेंट ब्रह्म ज्योति की पुलिस हिरासत नौ जुलाई तक के लिए बढ़ा दी.
नौसेना के दो अधिकारियों के अलावा सिमरन तेजी, रवि कुमार और दीपक मेहरा उर्फ डोगरा को मामले में आरोपी बनाया गया है और उन्हें पकड़ लिया गया है.
पुलिस ने आरोपियों की पुलिस हिरासत बढ़ाने का अनुरोध करते हुए अदालत से कहा कि नौसेना के दोनों अधिकारी गिरोह के सरगना थे. पुलिस ने बताया कि डागर और ज्योति ने विशाखापत्तनम में मुहर बनाने की मशीन तब खरीदी जब वे वहां पर पदस्थ थे और इसका इस्तेमाल वे वीजा आवेदन के लिए आवश्यक फर्जी दस्तावेज बनाने के लिए करते थे.
आरोपियों की हिरासत अवधि बढ़ाने के लिए दाखिल अर्जी में दावा किया गया कि आरोपियों ने फर्जी दस्तावेजों की मदद से कई लोगों को दक्षिण कोरिया के अलावा भी कई अन्य देशों में भेजा और यह उनके खाते में आए पैसों से भी स्पष्ट होता है.
डागर का पक्ष रखने के लिए पेश हुए अधिवक्ता रवि जाधव ने पुलिस हिरासत की अवधि बढ़ाने का विरोध किया और दावा किया कि उनके मुवक्किल को गलत तरीके से फंसाया गया है और उनके खिलाफ कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है.
ज्योति के वकील रोहन सोनावणे ने कहा कि पुलिस के पास उनके मुवक्किल से पूछताछ के लिए पर्याप्त समय था क्योंकि वह पांच दिन तक उसकी हिरासत में थे. वकील ने कहा कि पुलिस पहले ही मोबाइल फोन, दो सिम कार्ड, पेन ड्राइव, कई डेबिट कार्ड और अन्य दस्तावेज जब्त कर चुकी है और उसे जांच के लिए और हिरासत की जरूरत नहीं है.
मेहरा का पक्ष रखने के लिए पेश हुए अधिवक्ता अजय दुबे ने कहा कि उनके मुवक्किल केवल एजेंट थे जिसने पासपोर्ट को आगे बढ़ाया और वीजा धोखधाड़ी में उनकी कोई भूमिका नहीं है.
पुलिस के मुताबिक विगत एक साल में गिरोह ने कम से कम आठ लोगों को दक्षिण कोरिया भेजा जिनमें से दो को वापस भारत भेज दिया गया.
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