विज्ञापन
This Article is From Nov 29, 2012

तृणमूल के मंत्री को झेलना पड़ा सिंगुर के किसानों का गुस्सा

तृणमूल के मंत्री को झेलना पड़ा सिंगुर के किसानों का गुस्सा
सिंगूर: पश्चिम बंगाल के नए कृषि राज्यमंत्री बीआर मन्ना को सिंगूर में भूमि गंवाने वाले किसानों के आक्रोशपूर्ण विरोध का सामना करना पड़ा। किसानों का कहना था कि अगर उन्हें मालूम होता कि उन्हें उनके भाग्य के सहारे छोड़ दिया जाएगा, तो वे टाटा नैनो परियोजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं होते।

सिंगूर आंदोलन से नजदीक से जुड़े जिले के हरिपाल से तृणमूल कांग्रेस के विधायक मन्ना से लोगों की शिकायत थी, नैनो कार फैक्टरी के लिए हमसे ली गई जमीन के एवज में हम धन चाहते हैं। हमने डेढ़ साल (जब से तृणमूल कांग्रेस सत्ता में आई) तक मुआवजा मिलने का इंतजार किया, लेकिन अब हमें इसके बारे में सुनने को भी नहीं मिलता। अब हमें भीख मांगने के लिए छोड़ दिया गया है।

ये लोग भूमि गंवाने वालों में से थे जिन्होंने अपने जमीन के लिए पूर्ववर्ती वाम मोर्चा सरकार से न तो किसी मुआवजे के लिए दस्तखत किया और न ही कोई मुआवजा लिया है। परियोजना स्थल में शामिल किए गए जमीन वाले स्थान गोपालनगर, बेराबेरी और खासेरबेरी गांव के ये लोग राज्य सरकार द्वारा दिए जाने वाले चावल के कूपन को लेने के लिए बीडीओ कार्यालय के सामने इकट्ठा हुए थे।

कूपन वितरण की देखभाल करने आए मन्ना ने लोगों से कहा कि प्रदेश सरकार सिंगूर के भूमि गंवाने वाले लोगों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के बारे में गंभीर है। उन्होंने कहा, यह तृणमूल कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद प्रभावित लोगों के लिए भूमि पुनर्वास योजना पर पहले मंत्रिमंडलीय फैसले में परिलक्षित है।

मन्ना ने वादा किया, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आपके दुख-दर्द को नहीं भूली हैं। वह शुक्रवार को यहां होंगी...मुझे पूरा विश्वास है कि एक दिन सब कुछ सही हो जाएगा। प्रदेश सरकार ने सिंगूर भूमि पुनर्वास एवं विकास कानून, 2011 को पारित किया है, लेकिन कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक खंडपीठ द्वारा इसे अमान्य घोषित कर दिया गया, जिसके बाद प्रदेश सरकार ने उच्चतम न्यायालय में मामले के संदर्भ में अपील की है, जहां यह मामला लंबित है।

तृणमूल कांग्रेस ने ममता बनर्जी की पहल पर इस कानून को पारित किया था, जिसके तहत अनिच्छुक किसानों के 400 एकड़ भूमि लौटाने की बात की गई थी, जिन किसानों ने छोटी कार परियोजना के लिए अपनी जमीन दी थी। इन अनिच्छुक किसानों ने सिंगूर में अपनी जमीन के लिए कोई मुआवजा भी स्वीकार नहीं किया था।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com