
वित्त मंत्रालय ने 'एम्स' को जांच तथा अन्य इलाज के शुल्क बढ़ाने की सलाह दी है
Quick Take
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1996 से एम्स के शुल्कों में कोई बदलाव नहीं किया गया है
जांच, पर्चा आदि के शुल्क से सालाना 101 करोड़ रुपये इकट्ठा होते हैं
2005 में शुल्क बढ़ाने की कवायद का जमकर विरोध हुआ था
जानकारी के मुताबिक, एम्स ने सरकार से संस्थान के बजट में लगभग 300 करोड़ रुपये का इजाफा करने की मांग की थी. सरकार ने उल्टे संस्थान को यूजर चार्ज बढ़ा कर बजट में खुद ही इजाफा करने की सलाह दी है. वित्त मंत्रालय ने पर्चा बनवाने से लेकर तमाम तरह की जांच और इलाज की फीस बढ़ाने पर एम्स को विचार करने की बात कही है.
एम्स के उपनिदेशक वी. श्रीवास्तव ने भी इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि संस्थान की बैठक में इस बात पर चर्चा हुई थी और शुल्क बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है.
हालांकि कई साल पहले भी एम्स में यूजर चार्ज को बढ़ाने के लिए बात हुई थी, लेकिन खुद डॉक्टरों के विरोध के चलते फैसले को टाल दिया गया. उस समय खून की जांच, अल्ट्रासाउंड तथा रेडियोग्राफी की फीस में 20 से 30 फीसदी के इजाफे की बात कही गई थी. 1996 से एम्स के शुल्कों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. इस समय एम्स विभिन्न जांच तथा पर्चा आदि की फीस से करीब 101 करोड़ रुपये इकट्ठा कर पाता है.
लेकिन इस बार खुद वित्त मंत्रालय ने शुल्क बढ़ाने की सलाह दी है, इसलिए एम्स सूत्र बताते हैं कि फीस में इजाफा होने की संभावना इस बार ज्यादा है. वित्त मंत्रालय का तर्क है कि 20 सालों के दौरान लोगों की आमदनी में बढ़ोत्तरी हुई है, इसलिए शुल्क बढ़ाने से लोगों पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा.
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