नई दिल्ली:
सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने गुरुवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि जवानों को 'पोषक व सुरक्षित' खाद्य प्रदान करना उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी है. जवानों के लिए गुणवत्तापूर्ण खाद्य सामग्री सुनिश्चित करने के उद्देश्य से 'बेहद पारदर्शी प्रणाली' अपनाई जाती है. बीएसएफ के एक अधिकारी ने जनहित याचिका पर दायर एक हलफनामे में कहा, "सीमा सुरक्षा बल अपने जवानों को आपूर्ति की जाने वाली खाद्य सामग्री की समय-समय पर समीक्षा करता है, ताकि इनकी गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके."
इस संबंध में जनहित याचिका नियंत्रण रेखा पर तैनात जवानों को मिलने वाली खाद्य सामग्री की गुणवत्ता की शिकायतों के मद्देनजर दायर की गई थी.
बीएसएफ के कॉन्स्टेबल तेज बहादुर यादव ने बीते 9 जनवरी को सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड किया था, जिसमें जवानों को मिलने वाली खाद्य सामग्री की गुणवत्ता पर सवाल उठाए थे. इसके साथ ही जवान ने कुछ वरिष्ठ अधिकारयों पर जवानों के लिए आपूर्ति की जाने वाली खाद्य सामग्री को गैर-कानूनी ढंग से बेचने का आरोप भी लगाया गया था.
बीएसएफ ने हालांकि खराब गुणवत्ता की खाद्य सामग्रियों की शिकायतों से इनकार करते हुए कहा कि वह अपने जवानों को पोषक खान-पान उपलब्ध कराने और इनकी समुचित खरीद सुनिश्चित करने में पारदर्शिता के लिए सभी प्रयास कर रहा है.
यह जनहित याचिका केंद्र सरकार के पूर्व कर्मचारी पूर्ण चंद आर्य ने दायर की, जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने बीएसएफ व केंद्र सरकार से 27 फरवरी तक जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई के लिए भी उसी दिन की तिथि तय की गई है. जनहित याचिका में केंद्र सरकार से राशन की खरीद और सभी श्रेणी के बीएसएफ कर्मियों को मिलने वाली भोजन सामग्री पर विस्तृत जानकारी मांगी गई है.
बीएसएफ ने अपने हलफनामे में कहा है, "भोजन मेस कमांडर के निरीक्षण में पकाया जाता है और उनके निरीक्षण में ही इसका वितरण भी होता है. मेस कमांडर का चयन कंपनी कमांडर की देखरेख में हर महीने की 25 तारीख को होने वाली बैठक में होता है."
इसमें यह भी कहा गया है कि सभी बीएसएफ प्रतिष्ठानों में जवानों की शिकायतें दर्ज कराने की व्यवस्था है, जिसका निपटारा 60 दिनों के भीतर किए जाने का प्रावधान है. हलफनामे में यह भी कहा गया है कि खाद्य सामग्री की खराब गुणवत्ता की शिकायत करने वाले जवान यादव या बटालियन के किसी अन्य सैनिक ने शिकायत निवारण प्रणाली से संपर्क नहीं किया.
इस संबंध में जनहित याचिका नियंत्रण रेखा पर तैनात जवानों को मिलने वाली खाद्य सामग्री की गुणवत्ता की शिकायतों के मद्देनजर दायर की गई थी.
बीएसएफ के कॉन्स्टेबल तेज बहादुर यादव ने बीते 9 जनवरी को सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड किया था, जिसमें जवानों को मिलने वाली खाद्य सामग्री की गुणवत्ता पर सवाल उठाए थे. इसके साथ ही जवान ने कुछ वरिष्ठ अधिकारयों पर जवानों के लिए आपूर्ति की जाने वाली खाद्य सामग्री को गैर-कानूनी ढंग से बेचने का आरोप भी लगाया गया था.
बीएसएफ ने हालांकि खराब गुणवत्ता की खाद्य सामग्रियों की शिकायतों से इनकार करते हुए कहा कि वह अपने जवानों को पोषक खान-पान उपलब्ध कराने और इनकी समुचित खरीद सुनिश्चित करने में पारदर्शिता के लिए सभी प्रयास कर रहा है.
यह जनहित याचिका केंद्र सरकार के पूर्व कर्मचारी पूर्ण चंद आर्य ने दायर की, जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने बीएसएफ व केंद्र सरकार से 27 फरवरी तक जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई के लिए भी उसी दिन की तिथि तय की गई है. जनहित याचिका में केंद्र सरकार से राशन की खरीद और सभी श्रेणी के बीएसएफ कर्मियों को मिलने वाली भोजन सामग्री पर विस्तृत जानकारी मांगी गई है.
बीएसएफ ने अपने हलफनामे में कहा है, "भोजन मेस कमांडर के निरीक्षण में पकाया जाता है और उनके निरीक्षण में ही इसका वितरण भी होता है. मेस कमांडर का चयन कंपनी कमांडर की देखरेख में हर महीने की 25 तारीख को होने वाली बैठक में होता है."
इसमें यह भी कहा गया है कि सभी बीएसएफ प्रतिष्ठानों में जवानों की शिकायतें दर्ज कराने की व्यवस्था है, जिसका निपटारा 60 दिनों के भीतर किए जाने का प्रावधान है. हलफनामे में यह भी कहा गया है कि खाद्य सामग्री की खराब गुणवत्ता की शिकायत करने वाले जवान यादव या बटालियन के किसी अन्य सैनिक ने शिकायत निवारण प्रणाली से संपर्क नहीं किया.
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