बेंगलुरु:
विश्व हिन्दू परिषद् ने राज्य की कांग्रेस सरकार के टीपू सुल्तान जयंती मनाने के फैसले के खिलाफ मैसूर, गदक, कोलार, चिकमंगलूर और मंडया ज़िले में बंद और बाक़ी राज्य भर में दोपहर में दो घंटे के लिए रास्ता रोको का आह्वान किया था। बंद का आंशिक असर देखने को मिला। हालांकि मंगलुरू में वीएचपी ने बंद नहीं बुलाया था लेकिन इसका सबसे ज़्यादा असर वहीं दिखा। इसकी वजह गुरुवार रात बंटेवाल में हुई सांप्रदायिक हिंसा है जिसमें एक युवक की मौत हो गयी।
10 नवंबर को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने टीपू सुलतान जयंती का आयोजन किया था। इसके विरोध में वीएचपी के प्रदर्शन के दौरान कूर्ग में संगठन के ज़िला सचिव कुटप्प की मौत हो गई। बाद में गोलियों से घायल एक मुस्लिम युवक ने गुरुवार को मैसूर के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया।
यानी अबतक टीपू सुल्तान विवाद की वजह से तीन लोगों की जानें गई हैं और मंगलुरू और कुर्ग में सांप्रदायिक तनाव बना हुआ है। वीएचपी के कर्नाटक के संयोजक गोपाल जी का कहना है कि जबतक कूर्ग में हुई हिंसा की न्यायिक जांच के आदेश के साथ-साथ वीएचपी कार्यकर्ता कुटप्पा के परिवार वालों को 25 लाख रुपये मुआवज़ा नहीं दिया जाता और सरकार टीपू जयंती के अपने फैसले को वापस नहीं लेती, तबतक वीएचपी और संघ परिवार इसी तरह विरोध प्रदर्शन जारी रखेगा।
वहीं राज्य के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने एनडीटीवी को बताया कि हालात काबू में हैं। लेकिन साथ-साथ ये भी साफ़ किया कि सरकार अपना फैसला नहीं बदलेगी और अगले साल भी इस कार्यक्रम को मनाया जाएगा।
10 नवंबर को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने टीपू सुलतान जयंती का आयोजन किया था। इसके विरोध में वीएचपी के प्रदर्शन के दौरान कूर्ग में संगठन के ज़िला सचिव कुटप्प की मौत हो गई। बाद में गोलियों से घायल एक मुस्लिम युवक ने गुरुवार को मैसूर के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया।
यानी अबतक टीपू सुल्तान विवाद की वजह से तीन लोगों की जानें गई हैं और मंगलुरू और कुर्ग में सांप्रदायिक तनाव बना हुआ है। वीएचपी के कर्नाटक के संयोजक गोपाल जी का कहना है कि जबतक कूर्ग में हुई हिंसा की न्यायिक जांच के आदेश के साथ-साथ वीएचपी कार्यकर्ता कुटप्पा के परिवार वालों को 25 लाख रुपये मुआवज़ा नहीं दिया जाता और सरकार टीपू जयंती के अपने फैसले को वापस नहीं लेती, तबतक वीएचपी और संघ परिवार इसी तरह विरोध प्रदर्शन जारी रखेगा।
वहीं राज्य के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने एनडीटीवी को बताया कि हालात काबू में हैं। लेकिन साथ-साथ ये भी साफ़ किया कि सरकार अपना फैसला नहीं बदलेगी और अगले साल भी इस कार्यक्रम को मनाया जाएगा।
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