एमएम कलबुर्गी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
एक विख्यात लेखक और हम्पी विश्वविद्यालय के पूर्व वाइस चान्सलर एमएम कलबुर्गी मूरती पूजा और कट्टरता की सोच के खिलाफ थे। रविवार को सुबह धारवाड़ में घर में उनकी गोली मार कर हत्या कर दी गई। सोमवार को उनका अंतिम संस्कार किया गया जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। इससे पहले हत्या के विरोध में लोगों ने विरोध प्रदर्शन भी किया जिसमें राज्य की जानीमानी शख्सियतें भी शामिल हुईं।
प्रो कलबुर्गी अपने लेखों की वजह से हमेशा चरमपन्थी हिन्दु संगठनों के निशाने पर रहे। प्रो कलबुर्गी का कहना था कि लिंगायत हिन्दु नहीं होते। स्थानीय लोगों के मुताबिक पहले भी उन्हें कई बार धमकियां मिल चुकी थी। पिछले साल भी इनके घर के बाहर विरोध प्रदर्शन हुए थे। 15 दिन पहले ही उन्होंने मिली हुई सुरक्षा को वापस कर दी थी।
एक नजर बुद्धिजीवियों पर जिनका हुआ है कत्ल :
1. नरेन्द्र धाबोलकर- 2013 में अन्धविश्वास विरोधी नरेन्द्र धाबोलकर की पुणे में सुबह की वॉक के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
2. गोविंद पंसारे- इस साल फरवरी में सामाजिक कार्यकरता और सीपीआई नेता गोविन्द पंसारे की कोल्हापुर में उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई। उन्होंने नाथूराम गोडसे के लिए कहा था कि वो एक राष्ट्रवादी नहीं था।
3. प्रो.एम.एम. कलबुर्गी- 30 अगस्त 2015 को कलबुर्गी की गोली मारकर हत्या कर दी गई। तो क्या प्रो कुलबुर्गी एक तर्कवादी थे, इसलिए उनकी हत्या हुई या कुछ पुरानी दुश्मनी की। उनकी हत्या हमारे समाज के लिए क्या सवाल खड़े करती है। एक मशहूर शख़्सियत का इस तरह से कत्ल हो जाना कर्नाटक के लिए डरावना है।
प्रो कलबुर्गी अपने लेखों की वजह से हमेशा चरमपन्थी हिन्दु संगठनों के निशाने पर रहे। प्रो कलबुर्गी का कहना था कि लिंगायत हिन्दु नहीं होते। स्थानीय लोगों के मुताबिक पहले भी उन्हें कई बार धमकियां मिल चुकी थी। पिछले साल भी इनके घर के बाहर विरोध प्रदर्शन हुए थे। 15 दिन पहले ही उन्होंने मिली हुई सुरक्षा को वापस कर दी थी।
एक नजर बुद्धिजीवियों पर जिनका हुआ है कत्ल :
1. नरेन्द्र धाबोलकर- 2013 में अन्धविश्वास विरोधी नरेन्द्र धाबोलकर की पुणे में सुबह की वॉक के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
2. गोविंद पंसारे- इस साल फरवरी में सामाजिक कार्यकरता और सीपीआई नेता गोविन्द पंसारे की कोल्हापुर में उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई। उन्होंने नाथूराम गोडसे के लिए कहा था कि वो एक राष्ट्रवादी नहीं था।
3. प्रो.एम.एम. कलबुर्गी- 30 अगस्त 2015 को कलबुर्गी की गोली मारकर हत्या कर दी गई। तो क्या प्रो कुलबुर्गी एक तर्कवादी थे, इसलिए उनकी हत्या हुई या कुछ पुरानी दुश्मनी की। उनकी हत्या हमारे समाज के लिए क्या सवाल खड़े करती है। एक मशहूर शख़्सियत का इस तरह से कत्ल हो जाना कर्नाटक के लिए डरावना है।
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