केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने विदेश और गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर अंग प्रतिरोपण के लिए भारत आने वाले विदेशी नागरिकों को देश में इस प्रक्रिया को विनियमित करने वाले दिशानिर्देशों और कानूनी आवश्यकताओं के बारे में जागरूक करने की आवश्यकता पर बल दिया है.
चंद्रा ने 19 जून को गृह सचिव अजय कुमार भल्ला और विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा को लिखे पत्र में कहा, ‘‘अंग प्रतिरोपण के लिए भारत आने वाले इन विदेशी नागरिकों को भारत में अंग प्रतिरोपण की प्रक्रिया को विनियमित करने वाले विशिष्ट दिशा-निर्देशों और कानूनी आवश्यकताओं को समझना आवश्यक है.''
स्वास्थ्य सचिव ने गृह मंत्रालय के अंतर्गत आव्रजन ब्यूरो की वेबसाइट, हवाई अड्डों के साथ-साथ विदेश मंत्रालय तथा विदेश में स्थित भारतीय दूतावासों और मिशन की वेबसाइट पर इन्हें प्रदर्शित करके प्रचार-प्रसार करने का आग्रह किया है.
संदेश में कहा गया है कि किसी भी जीवित भारतीय दाता को किसी विदेशी प्राप्तकर्ता को अपना अंग दान करने की अनुमति नहीं है, जब तक कि वह प्राप्तकर्ता का निकट संबंधी न हो. संदेश में कहा गया है कि भारत में मूल देश के दूतावास के एक वरिष्ठ अधिकारी को फॉर्म 21 के अनुसार दाता और प्राप्तकर्ता के बीच संबंध को प्रमाणित करना आवश्यक है.
यदि किसी देश का भारत में दूतावास नहीं है, तो उस देश की सरकार द्वारा उसी प्रारूप में संबंध का प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा. विदेशी मरीज, जिन्हें प्रतिरोपण के लिए मृतक दाता से अंग की आवश्यकता है, वे भी अपने उपचार करने वाले अस्पताल के माध्यम से भारत में पंजीकरण करवा सकते हैं, जिसके बाद उनका नाम प्रतीक्षा सूची रजिस्ट्री में शामिल किया जाएगा.
हालांकि, ऐसे मामलों में अंग आवंटन पर तभी विचार किया जाएगा, जब उस अंग को लेने के लिए कोई भारतीय मरीज उपलब्ध न हो.
अप्रैल में, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) डॉ. अतुल गोयल ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आग्रह किया था कि वे विदेशियों सहित प्रतिरोपण के सभी मामलों के आंकड़ों का नियमित संग्रह सुनिश्चित करें और मासिक आधार पर राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रतिरोपण संगठन (एनओटीटीओ) के साथ साझा करें.
विदेशी नागरिकों से जुड़े अंगों के व्यापारिक लेन-देन पर खबरों का हवाला देते हुए डॉ. गोयल ने कहा, ‘‘एनओटीटीओ की रजिस्ट्री से यह भी पता चला है कि देश में विदेशियों के अंग प्रतिरोपण की संख्या में वृद्धि हुई है, जिसके लिए संबंधित राज्य या केंद्र शासित प्रदेश सरकार प्राधिकरण द्वारा ऐसे प्रतिरोपणों की निगरानी की आवश्यकता है.''
भाषा आशीष दिलीप
दिलीप
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