समसामयिक विषयों पर कार्टूनों की पहली वेबसाइट 'तीखीमिर्च डॉट कॉम' लॉन्च

वेबसाइट तीखीमिर्च डॉट कॉम पर कार्टूनों के अलावा व्यंग होंगे और कार्टूनिस्टों के जीवन के बारे में जानकारी होगी

समसामयिक विषयों पर कार्टूनों की पहली वेबसाइट 'तीखीमिर्च डॉट कॉम' लॉन्च

तीखी मिर्च डॉट कॉम के लॉन्चिंग समारोह को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने संबोधित किया.

नई दिल्ली :

समसामयिक विषयों पर बने विभिन्न कार्टूनों की पहली वेबसाइट तीखीमिर्च डॉट कॉम (teekhimirch.com) लॉन्च की गई है. इस कार्टून वेबसाइट को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, जाने माने व्यंगकार अशोक चक्रधर और दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने लॉन्च किया. तीखी मिर्च डॉट कॉम वेबसाइट को मशहूर कार्टूनिस्ट इरफान ने तैयार किया है.

इस वेबसाइट में कार्टून के अलावा व्यंग और कार्टूनिस्ट के जीवन के बारे में जानकारी रहेगी. मसलन शंकर, सुधीर तैलंग जैसे भारतीय कार्टूनिस्ट के अलावा इंटरनेशनल कार्टूनिस्टों के जीवन परिचय और उनके कार्टून इस वेबसाइट की सामग्री में शामिल होंगे.

दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि, ''इस वेबसाइट को बनाने में काफी मेहनत की है. पुराने कार्टूनिस्टों के साथ नए कार्टूनिस्टों को भी जगह दी गई.'' 

नितिन गडकरी ने कहा कि, ''कार्टूनिस्ट अंदर से ही कार्टूनिस्ट होता है. उन्होंने कहा कि, पद्मिनी कोल्हापुरी को देखकर हंसने लगा, शरद जोशी की कविता थी 'उनको मिली कोल्लापुरी हमें मिली कोल्हापुरी.' कविता 'बिजली का खंबा' को याद किया पार्लियामेंट में आकर.''  उन्होंने कहा कि, ''बाल ठाकरे जी का आशीर्वाद मिला. वे एक लाइन में व्यंग और कार्टून तैयार कर लेते थे. थोड़ी कला राज ठाकरे में भी है.'' 

गडकरी ने कहा कि, ''व्यंग और कार्टून समाज को जागृत करने के लिए होता है. कार्टूनिस्ट हमारे समाज को सही या गलत दिखाकर हमें सचेत करते हैं. कार्टून बहुत कुछ सिखाते हैं.'' उन्होंने कहा, ''इरफान जी के तीखी मिर्च के कार्टून देखे, दूसरे कार्टूनिस्टों के कार्टून भी हैं, यह बहुत बड़ी बात है. वरना अपने सिवा कोई सोचता ही नहीं है.'' 

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उन्होंने कहा कि, ''हमारा व्यंग जख्मों पर नमक लगाने वाला नहीं होना चाहिए, लेकिन व्यंग समाज को दिशा दिखाने वाला होता है.'' उन्होंने कहा, ''अमिताभ बच्चन के साथ थे, मैंने अमिताभ से पूछा था कि क्या आप फाइटर थे? मैंने पूछा जंजीर में कैसे आपने फाइट किया? वे बोले ट्रेनिंग ली थी. हमें अक्षर में नहीं उसके भाव में जाना चाहिए.  शो एंड शो वाले समाज में बहुत से लोग कार्टून के मर्म को नहीं समझ पाते हैं.''