आम आदमी पार्टी में शीर्ष नेतृत्व के बीच वर्चस्व की लड़ाई का असर राज्य की इकाइयों में दिख रहा है। हरियाणा में पार्टी की कमान फिलहाल योगेन्द्र यादव के हाथ में है। लेकिन केजरीवाल समर्थक धड़ा खुलकर उनकी मुखालफत कर रहा है।
राजनीतिक मामलों की समिति से बेदखल किए जाने के बाद हरियाणा में योगेन्द्र यादव के 'जय किसान आंदोलन' का दूसरा अध्याय शुरू हो गया है। लेकिन 21 फरवरी को गुडगांव में जोशो खरोश से शुरूआत के बाद पार्टी में अंदरूनी कलह का असर पंचकुला में साफ़ नज़र आया।
अम्बाला से बीजेपी सांसद रतन लाल कटारिया के घर उन्हें नमक की थैली भेंट करने योगेन्द्र यादव की अगुवाई में पहुंचे काफिले में वह पहले जैसी बात नहीं थी। लेकिन विवाद को और हवा देने के बजाए योगेन्द्र यादव सुलह के मूड में दिखे। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने केजरीवाल के खिलाफ कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया और कहा कि मैं जानता हूं कि पिछले 4-5 दिन में मीडिया में काफी कुछ चला है, काफी रंग और कीचड़ चला है, अब होली ख़त्म हो गयी है, काम शुरू हो गया है।
केजरीवाल कैंप भी अब इस मसले पर बोलने से बचता नज़र आ रहा है। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस बाबत पूछे जाने पर गोलमोल जवाब ही दिया। लेकिन हरियाणा में केजरीवाल समर्थक योगेन्द्र यादव की मुहीम से जुड़ने के बजाए राज्य इकाई के पुनर्गठन का इंतज़ार कर रहे हैं। रोहतक से पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ चुके केजरीवाल के करीबी नवीन जयहिन्द ने कहा कि योगेन्द्र यादव टेम्पररी प्रभारी हैं, नई कार्यकारणी का गठन होगा तो हो सकता उन्हें बदला जाए, अंतिम फैसला राष्ट्रीय कार्यकारिणी में होगा।
कार्यकर्ताओं की राय भी बंटी हुई है, साथ ही उम्मीद भी है कि संकट जल्द टल जाएगा। पंचकुला के एक कार्यकर्ता ने कहा, 'योगेन्द्र यादव मुख्य और प्रवक्ता भी कह चुके हैं कि सुधरेंगे और सुधारेंगे। पार्टी जल्द ही इस सब से उबरकर दोबारा खड़ी होगी।' वहीं एक अन्य कार्यकर्ता ने अरविन्द केजरीवाल को राष्ट्रीय संयोजक के पद से हटाने की कोशिशों पर सख्त ऐतराज़ जताते हुए कहा कि केजरीवाल बहुत ज़रूरी है, क्योंकि जड़ ही उसने लगाई है, उन्होंने ही ये दरख़्त बनाया है, अगर हम उन्हें ही उखाड़ देंगे तो कैसे चलेगा।
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