तहलका की मैनेजिंग एडिटर शोमा चौधरी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। शोमा इस पत्रिका के संस्थापकों में से एक हैं। यौन हमले का शिकार हुई लड़की ने शोमा पर मामले को रफादफा करने और चरित्र हनन के आरोप लगाए थे।
पीड़ित ने इस्तीफा देते हुए कुछ दिन पहले लिखा था कि जिस तरह के सपोर्ट की उम्मीद तहलका से थी, वह नहीं मिला, शोमा संस्थान को बचाने में लगी रहीं। शोमा ने अपने ई-मेल में यौन दुव्यर्वहार की बात शामिल करने की मांग खारिज कर दी।
ये तमाम आरोप पीड़ित लड़की ने शोमा चौधरी पर लगाए थे, जिसका खंडन बुधवार को शोमा चौधरी ने किया। आज उनके इस्तीफे के साथ ही तहलका को एक और बड़ा झटका लगा है।
शोमा ने इस्तीफे में लिखा कि पिछले एक हफ्ते के दौरान मुझ पर इस मामले को दबाने और एक महिला होकर भी एक महिला के साथ न खड़े होने के आरोप लगते रहे हैं। मैं यह मानती हूं कि मैंने जो कदम उठाए उससे अलग भी कुछ किया जा सकता था, लेकिन मैं मामले को दबाने के आरोपों को पूरी तरह से खारिज करती हूं।
शोमा ने आखिर में लिखा है कि मैं तत्काल प्रभाव से मैनेजिंग एडिटर के पद से इस्तीफा देती हूं। हमारे बहुत सारे पाठक और सहयोगी हैं, जिन्होंने संकट की इस घड़ी में मुझ पर भरोसा रखा और मेरे साथ खड़े रहे, मैं उनकी शुक्रगुजार हूं। मैं बता नहीं सकती कि यह फैसला मेरे लिए कितना दुखदायी है, क्योंकि किसी भी चुनौती को बीच में छोड़ना मेरा स्वभाव नहीं है। मैं चाहती थी कि मैं तहलका में रहते हुए उसे संकट के इस दौर से निकलते देखूं, लेकिन मैं नहीं जानती कि मेरा बने रहना तहलका की मदद कर रहा है या उसे नुकसान पहुंचा रहा है।
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