भारत ने अधिक से अधिक लोगों को पढाई कराने और कुशल कामगार बना कर देश को विकसित अर्थव्यवस्था बनाने के अपने प्रयास के तहत उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात को 2030 तक मौजूदा 27 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है. केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शनिवार को यह जानकारी दी. प्रधान ने कहा कि भारत का 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य कोई 'कल्पनालोक का विचार' नहीं है.
उन्होंने कहा कि देश लोगों के जीवन स्तर और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, परिवहन को सतत और किफायती बनाने तथा आर्थिक अवसरों में अंतर को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है.
सकल नामांकन अनुपात शिक्षा के एक विशिष्ट स्तर पर नामांकन की तुलना उस आयु-समूह की जनसंख्या से करता है जो उस स्तर के लिए सबसे अधिक आयु-उपयुक्त है. मंत्री ने कहा, ‘‘जब अधिक लोग पढ़ेंगे और कुशल कार्यबल बनेंगे तभी हम एक विकसित अर्थव्यवस्था बनेंगे. इसके लिए, भाषा दक्षता उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी अनुसंधान एवं कौशल विकास .''
उन्होंने कहा, ‘‘केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में आठवीं कक्षा तक मातृभाषा आधारित शिक्षा और मातृभाषा में शोध की परिकल्पना की गई है.
उन्होंने कहा, 'अगर हमें मानसिक विकास के वास्तविक वर्षों तक अपनी मातृभाषा में किसी विषय की स्पष्टता मिल जाए, तो हम दुनिया में किसी भी विषय पर महारत हासिल कर सकते हैं.'
उन्होंने कहा कि देश ने 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने का मन बना लिया है. उन्होंने कहा, 'विकसित भारत कोई काल्पनिक विचार या कल्पना का तत्व नहीं है.'
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