घूसकांड मामले में पिछली साल गिरफ्तार किए गए ED अफसर अंकित तिवारी को सुप्रीम कोर्ट (Ankit Tiwari Bribe Case) से बड़ी राहत मिली है. अदालत ने रिश्वत लेने के आरोपी अंकित तिवारी को अंतरिम जमानत दे दी है. अदालत ने कुछ शर्तों के साथ ईडी अफसर को अंतरिम जमानत दी है. कोर्ट ने अंकित तिवारी को तुरंत पासपोर्ट सरेंडर करने का आदेश दिया. इसके साथ अदालत ने उससे गवाहों को प्रभावित नहीं करने और सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करने की शर्तों पर अंतरिम जमानत मंजूर की. सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि अदालत की इजाजत के बिना वह तमिलनाडु से बाहर नहीं जाएगा. अदालत ने इसी शर्त पर अंकित तिवारी को अंतरिम जमानत दी है.
SC ने लगाई थी तमिलनाडु पुलिस की जांच पर रोक
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 25 जनवरी को अंकित तिवारी घूसकांड पर तमिलनाडु पुलिस की आगे की जांच पर रोक लगा दी थी. साथ ही अदालत ने ED की याचिका पर तमिलनाडु सरकार को नोटिस भी जारी किया था. अदालत ने केंद्रीय जांच एजेंसी और राज्य सरकार के बीच रस्साकसी पर चिंता जताते हुए कहा कि राजनीतिक प्रतिशोध की आशंका को खत्म करने के लिए एक पारदर्शी तंत्र की जरूरत है. अदालत ने कहा कि संघवाद के सिद्धांतों से छेड़छाड़ किए बिना मनी लॉन्ड्रिंग जांच के लिए ED के साथ जानकारी साझा करने के लिए राज्यों के लिए गाइडलाइन /तंत्र भी तैयार की जाएगी.
ED ने अंकित तिवारी को ऐसे किया था गिरफ्तार
तमिलनाडु के मदुरै में पदस्थ प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) के अधिकारी अंकित तिवारी को कथित तौर पर 20 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. यह अधिकारी डिंडीगुल जिले में एक सरकारी डॉक्टर से जुड़े आय से अधिक संपत्ति के मामले की जांच कर रहा था. अंकित तिवारी पर इस मामले को छोड़ने के लिए एक करोड़ रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप है. अधिकारियों ने तिवारी को रंगे हाथों पकड़ने के लिए जाल बिछाया था. स्टेट हाईवे पर एक ड्रॉप-ऑफ पॉइंट पर उसने कथित रूप से रिश्वत के पहले हिस्से के रूप में 20 लाख रुपये लिए. इसके बाद उसे हिरासत में ले लिया गया.
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