महिलाओं के प्रति क्रूरता के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि एक महिला, जिसे क्रूरता के कारण अपने वैवाहिक घर से बाहर कर दिया जाता है, वह आरोपियों के खिलाफ उस स्थान पर भी मामला दर्ज कर सकती है, जहां वह शरण लेने के लिए मजबूर है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट कह दिया है कि वहां शिकायत दर्ज कराने की आवश्यकता नहीं है कि जहां उसका वैवाहिक घर है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पीड़ित महिला आईपीसी की धारा 498 ए के तहत उसके आश्रय स्थल या उसके माता-पिता के घर की जगह पर आपराधिक कार्यवाही शुरू कर सकती है जहां वह रहती है.
महिलाओं के खिलाफ अपराध घट क्यों नहीं रहे?
दरअसल, अभी तक महिला को उसी जगह केस करना पडता था, जहां उसका वैवाहिक घर है. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ ने ये बडा फैसला सुनाते हुए ऐसी महिलाओं को भारी राहत दी है.
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