सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में अलग-अलग साइकिल ट्रैक बनाने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम भारत की तुलना नीदरलैंड से नहीं कर सकते. जब सरकारें लोगों को शेल्टर और अस्पताल जैसी बुनियादी सुविधाएं भी मुहैया कराने में मुश्किल महसूस कर रही हैं तो ऐसे निर्देश कैसे व्यवहारिक हैं ?
जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने याचिका में मांगी गई प्रार्थनाओं की व्यापक प्रकृति पर आपत्ति जताते हुए कहा कि ऐसी राहत कभी नहीं दी जा सकती.यह कैसे संभव है? अदालतों ने फुटपाथों के संबंध में कई निर्देश पारित किए हैं. उन्हें प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार माना है, लेकिन भारतीय परिस्थितियों में साइकिल ट्रैक अनिवार्य बनाना संभव नहीं है.
जस्टिस भुइयां ने कहा कि आप भारत को एक यूरोपीय देश के रूप में देख रहे हैं. जहां हर शहर में साइकिल ट्रैक होना चाहिए. हम भारत की तुलना नीदरलैंड से नहीं कर सकते. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि नगर निगम और नगर नियोजन कानून समर्पित साइकिल ट्रैक अनिवार्य करते हैं.
देश भर में अलग-अलग साइकिल ट्रैक बनाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने अर्जी के औचित्य पर सवाल खड़े करते हुए कहा था कि क्या सरकारी पैसे का इस्तेमाल गरीबों के लिए घर बनाने, स्वास्थ्य और शिक्षा से जुड़ी सुविधाओं पर होना चाहिए या देश में साइकिल ट्रैक बनाने के लिए किया जाना चाहिए.
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