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This Article is From Mar 03, 2022

सुप्रीम कोर्ट के जज भी बंदरों के आतंक से परेशान, भगाने के लिए निकाला गया टेंडर

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित नोटिस के मुताबिक जजों के सरकारी आवास और गेस्ट हाउस के परिसरों में आतंक मचाने वाले बंदरों को दूर रखने के लिए हाउस कीपिंग की विशेषज्ञ एजेंसियों से सील बंद निविदाएं मांगी गई हैं.

सुप्रीम कोर्ट के जज भी बंदरों के आतंक से परेशान, भगाने के लिए निकाला गया टेंडर
सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी बंगलों पर बंदरों को भगाने और डराने के इंतजाम के लिए टेंडर आमंत्रित किए हैं
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट के जजों के नई दिल्ली स्थित सरकारी बंगले भी बंदरों के उत्पात से अछूते नहीं हैं. थक हारकर अब देश की सबसे बड़ी अदालत ने बंदरों की सेना को डराने भगाने से लिए  प्रोफेशनल ट्रेंड लोगों को तैनात करने का फैसला किया है. सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने जजों के करीब 35 से 40 सरकारी बंगलों पर बंदरों को भगाने और डराने के इंतजाम के लिए टेंडर आमंत्रित किए हैं.

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित नोटिस के मुताबिक जजों के सरकारी आवास और गेस्ट हाउस के परिसरों में आतंक मचाने वाले बंदरों को दूर रखने के लिए हाउस कीपिंग की विशेषज्ञ एजेंसियों से सील बंद निविदाएं मांगी गई हैं. शुरुआत में ये मैन पावर छह महीने की सेवा देगा. इस अवधि के बाद उनकी दक्षता के सभी पैमानों पर सेवा की समीक्षा की जाएगी.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के जजों के लिए आवंटित करीब 35-40 सरकारी बंगले ल्यूटियंस दिल्ली के करीब छह किलोमीटर के दायरे में हैं. नोटिस के मुताबिक एजेंसी को तीन श्रेणियों में अपने सेवा शुल्क यानी रेट खोलने होंगे. महीने के सभी दिन आठ घंटे, बारह घंटे और चौबीस घंटे निगरानी और सेवा के हिसाब से. 

नोटिस के मुताबिक दस हजार रुपए के डिमांड ड्राफ्ट के साथ तय मसौदे यानी फॉर्म प्रारूप पर टेंडर यानी प्रस्ताव देना होगा. बंदर सेना को भगाने के लिए लोगों की ज़रूरत हरेक बंगले के हिसाब से अलग अलग होगी. टेंडर प्रस्ताव होली के बाद यानी 24 मार्च दोपहर साढ़े तीन बजे तक प्रशासनिक रजिस्ट्रार के दफ्तर में पहुंच जाने चाहिए, उसी दिन टेंडर खुलेंगे.

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