सुप्रीम कोर्ट ने शरद पवार, अजित पवार गुट को आदेश का पालन करने को कहा

उच्चतम न्यायालय ने 19 मार्च को शरद गुट को आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में ‘‘राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार’’ नाम का उपयोग करने की अनुमति दे दी थी. न्यायालय ने वरिष्ठ नेता शरद पवार की अगुवाई वाले धड़े को चुनाव चिह्न (‘तुरही बजाता आदमी’) के इस्तेमाल की भी अनुमति दे दी थी.

सुप्रीम कोर्ट ने शरद पवार, अजित पवार गुट को आदेश का पालन करने को कहा

नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव से कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के शरद पवार और अजित पवार के नेतृत्व वाले धड़ों से चुनावों के लिए प्रचार सामग्री में चुनाव चिह्न, पार्टी के नाम और ‘डिस्क्लेमर' (दावा अस्वीकरण) के इस्तेमाल पर उसके दिशानिर्देशों का पालन करने को कहा. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने उसके 19 मार्च के आदेश का अनुपालन न किये जाने के आरोप वाली दोनों पक्षों की याचिकाओं का निस्तारण करते हुए कहा कि अब वक्त आ गया है कि दोनों गुटों के नेताओं को कहीं और होना चाहिए, न कि अदालतों में.

उसने शरद पवार गुट से कहा कि वह आगामी लोकसभा चुनाव और चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियानों में ‘राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार' का नाम और ‘तुरही बजाता आदमी' चुनाव चिह्न के इस्तेमाल के लिए अपने कार्यकर्ताओं को जागरूक करे. आंध्र प्रदेश, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और ओडिशा में विधानसभा चुनाव भी लोकसभा चुनाव के साथ ही हो रहे हैं.

उच्चतम न्यायालय ने 19 मार्च को शरद गुट को आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में ‘‘राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार'' नाम का उपयोग करने की अनुमति दे दी थी. न्यायालय ने वरिष्ठ नेता शरद पवार की अगुवाई वाले धड़े को चुनाव चिह्न (‘तुरही बजाता आदमी') के इस्तेमाल की भी अनुमति दे दी थी.

शीर्ष न्यायालय ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार-नीत धड़े को अंग्रेजी, हिंदी और मराठी अखबारों में यह सार्वजनिक नोटिस जारी करने को कहा था कि ‘घड़ी' चुनाव चिह्न पर दावे का मामला अदालत में विचाराधीन है और प्रतिवादी (राकांपा-अजिट गुट) को इसके इस्तेमाल की अनुमति इस शर्त पर दी गयी है कि यह न्यायालय के अंतिम फैसले पर आधारित होगा.

पीठ ने अजित पवार-नीत धड़े से चुनाव से संबंधित सभी दृश्य-श्रव्य विज्ञापनों और बैनर तथा पोस्टर आदि में भी इसी तरह की घोषणा करने को कहा था. न्यायालय ने शरद पवार गुट को अपने पार्टी कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों और विधायकों को चुनाव विज्ञापनों में ‘घड़ी' चिह्न का इस्तेमाल न करने को कहा, जो अजित पवार नीत राकांपा को आवंटित किया गया है.

इसी तरह, उसने अजित पवार गुट को भी अखबारों में यह कहते हुए बड़ा और प्रमुखता से विज्ञापन प्रकाशित करने को कहा कि उसे आवंटित ‘घड़ी' चुनाव चिह्न उच्चतम न्यायालय के 19 मार्च के आदेश के अनुरूप विचाराधीन है. निर्वाचन आयोग ने अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट को 'असली' राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी राकांपा के रूप में मान्यता दी है और इसे विभाजन से पहले संगठन द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला 'घड़ी' चुनाव चिह्न आवंटित किया है.

पीठ ने 19 मार्च के आदेश में दिए दिशानिर्देशों में बदलाव करने का अजित पवार गुट का अनुरोध भी ठुकरा दिया. सुनवाई के दौरान, शरद पवार धड़े की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी और अजित पवार धड़े का प्रतिनिधित्व कर रहे शीर्ष अदालत के प्रमुख वकील मुकुल रोहतगी ने विज्ञापन, तस्वीरें, वीडियो क्लिप और सोशल मीडिया पोस्ट दिखाकर दावा किया कि अदालत के आदेशों का पालन नहीं किया गया है.

सिंघवी ने दावा किया कि अजित पवार धड़े के नेता बिना किसी ‘डिस्क्लेमर' के शरद पवार की तस्वीरों और 'घड़ी' चिह्न का इस्तेमाल कर रहे हैं, जबकि रोहतगी ने दावा किया कि शरद पवार धड़े के नेता अपनी प्रचार सामग्री में 'घड़ी' चिह्न और 'राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी' के नाम का इस्तेमाल कर रहे हैं.

पीठ ने कहा, ‘‘हमें दोनों पक्षों की विश्वसनीयता पर कोई संदेह नहीं है और हम मानते हैं कि शीर्ष स्तर पर नेता हमारे आदेश को समझते हैं.'' इसने कहा, ‘‘पार्टी के जिम्मेदार लोगों, जैसे अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष, सांसद/विधायक और अन्य पदाधिकारियों को कम से कम अदालत के आदेश का पालन करना चाहिए.''

रोहतगी ने पीठ को आश्वासन दिया कि अजित पवार धड़ा इस ‘डिस्क्लेमर' के साथ समाचार पत्रों में प्रमुखता से विज्ञापन जारी करेगा कि 'घड़ी' चिह्न के आवंटन का मामला न्यायालय में विचाराधीन है. सिंघवी ने आरोप लगाया कि अजित पवार धड़ा जानबूझकर अदालत के आदेश का उल्लंघन कर रहा है और बैनरों में शरद पवार की तस्वीरों का इस्तेमाल कर रहा है, जिसमें 'घड़ी' चिह्न को लेकर कोई ‘डिस्क्लेमर' नहीं दिया गया है.

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पीठ ने कहा, ‘‘हम देखते हैं कि एक या दो पदाधिकारी, शायद हताशा में, इस प्रकार के विज्ञापनों का इस्तेमाल कर रहे हैं. दोनों तरफ यही स्थिति है. अब समय आ गया है कि आप दोनों को अदालतों के बजाय कहीं और होना चाहिए.'' अजित पवार पिछले साल जुलाई में पार्टी के कई विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली भाजपा-शिवसेना सरकार में शामिल हो गए थे, जिससे राकांपा दो धड़ों में विभाजित हो गई थी.
 



(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)