कोर्ट ने कहा कि महिला की जान बचाने के लिए गर्भपात किया जा सकता है. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई निवासी 24 हफ्ते की गर्भवती महिला को गर्भपात की इजाजत दी है. कोर्ट ने कहा कि मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट से साफ है कि बच्चे के बचने की उम्मीद नहीं है और महिला की जान को बचाने के लिए गर्भपात किया जा सकता है.
कोर्ट ने कहा कि महिला की जान बचाने के लिए गर्भपात किया जा सकता है और अस्पताल इस मामले की निगरानी और पूरी प्रक्रिया का रिकार्ड रखेगा.
केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा कि KEM अस्पताल की रिपोर्ट आ गई है और महिला को गर्भपात कराने की इजाजत दे देनी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई की 23 साल की गर्भवती महिला की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें उसने 24 हफ्ते होने पर गर्भपात कराने की गुहार लगाई थी. याचिका में कहा गया था कि 21 हफ्ते में टेस्ट कराने पर पता चला कि भ्रूण के सिर का हिस्सा नहीं है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के KEM अस्पताल को महिला के मेडिकल टेस्ट करने और रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए थे, जबकि केंद्र सरकार से उसकी राय मांगी थी.
दरअसल, मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट में प्रावधान है कि 20 हफ्ते के बाद गर्भपात नहीं किया जा सकता. इसके तहत सात साल तक की सजा का प्रावधान है. हालांकि इसके तहत ये छूट भी है कि अगर मां या बच्चे को खतरा हो तो गर्भपात किया जा सकता है. इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे कई मामलों में गर्भपात की इजाजत दी है.
कोर्ट ने कहा कि महिला की जान बचाने के लिए गर्भपात किया जा सकता है और अस्पताल इस मामले की निगरानी और पूरी प्रक्रिया का रिकार्ड रखेगा.
केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा कि KEM अस्पताल की रिपोर्ट आ गई है और महिला को गर्भपात कराने की इजाजत दे देनी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई की 23 साल की गर्भवती महिला की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें उसने 24 हफ्ते होने पर गर्भपात कराने की गुहार लगाई थी. याचिका में कहा गया था कि 21 हफ्ते में टेस्ट कराने पर पता चला कि भ्रूण के सिर का हिस्सा नहीं है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के KEM अस्पताल को महिला के मेडिकल टेस्ट करने और रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए थे, जबकि केंद्र सरकार से उसकी राय मांगी थी.
दरअसल, मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट में प्रावधान है कि 20 हफ्ते के बाद गर्भपात नहीं किया जा सकता. इसके तहत सात साल तक की सजा का प्रावधान है. हालांकि इसके तहत ये छूट भी है कि अगर मां या बच्चे को खतरा हो तो गर्भपात किया जा सकता है. इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे कई मामलों में गर्भपात की इजाजत दी है.
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