दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को कांग्रेस नेता शशि थरूर के खिलाफ सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले को आगे की कार्यवाही के लिये सत्र अदालत के पास भेज दिया. अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटिन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने इस मामले को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अरुण भारद्वाज की अदालत के पास भेज दिया, क्योंकि भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (खुदकुशी के लिए उकसाने) के तहत अपराध के मुकदमे की सुनवाई सत्र न्यायाधीश द्वारा ही की जाती है. अदालत ने दिल्ली पुलिस को यह भी निर्देश दिया कि वह मामले में सतर्कता रिपोर्ट को संरक्षित रखे. इस अपराध के तहत अधिकतम 10 वर्ष की सजा का प्रावधान है. पूर्व केंद्रीय मंत्री और सुनंदा पुष्कर के पति थरूर पर दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 498-ए और 306 के तहत आरोप तय किये गए लेकिन मामले में उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है.
सुनंदा पुष्कर 17 जनवरी 2014 को शहर में एक लग्जरी होटल के सुइट में मृत मिली थीं. थरूर का आधिकारिक बंगले की मरम्मत का काम चल रहा था, जिसकी वजह से दंपति होटल में रह रहे थे. इससे पहले सुनंदा पुष्कर की मौत का मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका का निपटारा कर सुनवाई बंद कर दी थी. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ये मामला अब खत्म हो चुका है. पुलिस इस मामले में चार्जशीट दाखिल कर चुकी है और कोर्ट संज्ञान ले चुका है. इसलिए अब मामले में सुनवाई की जरूरत नहीं है.
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मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था. दिल्ली पुलिस ने जवाब में कहा था कि वह जल्द ही चार्जशीट दाखिल करेगी. पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत की जांच एसआईटी से कराने की मांग को लेकर बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.
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