राज्यसभा सांसद सुधा मूर्ति ने रक्षाबंधन के मौके पर एक वीडियो संदेश साझा किया. उन्होंने बताया कि एक धागा या राखी का क्या महत्व है. मूर्ति ने कहा कि ये उनके लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है. इस दौरान उन्होंने इस फेस्टिवल के पीछे की कहानी साझा की, जिसके बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इसको लेकर बहस छिड़ गई. फिर सुधा मूर्ति ने एक स्पष्टीकरण जारी किया और कहा कि उनका इरादा बड़ी होने के दौरान सीखी गई कई कहानियों में से एक को सिर्फ बताना था.
इंफोसिस चेयरमैन की पत्नी ने उत्सव के पीछे की एक कहानी साझा की और कहा, "ये उस समय की बात है जब रानी कर्णावती मेवाड़ साम्राज्य पर हमले के कारण मुसीबत में थीं, तब उन्होंने मुगल बादशाह हुमायूं को एक धागा भेजा और कहा कि मैं खतरे में हूं, कृपया मुझे अपनी बहन समझें और मेरी रक्षा करें."
Raksha Bandhan has a rich history. When Rani Karnavati was in danger, she sent a thread to King Humayun as a symbol of sibling-hood, asking for his help. This is where the tradition of the thread began and it continues to this day. pic.twitter.com/p98lwCZ6Pp
— Smt. Sudha Murty (@SmtSudhaMurty) August 19, 2024
सुधा मूर्ति ने कहा, "हुमायूं को नहीं पता था कि ये क्या है, फिर उन्होंने पूछा तो लोगों ने बताया कि ये एक बहन का भाई को बुलावा है. यह इस भूमि का रिवाज है. फिर सम्राट ने कहा कि ठीक है, अगर ऐसी बात है तो मैं रानी कर्णावती की मदद करूंगा. वो दिल्ली से निकले, लेकिन समय पर वहां नहीं पहुंच सके और रानी कर्णावती की मृत्यु हो गई."
हालांकि, एक्स पर कई यूजर ने इससे असहमति जताते हुए कहा कि रक्षाबंधन शुरू होने की कहानी महाभारत काल की है, न कि मध्यकालीन भारत की. यूजर्स का कहना था कि महाभारत काल में भगवान कृष्ण के शिशुपाल को मारने के लिए सुदर्शन चक्र का इस्तेमाल करते समय अनजाने में उनकी उंगली थोड़ी कट गई थी, तब द्रौपदी ने उनके घाव को अपने पल्लू का टुकड़ा फाड़कर बांधा था.
With absolute respect Madam, the origin of Rakshabandan dates back to the Mahabharata times.
— D Prasanth Nair (@DPrasanthNair) August 19, 2024
Lord Krishna once accidentally cut his find on the Sudarshan Chakra. Seeing him injured, Draupadi tore a piece of cloth from her saree and tied it to stop the bleeding. Touched by her…
भगवान कृष्ण उनके इस काम से प्रभावित हुए और उन्हें किसी भी मुसीबत से बचाए रखने का वादा किया. चीरहरण की घटना के दौरान, जब कौरवों ने द्रौपदी को लज्जित और अपमानित करने की कोशिश की, तब भगवान कृष्ण प्रकट हुए और उनकी रक्षा की.
राज्यसभा सांसद ने बाद में स्पष्टीकरण जारी किया और कहा, "रक्षाबंधन पर मैंने जो कहानी साझा की, वो त्योहार से जुड़ी कई कहानियों में से एक है और निश्चित रूप से इसकी शुरुआत नहीं है. मैंने वीडियो में कहा है कि, "ये पहले से ही एक परंपरा थी. मेरा इरादा रक्षाबंधन के पीछे के सुंदर प्रतीकों के बारे में उन कई कहानियों में से एक को उजागर करना था, जिनके बारे में मैंने बड़े होने के दौरान सीखा था."
The story I shared on Raksha Bandhan is just one of many tales associated with the festival and certainly not its origin. As I have said in the video clip, this was already a custom of the land. My intention was to highlight one of the many stories I learnt about when growing up,…
— Smt. Sudha Murty (@SmtSudhaMurty) August 19, 2024
त्योहार को लेकर इतिहास में कई कहानियां हैं, जिनमें राजा बलि और देवी लक्ष्मी की कहानी भी शामिल है. राजा बलि भगवान विष्णु के कट्टर भक्त थे और देवी लक्ष्मी ने बलि के राज्य की रक्षा करने की जिम्मेदारी ली थी, जिसके लिए उन्होंने बैकुंठ तक छोड़ दिया था.
देवी लक्ष्मी ने श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन राजा बलि की कलाई पर राखी बांधी. ऐसा माना जाता है कि उस दिन के बाद से श्रावण की पूर्णिमा पर अपनी बहन को राखी बांधने की प्रथा बन गई.
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