फाइल फोटो
नई दिल्ली:
फरीदाबाद के अटाली में बुधवार को बहुसंख्यक समुदाय के एक धार्मिक कार्यक्रम में हुए विवाद के वजह पहले तो गांव में सांप्रदायिक तनाव पैदा हुआ, फिर मामला पथराव तक जा पहुंचा और अब गांव से अल्पसंख्यकों का पलायन शुरू हो गया है।
79 साल की रेशम बी रोते हुए कहती हैं कि जब शादी हुई थी, तब इस गांव में आना हुआ था और अब हालात ऐसे हो गए हैं कि जो कुछ साथ आ सकता है उसे समेट कर गांव से जाना पड़ रहा है। शौकत कहते हैं कि हम पुलिस पर भरोसा करके आए थे, लेकिन उन्हीं के सामने हमारे घरों पर पत्थर फेंके गए, अब जो प्रेम बचा था वो सब खत्म हो गया।
लेकिन, बहुसंख्यक समुदाय इन आरोपों को सिरे से खारिज करता है। उनकी माने तो इस बार बवाल अल्पसंखयक समुदाय के लोगों ने शुरू किया, जब उनकी महिलाएं कीर्तन कर रही थीं तब उन पर पथराव किया गया। वे आज भी कहते हैं कि हमारे अंदर उनके लिए प्यार बचा है, अगर वो ठीक से रहें तो। वे ये भी कहते हैं कि ये सब वे मुआवजा और दूसरे फायदों के लिए कर रहे हैं।
25 मई के बाद ये दूसरी बार है कि जब उन्हें अपना गांव छोड़ना पड़ा है। 25 मई को हुए तनाव के बाद अल्पसंखयक समुदाय के लोग डर के मारे 10 दिन बल्लभगढ़ थाने में रहे। बाद में पुलिस और प्रशासन के भरोसे के बाद व गांव लौट आए। उस वक्त दोनों समुदाय के बीच मंदिर के पास मस्जिद बनाने को लेकर विवाद शुरू हुआ।
वैसे दोनों समुदाय के लोगों का मानना है कि पुलिस और प्रशासन का रवैया अब तक बहुत ढ़ीला रहा है। पहले 25 मई और फिर 1 जुलाई की घटना को लेकर पुलिस ने एक भी गिरफ्तारी नहीं की है। हरियाणा पुलिस के एएसीपी विष्णु दयाल कहते हैं कि हम आरोपियों को गिरफ्तार करने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही ये भी प्रयास कर रहे हैं कि दोनों समुदायों के बीच समझौता हो जाए। वैसे अगर पुलिस ने ठोस कार्रवाई की होती तो ये हालात पैदा ही नहीं होते।
79 साल की रेशम बी रोते हुए कहती हैं कि जब शादी हुई थी, तब इस गांव में आना हुआ था और अब हालात ऐसे हो गए हैं कि जो कुछ साथ आ सकता है उसे समेट कर गांव से जाना पड़ रहा है। शौकत कहते हैं कि हम पुलिस पर भरोसा करके आए थे, लेकिन उन्हीं के सामने हमारे घरों पर पत्थर फेंके गए, अब जो प्रेम बचा था वो सब खत्म हो गया।
लेकिन, बहुसंख्यक समुदाय इन आरोपों को सिरे से खारिज करता है। उनकी माने तो इस बार बवाल अल्पसंखयक समुदाय के लोगों ने शुरू किया, जब उनकी महिलाएं कीर्तन कर रही थीं तब उन पर पथराव किया गया। वे आज भी कहते हैं कि हमारे अंदर उनके लिए प्यार बचा है, अगर वो ठीक से रहें तो। वे ये भी कहते हैं कि ये सब वे मुआवजा और दूसरे फायदों के लिए कर रहे हैं।
25 मई के बाद ये दूसरी बार है कि जब उन्हें अपना गांव छोड़ना पड़ा है। 25 मई को हुए तनाव के बाद अल्पसंखयक समुदाय के लोग डर के मारे 10 दिन बल्लभगढ़ थाने में रहे। बाद में पुलिस और प्रशासन के भरोसे के बाद व गांव लौट आए। उस वक्त दोनों समुदाय के बीच मंदिर के पास मस्जिद बनाने को लेकर विवाद शुरू हुआ।
वैसे दोनों समुदाय के लोगों का मानना है कि पुलिस और प्रशासन का रवैया अब तक बहुत ढ़ीला रहा है। पहले 25 मई और फिर 1 जुलाई की घटना को लेकर पुलिस ने एक भी गिरफ्तारी नहीं की है। हरियाणा पुलिस के एएसीपी विष्णु दयाल कहते हैं कि हम आरोपियों को गिरफ्तार करने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही ये भी प्रयास कर रहे हैं कि दोनों समुदायों के बीच समझौता हो जाए। वैसे अगर पुलिस ने ठोस कार्रवाई की होती तो ये हालात पैदा ही नहीं होते।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
सांप्रदायिक तनाव, अटाली गांव, गांव से पलायन, बहुसंख्यक समुदाय, Getaway, Atali Village Riots, The Majority Community, Communal Tension